अतिथि ‘मस्त’ और पात्र ‘पस्त’


नए सेवा नियमों में पात्रता व आयु से छूट का मामला16आरटीआइ में हुआ खुलासा, अतिथि अध्यापकों की मांग पर दी पात्रता से छूट


जागरण ब्यूरो, चंडीगढ़ : अतिथि अध्यापकों पर शिक्षा विभाग व सरकार की मेहरबानी ने अध्यापक पात्रता टेस्ट में पास उम्मीदवारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सूचना के अधिकार से हुए खुलासे के बाद पात्र उम्मीदवार सकते में हैं। आरटीआइ के मुताबिक नए सेवा नियमों में अतिथि अध्यापकों को पात्रता व आयु से छूट उनकी मांग पर दी गई थी। शिक्षा विभाग ने वर्ष 2011 में शिक्षकों से संबंधित नए सर्विस रूल ‘हरियाणा स्टेट एजुकेशन स्कूल कैडर (ग्रुप बी) सर्विस रूल’ व ‘हरियाणा स्कूल एजुकेशन (ग्रुप सी) स्टेट कैडर सर्विस रूल’ एवं ‘हरियाणा प्राइमरी एजुकेशन (ग्रुप सी) जिला कैडर सर्विस रूल’ बनाने की
प्रक्रिया शुरू की। शुरूआती ड्राफ्ट में अध्यापक पात्रता पास उम्मीदवारों को ही केंद्र बिंदु में रखा गया था। नियमित भर्ती में अध्यापक पात्रता परीक्षा में हासिल अंकों को भर्ती के समय वरीयता देने का प्रावधान था। अनुभव के आधार पर अतिथि अध्यापकों व अन्य शिक्षकों को पात्रता से छूट देने का कोई प्रस्ताव इसमें नहीं था। 1हाईकोर्ट ने 15 मार्च 2012 को अतिथि अध्यापकों का कार्यकाल बढ़ाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया और मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। ऐसे में मार्च 2012 के अंतिम सप्ताह में अतिथि अध्यापकों ने सरकार और विभाग पर अपना दबाव बढ़ा दिया, और इसमें वे कामयाब भी रहे। आरटीआइ से प्राप्त दस्तावेजों के मुताबिक 27 मार्च 2012 को अचानक सरकार व शिक्षा विभाग ने अतिथि अध्यापकों के दवाब में रिप्रजेंटेशन के आधार पर उन्हें पात्रता व आयु में छूट देने की प्रक्रिया शुरू कर दी। शिक्षा विभाग ने लॉ एंड लेजिसलेटिव विभाग से कानूनी राय मांगी। लॉ एंड लेजिसलेटिव विभाग ने कानूनी राय में कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 23(2) में साफ है कि योग्यता में छूट देने की शक्ति सिर्फ केंद्र सरकार के पास है, वह भी बकायदा नोटिफिकेशन के माध्यम से ही ऐसा कर सकती है। मानव संसाधन मंत्रलय द्वारा जारी गाईडलाईन का सेक्शन 35(1) साफ करता है कि केंद्र सरकार पात्रता से कोई छूट नहीं देगी। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत पात्रता से छूट देने का हरियाणा सरकार को अधिकार नहीं है, बावजूद इसके 28 मार्च 2012 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में पात्रता से छूट का फैसले ले लिया, और लॉ एंड लेजिसलेटिव विभाग से दोबारा अपनी पूर्व की राय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। इसके बाद कानूनी राय बदल गई और छूट को कानून सम्मत बता दिया गया। 11 अप्रैल 2012 को नए सेवा नियमों की अधिसूचना जारी हो गई।


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