खेमका की चार्जशीट तैयार, 6 आरोप तय


चंडीगढ़। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ डील के तहत खरीदी जमीन का म्युटेशन रद्द करने के मामले में सीनियर आईएएस अशोक खेमका की चार्जशीट तैयार हो गई है। मुख्य सचिव ने सात पेज की चार्जशीट में छह आरोप बनाए हैं। चार्जशीट पर कानूनी राय ले ली गई है। अब मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलते ही यह चार्जशीट जारी की जाएगी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक न केवल म्युटेशन गलत तरीके से रद्द करने का आरोप है बल्कि वाड्रा और डीएलएफ की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप लगाया गया है। तबादला होने के बाद चार्ज न छोड़ने और वाड्रा के नाम पर खरीद-फरोख्त हुई जमीन की रजिस्ट्रियों में स्टांप ड्यूटी में कमी जांचने का उपायुक्तों को दिए निर्देश को भी आरोपों में शामिल किया गया है। सूत्रों ने बताया कि मुख्य सचिव ने खेमका की चार्जशीट पर विधि परामर्शी से कानूनी राय ले ली है। अब यह मुख्यमंत्री को मंजूरी के लिए भेजी जाएगी। मंजूरी के बाद खेमका को चार्जशीट जारी की जाएगी और 15 दिन में जवाब मांगा जाएगा। उसके बाद जांच अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। जांच अधिकारी की रिपोर्ट के बाद अगला फैसला होगा।
मुख्य सचिव पीके चौधरी ने सात पेज की चार्जशीट बनाई
मुख्यमंत्री हुड्डा की मंजूरी के बाद जारी होगी चार्जशीट
चार्जशीट में खेमका पर ये लगाए गए आरोप
तबादले के बाद चार्ज नहीं छोड़ा :
चकबंदी महानिदेशक पद से अशोक खेमका का तबादला 11 अक्तूबर, 2012 को हो गया था। मगर उन्होंने चार दिन तक चार्ज नहीं छोड़ा। उन्होंने 15 अक्तूबर को म्युटेशन रद्द करने का आदेश पारित किया और उसके बाद चार्ज छोड़ा। यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने यह आदेश पारित करने के लिए बदनीयती के कारण चार्ज नहीं छोड़ा था।
गेहूं बीज की कम बिक्री में अभी तैयार नहीं चार्जशीट
बीज विकास निगम का 87000 क्विंटल गेहूं बीज की कम बिक्री होने पर मुख्यमंत्री ने खेमका को चार्जशीट करने की मंजूरी दे रखी है मगर मुख्य सचिव अब तक यह चार्जशीट तैयार नहीं कर पाए हैं।
डीएलएफ के नाम की म्युटेशन रद्द करना गलत :
सरकार का आरोप है कि खेमका ने डीएलएफ की म्युटेशन रद्द करने का गलत आदेश पारित किया। एक तो वह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं था और दूसरा उन्होंने बिना मौका दिए वह आदेश पारित किया। म्युटेशन रद्द करने का अधिकार आयुक्त को था।
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उपायुक्तों को गलत निर्देश जारी किए :
खेमका ने 12 अक्तूबर, 2012 को पलवल, फरीदाबाद, मेवात और गुड़गांव के उपायुक्तों को निर्देश जारी किए वे रॉबर्ट वाड्रा के नाम पर जितनी भी जमीन की खरीद-फरोख्त हुई उसकी स्टांप ड्यूटी चेक करें और अगर कम पाई गई तो वसूली की कार्रवाई करें। सरकार का आरोप है कि ये गलत निर्देश थे क्योंकि इस दौरान करीब तीन हजार रजिस्ट्रियां हुई मगर खेमका ने सिर्फ एक ही व्यक्ति या कंपनी से संबंधित रजिस्ट्रियों की जांच करने को कहा था।
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टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को सलाह दी :
सरकार का आरोप है कि खेमका चकबंदी महानिदेशक थे मगर उन्होंने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को बेवजह सलाह दी कि उन्हें लाइसेंस रिन्यू करने से पहले क्या करना चाहिए।
चैनलों पर सरकार की नीति की निंदा की :
सरकार का आरोप है कि म्युटेशन रद्द करने के बाद खेमका मीडिया में गए और सरकार की नीति की निंदा की। इसके लिए दो अंग्रेजी के अखबारों का हवाला दिया गया और कुछ चैनलों का। खेमका ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जानकारी दी थी कि उन्हें किन परिस्थितियों में चैनलों पर जाना पड़ा था। सरकार ने उनके पत्र को ही आरोप का आधार बनाया।
आल इंडिया सर्विस रूल्स की उल्लंघन :
यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने आल इंडिया सर्विस रूल्स की धारा 3, 5, 6 और 7 का उल्लंघन किया है।
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