एनीमिक बच्चों ने बढ़ाई चिंता


स्कूलों में 200 मोबाइल टीमें जाकर करेंगी बच्चों का इलाज
चंडीगढ़। हरियाणा के स्कूली बच्चों में खून की कमी ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। इंदिरा गांधी बाल स्वास्थ्य योजना के तहत किए सर्वेक्षण में 70 फीसदी बच्चे एनीमिक पाए गए हैं।
26 जून 2010 से चल रही इस योजना में अब तक यह बात सामने आई है कि बच्चों की स्क्रीनिंग ठीक से नहीं हो रही थी। लिहाजा अब हरियाणा में 200 मोबाइल टीमें बच्चाें को ट्रेस कर उनका इलाज करेंगी। हरियाणा के शून्य से 18 वर्ष तक के स्कूली बच्चे का मुफ्त इलाज होगा। प्रत्येक मोबाइल टीम में एक एक फार्मासिस्ट, एक एएनएम और दो चिकित्सक हाेंगे। टीमें सभी स्कूलों और आंगनबाड़ियों में जा कर बच्चों की जांच करेंगी। यह टीमें आशा के संपर्क में रहेंगी। पिछली बार ड्राप आउट बच्चे ट्रेस करना मुसीबत था। इसलिए इस बार शिक्षा विभाग की जिम्मेवारी बच्चों के इनरालमेंट की है। महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ियों की है। जिससे कोई भी बच्चा अनट्रेस न रह जाए। एनीमिया के अलावा स्कूली बच्चों में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, कटे होठ, टेढ़ा पैर और डाउन सिंड्रोम जैसी बीमारियां भी अधिकता में हैं। शुरुआती दौर में इन बीमारियों को पकड़ कर उनका इलाज करना अधिक आसान है।

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