युवाओं में नैतिक उत्थान को बढ़ाने के मद्देनजर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अब वैज्ञानिक पद्धति द्वारा विद्याॢथयों को नैतिक शिक्षा देने का निर्णय लिया है। इसके तहत नए शैक्षणिक सत्र (2014 से 2015) से 11वीं और 12वीं के विद्याॢथयों के लिए भारतीय संस्कृति पर आधारित नॉलेज ट्रेडिशन एवं प्रैक्टिसेस ऑफ इंडिया कोर्स को ऐच्छिक विषय के रूप में शुरू किया जाएगा। इस कोर्स के अंतर्गत विद्याॢथयों को भारतीय संस्कारों के साथ साथ दादा दादी की कहानियां भी पढ़ाई जाएंगी।
शिक्षाविदों का कहना है कि आधुनिक दौर में पाश्चात्य संस्कृति के चलते युवाओं में नैतिक स्तर का पतन हो रहा है। ऐसे समय में सीबीएसई की यह पहल सराहनीय योग्य है। इस कोर्स का लक्ष्य विद्याॢथयों को भारतीय संस्कृति के पुराने किस्सों, घटनाओं और वेद- पुराणों में दिए ज्ञानवद्र्धक बातों से रू-ब-रू कराना है।
विज्ञान व मानवता से जुड़े होंगे विषय : सीबीएसई स्कूलों की एसोसिएशन (सहोदया) के उपाध्यक्ष राजेश जैन ने बताया कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अधिकांश परिवारों के बच्चों को अपने दादा दादी और नाना नानी का प्यार नहीं मिल पाता है। ऐसे में बोर्ड ने स्कूलों में कहानियां सुनाने का जो फैसला लिया है, वह सराहनीय है।
इससे सुंदर और सभ्य समाज का निर्माण होना तय है। उन्होंने बताया कि इस कोर्स में विज्ञान व मानवता से जुड़े दो विषयों को शामिल किया जाएगा। ऐसे में दोनों ही विषयों की फैकल्टी यह कोर्स पढ़ाएंगी।
तर्क से जुड़ेंगी परंपराएं
सूत्रों के अनुसार, इस कोर्स में शामिल पाठ विद्यार्थियों को इस दौर की परिस्थितियों से जोडऩे में सहायक होंगे। आज से करीब दस वर्ष पहले घर के बुजुर्ग बच्चों को जो संस्कृति से जुड़ी मिसालें और किस्से कहानियां सुनाते थे, उन्हें आज के दौर से जोड़ते हुए प्रासंगिक बनाया जाएगा। वहीं, कई बातें ऐसी हैं जो सैकड़ों वर्षों पहले वेद- पुराणों में लिखी गई हैं, लेकिन नई पीढ़ी को उनकी जानकारी तक नहीं है। इस कोर्स में उन बातों का भी जिक्र होगा। चूंकि युवा पीढ़ी वैज्ञानिक सोच में विश्वास करती है, इसलिए उन्हें इसी पद्धति से भारतीय संस्कृति और परंपराओं का परिचय दिया जाएगा। |
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