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नकल से डरता रहा बोर्ड, 3 लाख 98 हजार युवाओं को समझता रहा नकलची, इसलिए दूर दिए परीक्षा केंद्र
एचटेट पर भास्कर पड़ताल. परीक्षा बेशक संपन्न हो गई, लेकिन कई सवालों का जवाब न शिक्षा मंत्री के पास न बोर्ड के अफसरों के पास
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एक्सपर्ट व्यू
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ञ्च12,152 परीक्षार्थी नहीं पहुंच पाए परीक्षा केंद्रों पर
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प्रदीप नारायण त्नरेवाड़ी
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शिक्षा बोर्ड की नजर में रविवार को 2014 की हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा (एचटेट) बेशक संपन्न हो गईं। यह परीक्षा कई सवाल भी छोड़ गई जिनका जवाब न किसी पुस्तक में है और न ही शिक्षा मंत्री से लेकर बोर्ड के अधिकारियों से देता बन रहा है। रविवार को लेवल-1 व लेवल-2 परीक्षाओं के संचालन के साथ ही हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा (एचटेट) में 41 केस पकड़े गए हैं। 12,152 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे। नकल व धांधलीबाजी के नाम पर परीक्षा केंद्र दूर दिए जाने से लाखों युवाओं को हुई परेशानी बोर्ड को नजर नहीं आई, लेकिन नकल कराता कौन हैं और पेपर आउट कैसे हो जाते हैं के सवाल पर आखिर बोर्ड कब तक अपनी जिम्मेदारियों से बचता रहेगा। इसी पर भास्कर की पड़ताल। परीक्षा केंद्रों पर बाहरी जिलों के कर्मचारियों की हो नियुक्ति नेट, एचटेट एवं अन्य प्रतियोगिता की तैयारियों को लेकर उपकार पब्लिकेशन के सहयोग से 11 पुस्तकें लिख चुके कंवाली राजकीय कॉलेज में अंग्रेजी के प्राध्यापक डॉ. सूर्यपाल ने बोर्ड के पास कुछ सुझाव भेजे हैं। इस शिक्षाविद के मुताबिक एचटेट की परीक्षा में 4 से 5 लाख युवा आवेदन करते हैं। परीक्षा में पारदर्शिता व नकल को रोकने के लिए दूर परीक्षा केंद्र देना तर्क संगत नहीं है। बोर्ड को सबसे पहले सभी जिलों में परीक्षा केंद्र बनाने चाहिए। परीक्षार्थियों की परीक्षा गृह जिले में हो। नकल व धांधलीबाजी रोकने का सीधा समाधान है कि संबंधित जिले के परीक्षा केंद्रों पर ड्यूटी करने वाले कर्मचारी अन्य जिलों से बुलाया जाए। कर्मचारियों की सूची एक दिन पहले सार्वजनिक हो ताकि कोई चाहकर भी संपर्क नहीं बना पाए। ऐसा करने से लाखों युवा खासकर महिलाओं को बेवजह समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। सवाल ४. जिन जिलों में परीक्षा केंद्र नहीं बनाए वहां सीटेट-नेट की परीक्षा कैसे हो रही है बोर्ड ने इस बार भी पॉलिसी का हवाला देकर धांधलीबाजी से बचने के लिए जींद, भिवानी, रोहतक, झज्जर, मेवात, महेंद्रगढ़, पलवल व सिरसा जिले में एचटेट परीक्षा केंद्र नहीं बनाए। यहां गौर करने लायक बात यह है कि 16 फरवरी को रोहतक में केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) की परीक्षा को लेकर तैयारियां कर ली गई है जबकि इसी जिले में 29 दिसंबर 2013 को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) भी बेहद शांतिपूर्वक ढंग से पुरी हुई थी। ऐसे में सीएम के गृह जिले में एचटेट का परीक्षा केंद्र क्यों नहीं बना। सवाल २. आखिर नकल, धांधलीबाजी और पेपर आउट के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार कौन बोर्ड का तर्क है कि पॉलिसी 2011 पूरी तरह से नकल, धांधलीबाजी व पेपर आउट होने वाली संभावनाओं को खत्म करने के लिए बनाई गई थी, लेकिन पॉलिसी में यह नहीं बताया गया कि आखिर इन सब गड़बडिय़ों के लिए जिम्मेदार कौन हैं, आखिर पेपर तैयार करने से लेकर परीक्षा कराने का पूरा जिम्मा बोर्ड का होता है। इसके लिए बाकायदा आवेदन करने वालों से इस बार 600 रुपए फीस ली गईं। सवाल 5. जहां बोर्ड है वहां परीक्षा केंद्र नहीं बनाना, क्या भिवानी में हंगामे का डर है भिवानी जहां शिक्षा बोर्ड हैं, इस जिले में भी अधिकारियों ने नकल के डर से परीक्षा केंद्र नहीं बनाया। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर नकल को कौन रोकेगा। बेहतर होता बोर्ड भिवानी में निष्पक्ष और शांतिपूर्वक परीक्षा दिलवाकर प्रदेश के अन्य जिलों के लिए एक आदर्श स्थापित करता लेकिन ऐसा नहीं किया। इस पर भी बोर्ड के अधिकारियों ने कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। सवाल ३. टीजीटी परीक्षा में संस्कृत-फिजीकल विषय के साथ भेदभाव क्यों टीजीटी परीक्षा में अन्य विषयों की तरह संस्कृत व फिजीकल एजुकेशन विषय को प्रश्र पत्र में शामिल क्यों नहीं किया गया। मसलन जब किसी ने संस्कृत शिक्षक बनने के लिए यह परीक्षा दी है तो उसके प्रश्र पत्र में संस्कृत विषय से संबंधित सवाल क्यों नहीं होते। उसके स्थान पर 60 नंबर का सामाजिक विषय के प्रश्र किस आधार प दिए जाते हैं जबकि संस्कृत के विद्यार्थी का इस विषय से कोई सरोकार नहीं नहीं होता। यही स्थिति फिजीकल एजुकेशन विद्यार्थियों के साथ बनी हुई है। सवाल १. परीक्षा केंद्र दूर करने से नकल थमती है तो स्कूली बोर्ड पेपर भी दूर हों इस परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्र 100 से 250 किमी दूर दिए जाने के सवाल पर बोर्ड का जवाब था कि नकल व धांधलीबाजी को रोकने के लिए ऐसा करना पड़ा। बाकायदा इसके लिए 2011 में पॉलिसी तक बना दी गई थी। अगर दूर सेंटर देने से नकल खत्म होती हैं तो कायदे से बोर्ड को दसवीं व 12 वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए भी परीक्षा केंद्र अन्य जिलों में बनाने चाहिए। इस पर बोर्ड के अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं था। |
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