हरियाणा शिक्षा बोर्ड के आदेश ने एक बार फिर राजकीय विद्यालयों के मुखिया को उलझा दिया है। बोर्ड ने 10वीं व 12वीं का परीक्षा फार्म नेट से भरने का आदेश दिया है, लेकिन नेट से फार्म भराने पर होने वाला खर्च कहां से आएगा इस बारे में कोई निर्देश नहीं दिया गया है। 1मालूम हो कि अधिकतर स्कूलों में कंप्यूटर नहीं हैं। जिन स्कूलों में कंप्यूटर या नेट की सुविधा है वहां स्केनर नहीं है। ऐसे में परीक्षा फार्म भराने के लिए स्कूलों को छात्रों को लेकर निजी कंप्यूटर सेंटरों पर जाना पड़ेगा। कुछ स्कूलों के मुखिया की मानें तो उन्होंने इस संबंध में कुछ कंप्यूटर सेंटरों पर संपर्क भी किया। सेंटरों ने फार्म भरने का जो रेट बताया है उसमें सबसे कम 100 रुपये है। 1सवाल यह है कि यह खर्च स्कूलों के मुखिया कहां से लाएंगे। बोर्ड ने भी इसके लिए स्पष्ट निर्देश नहीं दिए हैं। जिले में 10वीं व 12वीं की बोर्ड की परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगभग 20 हजार हैं। राजकीय विद्यालयों में पढ़ने वाले वह भी सामान्य श्रेणी के बच्चों से बोर्ड की परीक्षा फीस ली जाती है। एससी व पिछड़ा वर्ग के बच्चों से यह फीस भी नहीं ली जाती। राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जवाहरलाल गोयल ने कहा कि बोर्ड को कोई भी आदेश जारी करने से पहले उसके बाकी बिन्दुओं पर भी ध्यान देना चाहिए। यह स्पष्ट किया जाए कि स्कूल के मुखिया फार्म भराने का खर्च किस मद से करें।1इतनी बड़ी संख्या में फार्म भराने में आएगी समस्या : स्कूलों
के मुखिया की मानें तो कई स्कूलों में 10वीं व 12वीं के बच्चों की संख्या 500 से भी ज्यादा हैं। यदि एक दिन में 100 बच्चों के फार्म भी भरें जाएं तो कई दिन लग जाएंगे। इस दौरान अध्यापक को इन छात्रों को लेकर कंप्यूटर सेंटर पर खड़ा रहना होगा। इस दौरान छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी। क्योंकि फार्म भरने के दौरान छात्र का अंगूठा भी स्केन कर फार्म के साथ अटैच किया जाना है।1ग्रामीण क्षेत्रों में आएगी दिक्कत : राजकीय विद्यालयों में छात्रों की संख्या शहरी क्षेत्र से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कंप्यूटर सेंटर बिल्कुल नहीं हैं। ऐसे में छात्रों को फार्म भरने के लिए शहर आना पड़ेगा। उनके लाने व ले जाने की व्यवस्था भी स्कूल के मुखिया को करनी होगी। 1मैनुअल फार्म स्वीकार किया जाएगा : भिवानी बोर्ड के चेयरमैन केसी भारद्वाज ने कहा कि जो राजकीय विद्यालय नेट से परीक्षा फार्म भराने में असमर्थ हैं उन स्कूलों का मैनुअल फार्म स्वीकार किया जाएगा। स्कूलों के मुखिया को किसी दुविधा में पड़ने की जरूरत नहीं है।www.teacherharyana.blogspot.com (Recruitment , vacancy , job , news)
के मुखिया की मानें तो कई स्कूलों में 10वीं व 12वीं के बच्चों की संख्या 500 से भी ज्यादा हैं। यदि एक दिन में 100 बच्चों के फार्म भी भरें जाएं तो कई दिन लग जाएंगे। इस दौरान अध्यापक को इन छात्रों को लेकर कंप्यूटर सेंटर पर खड़ा रहना होगा। इस दौरान छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी। क्योंकि फार्म भरने के दौरान छात्र का अंगूठा भी स्केन कर फार्म के साथ अटैच किया जाना है।1ग्रामीण क्षेत्रों में आएगी दिक्कत : राजकीय विद्यालयों में छात्रों की संख्या शहरी क्षेत्र से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कंप्यूटर सेंटर बिल्कुल नहीं हैं। ऐसे में छात्रों को फार्म भरने के लिए शहर आना पड़ेगा। उनके लाने व ले जाने की व्यवस्था भी स्कूल के मुखिया को करनी होगी। 1मैनुअल फार्म स्वीकार किया जाएगा : भिवानी बोर्ड के चेयरमैन केसी भारद्वाज ने कहा कि जो राजकीय विद्यालय नेट से परीक्षा फार्म भराने में असमर्थ हैं उन स्कूलों का मैनुअल फार्म स्वीकार किया जाएगा। स्कूलों के मुखिया को किसी दुविधा में पड़ने की जरूरत नहीं है।www.teacherharyana.blogspot.com (Recruitment , vacancy , job , news)
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