अगर आपको अपने पीसी या लैपटॉप से लगाव है, तो कंप्यूटर वायरस के बारे में जानना बेहद जरूरी है। आपकी जरा सी लापरवाही से वायरस आपके पीसी पर अटैक करके जरूरी डाटा को खत्म कर सकते हैं। यही नहीं, इससे सिस्टम भी क्रैश हो सकता है। कंप्यूटर वायरस के बारे में अगर थोड़ी सी जानकारी हो, तो आप अपने सिस्टम को इससे बचा सकते हैं।
अपने कंप्यूटर के दुश्मन को जानिए!
कैसे करें बचाव
1.ईमेल के अटैचमेंट्स की जांच करके खोलें।
2.अटैचमेंट्स खोलने से पहले उसकी स्कैनिंग कर उन्हें जांच लें और सुनिश्चित करें कि अटैचमेंट्स परिचित यूजर ने ही भेजा है।
3.डाउनलोड करने से पहले हमेशा फाइल एक्सटेंशन की जांच करें और कई एक्सटेंशन वाली फाइलों को डाउनलोड करने से बचें।
4.ब्राउजर सेटिंग्स को भरोसेमंद वेबसाइटों के मुताबिक अनुकूलित करें।
5.फर्जी या अपरिचित ई-मेल पर ध्यान न दें।
6.अपरिचित यूजर से प्राप्त फाइलें डाउनलोड करने से बचें।
7.एंटी वायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करें और नवीनतम पैच के साथ अपडेट करें।
8. फाइलों को डाउनलोड करने से पहले हमेशा स्कैन करें।
कमल कश्यप
हाल में साइबर सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों ने भारतीय इंटरनेट यूजर्स को एक ऐसे ट्रोजन वायरस के प्रति आगाह किया है, जो यूजर्स के महत्वपूर्ण दस्तावेजों को चोरी छुपे एनक्रिप्ट कर लेता है और उन्हें ′अनलॉक′ करने के लिए ′फिरौती′ मांगता है। इस वायरस को ′गंभीर′ श्रेणी में रखा गया है। साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की दुर्भावना से प्रेरित कोशिश पहली बार देखने को मिल रही है।
एहतियात के तौर पर अब इंटरनेट यूजर्स को अपने कंप्यूटर सिस्टम को सुरक्षित रखने की सलाह दी जा रही है और यूजर्स को अविश्वसनीय स्रोतों से आए मेल के अटैचमेंट डाउनलोड न करने की हिदायत भी दी जा रही है। दरअसल, ज्यादातर कंप्यूटर यूजर्स को वायरस के बारे में जानकारी नहीं होती। वायरस कैसे और क्यों आ जाते हैं, यह कितने टाइप के होते हैं इत्यादि? इसलिए आम तौर पर कंप्यूटर पर अटैक करने वाले वायरस के कुछ मुख्य रूपों के बारे में जानकारी यहां दी जा रही है, जो कंप्यूटर यूजर्स के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है।
बूट सेक्टर वायरस
(Boot Sector Virus)
ः बूट सेक्टर वायरस का असर कंप्यूटर के बूट सेक्टर पर पड़ता है, जिसकी वजह से मशीन स्टार्ट नहीं हो पाती।
ब्राउजर हाइजैकर
(Browser Hijacker)
ः अक्सर वेबसाइट्स खोलते ही विज्ञापन की बाढ़ आ जाती है। ब्राउजर हाइजैकर वायरस इसका मुख्य कारण होते हैं। ब्राउजर हाइजैकर वायरस कंप्यूटर में फ्री डाउनलोड होने वाली एप्लिकेशन से आते हैं। इंटरनेट की दुनिया में वेब विज्ञापन ′ब्राउजर हाईजैकर′ वायरस को बढ़ावा देते हैं।
फाइल इन्फेक्टर वायरस
(File Infector Virus)
ः ये वायरस फाइल को करप्ट करने की बजाय उसके कुछ हिस्से को बदल देता है। उस हिस्से को दोबारा लिखना या प्राप्त करना चाहें तो यह संभव नहीं हो सकता। कुछ मामलों में यह फाइल को हिडेन भी कर देते हैं। फाइल को हिडेन करने के बाद यह उसका डुप्लीकेट आइकन भी बना देता है।
मैक्रो वायरस
(Macro Virus)
ः अक्सर इस प्रकार के वायरस माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस से संबंधित होते हैं। ये आउटलुक के द्वारा ईमेल की कई कॉपी भेजकर यूजर को परेशान कर सकता है। किसी ईमेल, फ्लॉपी डिस्क, यूएसबी डिस्क या किसी साईट से डाटा की डाउनलोडिंग करते वक्त ये वायरस कंप्यूटर में दाखिल हो जाते हैं।www.teacherharyana.blogspot.com (Recruitment , vacancy , job , news)
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