हरियाणा में आरक्षण के लिए सर्वे पर उठे सवाल हाईकोर्ट में दायर एक याचिका पर reserसुनवाई


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आंकड़ों से छेड़छाड़ का आरोप, हाईकोर्ट का सरकार को नोटिस

हरियाणा में आरक्षण के लिए सर्वे पर उठे सवाल

अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा में आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने से पहले करवाए गए सर्वे पर सवाल उठाया गया है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर
एक याचिका पर मंगलवार को सुनवाई
करते हुए अदालत ने हरियाणा सरकार
को नोटिस जारी कर 19 मई तक जवाब
देने को कहा है। याची ने एमडीयू रोहतक
के सर्वे पर सवाल उठाते हुए आरोप
लगाया है कि सर्वे में आकड़ाें से
छेड़छाड़ की गई है। याची ने
दावा किया है कि सर्वे इस तरह से
बनाया गया है कि कुछ विशेष
वर्गों को आरक्षण का लाभ
दिया जा सके। हाईकोर्ट ने
याची की दलीलाें को गंभीरता से लेते हुए
इस मामले में एमडीयू,
सीआरआरआईडी और सामाजिक
कल्याण विभाग को भी प्रतिवादी बनाने
के निर्देश जारी किए हैं।
मंगलवार को दाखिल करीब 550 पेज
की अर्जी में याचिकाकर्ता ने
हरियाणा सरकार पर
धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। प्रदेश
सरकार ने सबसे पहले
तो सीआरआरआईडी को हरियाणा में
आरक्षण के लिए सर्वे करने
का जिम्मा सौंपा लेकिन जब सर्वे से
मनमाने नतीजे नहीं मिले तो नए सिरे से
सर्वे करवाने का जिम्मा एमडीयू रोहतक
के एक रिटायर्ड प्रोफेसर को दे दिया गया। याचिका में
कहा गया कि राज्य में इसके बाद दोबारा सर्वे किया गया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि एमडीयू के सर्वे से प्राप्त कई आंकड़े ऐसे हैं जो पहले किसी सर्वे से बिलकुल मेेल नहीं खाते हैं।
इन आंकड़ों को इस प्रकार तैयार किया गया है कि जिन
जातियों को आरक्षण देने का सरकार ने मन बनाया था उसे
पिछड़ा दिखाया गया है
जबकि वास्तविकता यह नहीं है।
कई मामलों में इन जातियों से जुडे़ आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है। याचिका में एक उदाहरण देेते हुए बताया गया कि जिन पांच जातियों को आरक्षण का लाभ दिया गया है उनमें से एक जाति के अधिकारियों की संख्या प्रदेश में 40 फीसदी है लेकिन उसे लाभ देने के लिए उनके अधिकारियों की संख्या को सर्वे में बहुत कम दिखाया गया है।

यह है मामला
हरियाणा में आरक्षण की सीमा 70
प्रतिशत किए जाने को हाईकोर्ट में
चुनौती दी गई है। पिछली सुनवाई के
दौरान चीफ जस्टिस संजय किशन कौल
की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। याचिकाकर्ता ने
कहा था कि हरियाणा सरकार ने दो चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ के लिए दो नोटिफिकेशन जारी किए। पहले में हरियाणा में पांच जातियों रोड, जट, जट सिख, त्यागी और बिश्नोई को स्पेशल बैकवर्ड क्लास करार देते हुए उनके लिए शिक्षण संस्थानों में प्रवेश व नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की। एक अन्य नोटिफिकेशन में उन्हें आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण
की व्यवस्था की, जिसके तहत 2.5 लाख रुपए वार्षिक से कम आय वालों को रखा गया।

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