प्रदेश के सरकारी स्कूलों की ढांचागत एवं बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अब कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था दान दे सकते हैं। यह दान धन के रूप में अथवा सामान के रूप में हो सकता है। प्रदेश सरकार ने इस योजना को मंजूरी प्रदान कर दी है। सरकारी शिक्षा के क्षेत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से भागीदारों का एक पूल बनाकर इस योजना को ‘स्कूल नर्चर पालिसी’ का नाम दे दिया गया है। इसकी विधिवत शुरुआत जल्द की जाएगी। योजना का शुभारंभ मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा करेंगे। 1मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सोमवार को यहां हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है। इस नीति के अंतर्गत व्यक्ति विशेषकर पास आउट छात्र, संगठन और संस्थाएं राज्य के सरकारी स्कूलों को मजबूत करने के लिए अपना योगदान दे सकेंगे। प्रदेश सरकार को लगता है कि इससे सामुदायिक भागीदारिता बढ़ेगी। इस नीति के तहत शहरी और ग्रामीण असमानताएं कम होंगी। बैठक में यह बताया गया कि इस नीति का सोशल मीडिया द्वारा अधिक से अधिक प्रचार किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक संख्या में सामुदायिक स्कूलिंग के साथ दानी जुड़ सकें। दानी स्कूल तथा अपने दान के प्रकार को चुन सकता है। शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने बैठक में मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि कई लोगों और संगठनों ने दान देने
की इच्छा जताई है और शिक्षा विभाग से संपर्क किया है। नीति के लागू होने के पश्चात कोई भी व्यक्ति स्कूल में जरूरत के अनुसार कोई भी वस्तु दान दे सकता है या स्कूल को हर प्रकार के विकास के लिए गोद ले सकता है। उन्होंने बताया कि राज्य में लगभग 15 हजार राजकीय प्राइमरी और हाई स्कूल हैं, जिनमें 27 लाख बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। भुक्कल ने कहा कि इस योजना को पारदर्शी और प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।
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