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लोकसभा चुनाव के ठीक पहले हरियाणा सरकार को कर्मचारियों के सामने झुकना ही पड़ा। बुधवार को तीन दौर की बातचीत के बाद कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों की नौकरी पक्की करने के साथ ही कर्मचारियों की अधिकतर मांगें सरकार ने मान ली। हालांकि, कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों को नियमित करने के लिए एक शर्त जोड़ दी गई। शर्त यह कि जिन कर्मियों को सीधे सरकार ने अनुबंध पर नियुक्ति दे रखी है, उन्हीं को नियमित कर्मी का दर्जा मिलेगा। ठेकेदारों के माध्यम से या आउटसोर्सिंग पर रखे कर्मियों को पक्का नहीं किया जाएगा। राज्य सरकार ने एक और तोहफा केंद्रीय कर्मियों के समान वेतनमान के रूप में दिया है। इनका पेग्रेड भी संशोधित होगा।
अनुबंधकर्मियों को नियमित करने के लिए 2011 की पॉलिसी में संशोधन होगा। साथ ही उन कर्मियों को भी नियमित किया जाएगा, जो 1996 और 2003 की पॉलिसी के तहत नियमित होने के पात्र थे। लेकिन प्रक्रिया की खामियों या अन्य वजहों से नियमित नहीं हो पाए। कर्मचारी नेताओं ने दावा किया है कि पंजाब की तर्ज पर हुए इस फैसले से उन कर्मचारियों को फायदा मिलेगा, जिन्हें अस्थायी तौर पर काम करते हुए 28 फरवरी, 2014 को 3 साल हो जाएंगे।
दूसरी बार की बैठक करीब आधा घंटे चली, लेकिन दोनों ओर से वार्ता सौहार्दपूर्ण रहने का दावा किया गया। तीसरी बार की बैठक में दोनों पक्षों ने कर्मचारियों की मांगें मान लिए जाने की पुष्टि की।
सबसे पहले भास्कर में: दैनिक भास्कर ने 16 फरवरी को ही 'नियमित होंगे 1.25 लाख कर्मचारी, फैसला 18 के बाद संभव' शीर्षक से प्रकाशित खबर में बता दिया था कि सरकार वर्ष 2011 की पॉलिसी में संशोधन करके अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने की मांग मान सकती है। इस फैसले के तहत 5 साल से अस्थायी तौर पर काम कर रहे कर्मचारियों को फायदा मिल सकता है। जबकि कर्मचारी 2 साल से काम कर रहे अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने की मांग कर रहे थे।
राज्य के विकास में कर्मचारी भागीदार बनेंगे: सीएम
मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कर्मचारियों के साथ बातचीत सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई।एक-एक मांग पर विचार किया गया।कर्मचारियों ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि वे पूरे मनोयोग से प्रदेश के विकास में भागीदार बनेंगे।सरकार के कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे।सरकार ने भी उनकी वाजिब मांगों पर सकारात्मक रवैया अपनाया है।
कर्मचारियों के बड़े वर्ग को मिलेगा फायदा: चौधरी
मुख्य सचिव एस.सी. चौधरी ने कहा कि सरकार के इस फैसले से कर्मचारियों के बहुत बड़े वर्ग को फायदा होगा। सरकार और कर्मचारियों के बीच लंबे समय से चला आ रहा गतिरोध समाप्त हो गया है।
हमारी मांगें मान लीं सरकार ने: दहिया
हरियाणा कर्मचारी तालमेल कमेटी के राज्य प्रधान राज सिंह दहिया ने मीडिया को बताया कि सरकार ने केंद्र के समान वेतनमान देने सहित उनकी अधिकांश मांगें मान ली हैं। अब केंद्र सरकार जब भी वेतनमान लागू करेगी, उसी तर्ज पर हरियाणा के कर्मचारियों को भी वेतनमान मिलेगा।
कर्मचारियों से तीसरी बैठक में हुआ फैसला
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत हरियाणा कर्मचारी तालमेल कमेटी के सदस्यों को वार्ता के लिए दोपहर में ही बुला लिया गया था।इसी वजह से सीएम ने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर अपना वक्तव्य जल्दी पूरा किया। कर्मियों की सीएम के साथ पहली बैठक बेनतीजा रही।
ञ्च तीन साल या इससे अधिक से अस्थायी तौर पर काम कर रहे कर्मी होंगे नियमित।
ञ्च सभी कर्मचारियों को मिलेगी कैश लेस चिकित्सा सुविधा।
ञ्च अस्थायी कर्मचारियों को न्यूनतम 8100 रुपए वेतन मिलेगा। उनका पीएफ और अन्य कटौतियां ठेकेदार अपनी ओर से जमा कराएंगे।
ञ्च न्यूनतम वेतन (8100 रुपए) पर सालाना 5 प्रतिशत की वेतन वृद्धि अनिवार्य।
ञ्च क्लास 4 में काम कर रहे कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए पुराने नियमों के तहत लाभ जारी रहेगा।
ञ्च लेबर लॉ को लेकर बनी कमेटी की सिफारिशें तुरंत प्रभाव से लागू होंगी। स्किल्ड और सेमी स्किल्ड दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की वेतन वृद्धि के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। रिपोर्ट १५ दिन में मिलेगी।
ञ्चकमेटी 15 दिन में रिपोर्ट दे देगी। कोशिश रहेगी कि आम चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले इस पर अमल हो जाए।
इन मांों पर बनी सहमति
चंडीगढ़ त्न राज्य का बजट 28 फरवरी को होना है। उससे पहले ही मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने घोषणाओं का पिटारा खोल दिया। कुछ घोषणाएं सदन में हुईं, तो कुछ कैबिनेट की मीटिंग के बाद। अब प्रदेश में दस हजार रुपए तक के मोबाइल फोन, एसेसरीज, स्पेयर पार्ट और सस्ते होंगे। सरकार ने इन पर वैट दर घटाकर 5 प्रतिशत कर दी है। इससे ज्यादा कीमत के हैंडसैट पर टैक्स 8 प्रतिशत रहेगा। पंजाब में ये दरें अभी 8.5 प्रतिशत हैं। उत्तर प्रदेश और दिल्ली में इन वस्तुओं पर वैट दर बिक्री मूल्य पर ली जाती है।
और सस्ती होंगी फोन-एसेसरीज
आखिरकार झुकी सरकार : केंद्र के समान वेतनमान और कैशलेस इलाज भी, नियमों में होगा संशोधन
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