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प्राध्यापक भर्ती फिर विवादों में
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शिक्षा निदेशालय ने उन चयनित अध्यापकों व प्राध्यापकों को नियुक्ति पत्र देने पर फिलहाल रोक लगा दी है, जिनके पास दूसरे राज्यों की डिग्रियां हैं। निदेशालय पहले इनकी डिग्रियों की जांच कराना चाहता है। दूसरी तरफ प्रभावित शिक्षक निदेशालय के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं। पंजाब एवं हरियाणा हरियाणा हाईकोर्ट में स्कूल टीचर भर्ती बोर्ड के गठन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज होने के बाद 20 हजार पदों पर चयनित अध्यापकों व प्राध्यापकों की ज्वाइनिंग का रास्ता खुला था लेकिन अब नई अड़चन आ गई है। अकेले रेवाड़ी जिले में ही चयनित अभ्यर्थियों में 150 ऐसे हैं, जिन्होंने गणित, साइंस व अन्य विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन या बीएड की डिग्री दूसरे राज्यों से ली है। पूरे प्रदेश में यह आंकड़ा और भी ज्यादा है। चयनित सूची में शामिल रेवाड़ी के पीयूष, मनोज व राकेश का तर्क है कि जिन विश्वविद्यालयों से उन्होंने डिग्रियां ली हैं, वह यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) से मान्यता प्राप्त हैं। वर्ष 2011 से पहले इन्हीं संस्थानों से डिग्री करने वाले सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। जब उनकी डिग्री पर कोई संदेह नहीं हुआ तो अब यह विवाद क्यों खड़ा किया जा रहा है ? इन युवाओं का कहना है कि अगर उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया तो वह कोर्ट का सहारा लेंगे। |
DSE only can Verify the whether the universities are UGC Approved or not. Why they make unnecessary obstacles for make delay?
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