ट्रांसफर से १ माह के लिए हटा बैन
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हर विभाग की अपनी अपनी नीति
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शिक्षा विभाग पहले नंबर पर
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कर्मचारी नेता बोले-यह तो खुला भ्रष्टाचार
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३० हजार तबादले होंगे, सबसे ज्यादा शिक्षा में, रोक हटने से पहले मिलीं ३००० अर्जियां
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असर क्या
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द्वितीय श्रेणी तक के कर्मचारियों को इधर-उधर कर सकेंगे मंत्री, अंतिम तिथि ३० जून
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कर्मचारियों के तबादलों को लेकर राज्य सरकार की एक नीति नहीं है। हरियाणा में हर विभाग की अपनी-अपनी पॉलिसी है। शिक्षा विभाग में तबादले खाली पदों को देखकर या फिर आपसी सहमति से होते हैं। हेल्थ विभाग में भी तबादलों का फैसला खाली पदों को देखकर लिया जाता है। एक अनुमान के अनुसार सिर्फ जून में ३० हजार कर्मियों के तबादले होंगे।
सर्वकर्मचारी संघ के महासचिव सुभाष लांबा का कहना है कि जून में होने वाले तबादलों की वजह राजनीतिक रहती है। कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां के लिए विशेष भर्ती होती है। मसलन मेवात-वहां आम तौर पर कोई जाना नहीं चाहता लेकिन कुछ लोगों को चूंकि नौकरी चाहिए इसलिए ज्वाइन कर लेते हैं। फिर जब सामान्य तबादले खुलते हैं तो ऐसे लोग ले-देकर अपना तबादला मनपसंद जगह करवा लेते हैं। सुभाष लांबा का कहना है कि जून में हुए ट्रासंफर खुला भ्रष्टाचार है।
हेल्थ विभाग का नंबर दूसरा : शिक्षा के बाद दूसरे नंबर पर सबसे अधिक तबादले स्वास्थ्य विभाग में होते हैं। यहां इस बार पांच हजार ट्रांसफर होने की उम्मीद है। इसके बाद पुलिस का नंबर आता है।
पौने ३ लाख कर्मचारी
प्रदेश में पौने तीन लाख रेगुलर और एक लाख नॉन-रेगुलर कर्मचारी है। सबसे अधिक ३० हजार कर्मचारी शिक्षा विभाग में है। २० हजार बिजली और १८ हजार कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग में हैं। इसके बाद ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज, कृषि, वन और राजस्व विभाग का नंबर आता है।
रोक का मकसद : कामकाज सही तरीके से चलता रहे, इसलिए सालभर तबादलों पर रोक रहती है। विशेष हालात में सीएम स्तर से मंजूरी के बाद ही तबादले होते हैं।
सबसे अधिक तबादले शिक्षा विभाग में होंगे। यहां अब तक दो हजार से अधिक आवेदन पहुंच चुके हैं। महीने के अंत तक इनकी संख्या १५ हजार तक पहुंच जाने की उम्मीद है। हालांकि ट्रांसफर शिक्षा विभाग की नीति के अनुरूप होंगे। विभाग में दो बच्चियों की मां को उसके घर के आठ किलोमीटर के दायरे में रखने का प्रावधान है। विधवा व तलाकशुदा महिलओं के लिए भी यही रूल है।
कर्मचारियों के सामान्य तबादलों पर लगी रोक सरकार ने एक महीने के लिए हटा ली है। मुख्य सचिव पीके चौधरी की ओर से बुधवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, सरकार ने पहली जून से 30 जून तक यह बैन हटाया है। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए। अधिसूचना में कहा गया है कि ३० जून तक प्रभारी मंत्री अपने-अपने विभागों में सेकेंड क्लास तक के कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादले कर सकेंगे। मतलब, अगले एक माह तक सभी मंत्री खासे व्यस्त रहने वाले हैं।
राज्य में हर साल सामान्य तबादले सिर्फ जून में खोले जाते हैं। इसका मकसद कर्मचारियों को उनकी मर्जी की जगह चुनने का मौका देना है। इस साल अब तक सरकार के पास तबादलों के लिए तकरीबन तीन हजार अर्जियां पहुंच चुकी हैं।
घर से दूर काम कर रहे कर्मचारी अपने गृह जिले या उसके आसपास आ सकेंगे। जहां पति-पत्नी दोनों सरकारी नौकरी में हैं, उन्हें एक ही शहर में आने का मौका मिलेगा। 'पिछड़े' जिलों में तैनात कर्मचारियों को मनपसंद जगह चुनने का मौका मिलेगा।
पसंदीदा कर्मचारियों को मनमाफिक जगह लगाएगी ताकि सरकार के अनुरूप काम कर सकें। मंत्रीगण कार्यकर्ताओं और समर्थकों की सिफारिशों के अनुरूप तबादले कर उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश करेंगे।
मायने क्या
कार्यकर्ताओं के लिए
कर्मचारियों के लिए
सरकार के लिए
वधायकों, बोर्ड/कॉर्पोरेशनों के चेयरमैन व आम कार्यकर्ताओं की चलेगी। अब तक कार्यकर्ता अपनी सुनवाई और काम न होने की शिकायतें करते रहे हैं। अब वे काम न करने वाले कर्मचारियों को हटवाकर दूसरों को लगवा सकेंगे। |
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