शिक्षा विभाग न वर्ष 2005 में अनुबंध के आधार पर हुई शिक्षक भर्ती मामले की महत्वपूर्ण सीडी


शिक्षा विभाग ने वर्ष 2005 में अनुबंध के आधार पर हुई शिक्षक भर्ती मामले की महत्वपूर्ण सीडी उपलब्ध करा दी है। राज्य सूचना आयोग के निर्देश पर विभाग ने ऐसा किया है। इससे उक्त मामले में महत्वपूर्ण खुलासे की संभावना बढ़ गई है। 1मालूम हो कि वर्ष 2005 में शिक्षा विभाग ने विज्ञापन संख्या 1/2005 के तहत आवेदन मांगकर अनुबंध पर शिक्षकों की भर्ती की थी। इसके लिए चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय से मेरिट सूची तैयार कराई थी। आरोप है कि सूची तैयार होने के बाद भी इसके मुताबिक नियुक्ति नहीं की गई, बल्कि बिना विज्ञापन व आरक्षण प्रावधान का पालन किए गांव के आधार पर अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति कर ली गई। बाद में विज्ञापन देकर अतिथि अध्यापकों की भर्ती बारे पत्र में लिखा गया था, लेकिन आज तक न तो उनके लिए कोई विज्ञापन जारी किया गया है और न ही इन अतिथि अध्यापकों को मार्च 2006 में हटाया गया था। मामला उठने के बाद शिक्षा विभाग 2005 में अनुबंध आधार पर होने वाली शिक्षक भर्ती से संबंधित किसी प्रकार के रिकार्ड, सीडी इत्यादि पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ द्वारा उपलब्ध कराए जाने की बात से इंकार करता रहा, लेकिन अब जाकर उसने एक सीडी के रूप में सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। राज्य सूचना आयोग के समक्ष सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग ने आवेदक को इस सीडी में अलग-अलग साफ्टवेयर में 18 फाइल उपलब्ध कराई है, जिसमें पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ की मेरिट सूची है और उसमें आवेदकों की हर तरह की जानकारी उपलब्ध है।1नहीं दे रहे खर्चे का पूरा ब्योरा : विज्ञापन संख्या 1/2005 के तहत आवेदकों से ली गई फीस निदेशक शिक्षा विभाग के खाता नंबर 10444985227 स्टेट बैंक आफ इंडिया चंडीगढ़ में जमा कराई गई थी। 33 लाख रुपये पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ को सूची बनाने के लिए एडवांस में देने के बाद 20 सितंबर 2007 को इस खाते में एक करोड़ एक लाख 56307 रुपये बकाया थे और 11 मार्च 2013 को 37 लाख 47449 रुपये इस खाते में बकाया रह गए हैं। 1रवि हसिजा, जींद 1शिक्षा विभाग ने वर्ष 2005 में अनुबंध के आधार पर हुई शिक्षक भर्ती मामले की महत्वपूर्ण सीडी उपलब्ध करा दी है। राज्य सूचना आयोग के निर्देश पर विभाग ने ऐसा किया है। इससे उक्त मामले में महत्वपूर्ण खुलासे की संभावना बढ़ गई है। 1मालूम हो कि वर्ष 2005 में शिक्षा विभाग ने विज्ञापन संख्या 1/2005 के तहत आवेदन मांगकर अनुबंध पर शिक्षकों की भर्ती की थी। इसके लिए चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय से मेरिट सूची तैयार कराई थी। आरोप है कि सूची तैयार होने के बाद भी इसके मुताबिक नियुक्ति नहीं की गई, बल्कि बिना विज्ञापन व आरक्षण प्रावधान का पालन किए गांव के आधार पर अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति कर ली गई। बाद में विज्ञापन देकर अतिथि अध्यापकों की भर्ती बारे पत्र में लिखा गया था, लेकिन आज तक न तो उनके लिए कोई विज्ञापन जारी किया गया है और न ही इन अतिथि अध्यापकों को मार्च 2006 में हटाया गया था। मामला उठने के बाद शिक्षा विभाग 2005 में अनुबंध आधार पर होने वाली शिक्षक भर्ती से संबंधित किसी प्रकार के रिकार्ड, सीडी इत्यादि पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ द्वारा उपलब्ध कराए जाने की बात से इंकार करता रहा, लेकिन अब जाकर उसने एक सीडी के रूप में सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। राज्य सूचना आयोग के समक्ष सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग ने आवेदक को इस सीडी में अलग-अलग साफ्टवेयर में 18 फाइल उपलब्ध कराई है, जिसमें पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ की मेरिट सूची है और उसमें आवेदकों की हर तरह की जानकारी उपलब्ध है।1नहीं दे रहे खर्चे का पूरा ब्योरा : विज्ञापन संख्या 1/2005 के तहत आवेदकों से ली गई फीस निदेशक शिक्षा विभाग के खाता नंबर 10444985227 स्टेट बैंक आफ इंडिया चंडीगढ़ में जमा कराई गई थी। 33 लाख रुपये पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ को सूची बनाने के लिए एडवांस में देने के बाद 20 सितंबर 2007 को इस खाते में एक करोड़ एक लाख 56307 रुपये बकाया थे और 11 मार्च 2013 को 37 लाख 47449 रुपये इस खाते में बकाया रह गए हैं
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