हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमटेड (एचवीपीएनएल) की असिस्टेंट लाइनमैन की भर्ती में नियम-कायदे दरकिनार करते हुए गैर मान्यता प्राप्त आइटीआइ से डिप्लोमा करने वाले उम्मीदवारों की भर्ती कर दी गई। कायदे अनुसार हरियाणा सरकार या फिर आल इंडिया टेक्निकल एजुकेशन से मान्यता प्राप्त संस्थान से उम्मीदवार का डिप्लोमाधारक होना अनिवार्य था। इस संबंध में दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान शुक्रवार को बिजली निगम ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में बताया कि वे जांच कर ऐसे कर्मियों को बर्खास्त कर कानूनी कार्रवाई भी करेंगे। फिलहाल, हाई कोर्ट ने निगम में अस्थाई तौर पर असिस्टेंट लाइनमैन की भर्ती पर भी रोक लगा दी है। जानकारी के अनुसार बिजली निगम ने प्रदेश में कर्मियों के रिक्त पदों को भरने के लिए अस्थाई तौर पर कर्मियों की नियुक्ति सन 2010 में कर दी थी। करीब तीन साल तक इन्हीं कर्मियों से बिजली निगम में बतौर असिस्टेंट लाइनमैन काम लिया गया। इसके बाद राज्य सरकार ने करीब 3100 पदों की भर्ती के लिए सन 2012 में विज्ञापन निकाला और अस्थाई तौर पर काम करने वाले कर्मियों को बाहर कर दिया गया। नई भर्ती में लाइनमैन की नौकरी के लिए बारहवीं कक्षा पास और इलेक्टिकल में डिप्लोमा होना अनिवार्य था।अस्थाई तौर पर निगम में 2010 से सेवाएं दे रहे कर्मियों के पास गैर मान्यता प्राप्त आइटीआइ से डिप्लोमा था जिन्हें भर्ती नहीं किया गया। इसके बाद भूपेंद्र सिंह, सुशीन पंडित, सुभाष चंद्र, विकास नरेश, भरत सिंह, सुरेश, सोमवीर, कमलसिंह, नरेश कुमार, इंद्रजीत, प्रदीप कुमार, विनोद कुमार, सुधीर, योगेंद्र आदि ने एडवोकेट एसएन यादव के माध्यम से पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में 23 अप्रैल 2013 को याचिका दायर कीं। 1कुल छह याचिकाएं दायर की गई। याचिकाकर्ताओं के वकील एसएन यादव ने कहा भर्ती में हरियाणा और राजस्थान की गैर मान्यता प्राप्त आइटीआइ से डिप्लोमा लिए कुछ लोगों की भर्ती की गई है।
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