जेबीटी भर्ती घोटाले का विरोध


सामाजिक संस्थाओं की श्वेत पत्र जारी करने की मांग
करनाल। 2009-10 में हुई जेबीटी भर्ती घोटाले में हुए पर्दाफाश से सामाजिक संस्थाओं ने रोष प्रकट किया है। वीरवार को जिला बार एसोसिएशन में इसको लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने आवाज बुलंद की और मामले की त्वरित जांच कर दोषियों को सजा दिलाने की बात कही गई। 
सामाजिक संस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने सरकार से जेबीटी भर्ती घोटाले के संदर्भ में तुरंत श्वेतपत्र जारी करने के लिए कहा है। साथ ही इसकी जांच पड़ताल सीबीआई से या किसी हाईकोर्ट के जज से कराने की मांग उठाई गई। आईएसी सदस्य एडवोकेट जेपी शेखपुरा ने कहा है कि 24 जुलाई 2009 को प्रदेश सरकार ने जेबीटी नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी, इस परीक्षा के दौरान 8415 परीक्षा देने वाले जेबीटी की परीक्षा देने वालों के साथ-साथ अंगूठे के निशान भी लिए गए थे। इसमें एडीजीपी एवं स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के निदेशक लायकराम डबास ने फर्जीवाडे का पर्दाफाश किया है। 
इस पर्दाफाश में करीब 2000 अपात्र शिक्षकों की जांच-पड़ताल में 100 से ज्यादा शिक्षक, जो इस समय स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं, उनके अंगुठे के निशान ही नहीं मिलते। जिन्होंने दूसरे की जगह पर बैठकर परीक्षा दी है, ऐसे अपात्र शिक्षकों का पूरी तरह से पर्दाफाश
होना समाज के लिए बहुत जरूरी है। क्योंकि यह धोखेबाज शिक्षक समाज का क्या हित करेंगे। बैठक में आरटीआई कार्यकर्ता राजेश कुमार ने बताया है कि ऐसे दूसरे की जगह परीक्षा में बैठने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन मार्केट में बढ़ती जा रही है। 
जनहित सोशल वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष जितेंद्र राणा ने कहा है कि इन धोखेबाज अपात्र शिक्षकों के कारण जेबीटी की परीक्षा पास न कर सके पढ़े लिखे विद्यार्थियों के साथ हैं और इस जेबीटी घोटाले के लिए एक या दो दिन में उपायुक्त महोदय के माध्यम से राज्यपाल को भी ज्ञापन देंगे।

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