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भास्कर न्यूजत्नसोनीपत
अभी नियम 134-ए के तहत विद्यार्थियों के दाखिले की स्थिति का ड्रा न होने के कारण अभिभावक और स्कूल संचालकों की मुश्किल खत्म नहीं हुई है कि गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का मसला एक बार फिर खड़ा हो गया है। यहां मामला मान्यता को लेकर अटका है। स्कूल संचालकों ने अभिभावकों को भरोसा दिलाया हुआ है कि मान्यता की टेंशन खत्म हो जाएगी, इसलिए अपने बच्चों का दाखिला कहीं और न करवाएं, लेकिन चूंकि शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है, इसलिए अभिभावक भी परेशान हैं कि इंतजार करें या नहीं।
परेशानी का यह है कारण
यह नौबत इसलिए आई है क्योंकि शिक्षा विभाग की ओर से जो एक्सटेंशन संचालकों को दी गई थी उसका समय अब खत्म हो गया है, लेकिन गैर मान्यता प्राप्त स्कूल हाई कोर्ट से स्टे आर्डर पा चुके हैं। अभिभावक से लेकर स्कूल प्रबंधक अब इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या नए सत्र में दाखिला प्रक्रिया का संचालन करें या न करें।
20 स्कूलों पर गिरनी है गाज : गैर मान्यता वाले स्कूलों को लेकर शिक्षा विभाग की ओर से पिछले साल एक रिपोर्ट तैयार की गई थी। इस रिपोर्ट में जिले के 20 से अधिक ऐसे स्कूल शामिल थे जिनके पास हरियाणा स्कूल एक्ट 1995 व एक्ट 2009 के सेक्शन 18 के तहत मान्यता नहीं है। इनमें से अधिकांश स्कूल ऐसे हैं जो पिछले कई सालों से चल रहे हैं और हजारों बच्चे इनमें पढ़ाई कर रहे हैं। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग के निर्देश के बाद विभाग के बीईओ स्तर पर जांच हवा हवाई में की गई थी, जिससे खफा होकर डीईओ सुमन अरोड़ा ने फिर अपने स्तर पर स्कूलों की मान्यता की जांच की थी। विद्यार्थियों एवं स्टॉफ के भविष्य का हवाला देते हुए शिक्षा विभाग ने एक साल का और एक्टेंशन दे दिया। निदेशक सैकेंडरी एजुकेशन की ओर से दी गई एक्सटेंशन के बाद ये स्कूल एक अप्रैल तक और काम कर सकते थे। वह समय भी अब बीत चुका है।
॥सभी स्कूल संचालक मान्यता लेना चाहते हैं, लेकिन विभाग की शर्तें इस कदर कड़ी है कि उन्हें तत्काल पूरा कर पाना आसान नहीं है। इसलिए समय बढ़ाने की अपील कर रहे हैं। कई स्कूल ऐसे हैं जो दो दशक से भी अधिक समय से चल रहे हैं, ऐसे में एकाएक उन्हें बंद कर देने से काफी समस्या खड़ी हो जाएगी। इन स्कूलों को बंद करने की बजाय नियमों में छूट देकर मान्यता दी जानी चाहिए।'' आनंद कुमार, प्रधान, गैर मान्यता प्राप्त स्कूल एसोसिएशन
अधिकांश स्कूल काफी छोटे स्तर पर बनाए गए हैं और वहां फीस भी काफी कम है। ये स्कूल घर के भी काफी नजदीक होते हैं। जिस कारण अभिभावक कम खर्च में बच्चों की पढ़ाई पूरी करवाना चाहते हैं। वहीं काफी स्कूलों में शिक्षक एवं अन्य स्टाफ की नियुक्ति को लेकर भी कोई विशेष शैक्षणिक पैमाना नहीं होता है तो कुछ लोग थोड़ी शैक्षणिक योग्यता से भी रोजगार हांसिल कर लेते हैं।
अभिभावक इंतजार में
क्योंकि गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का मसला एक बार फिर खड़ा हो गया
अभी नियम 134-ए के तहत विद्यार्थियों के दाखिले की स्थिति का ड्रा न होने के कारण अभिभावक और स्कूल संचालकों की मुश्किल खत्म नहीं हुई है कि गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का मसला एक बार फिर खड़ा हो गया है। यहां मामला मान्यता को लेकर अटका है। स्कूल संचालकों ने अभिभावकों को भरोसा दिलाया हुआ है कि मान्यता की टेंशन खत्म हो जाएगी, इसलिए अपने बच्चों का दाखिला कहीं और न करवाएं, लेकिन चूंकि शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है, इसलिए अभिभावक भी परेशान हैं कि इंतजार करें या नहीं।
परेशानी का यह है कारण
यह नौबत इसलिए आई है क्योंकि शिक्षा विभाग की ओर से जो एक्सटेंशन संचालकों को दी गई थी उसका समय अब खत्म हो गया है, लेकिन गैर मान्यता प्राप्त स्कूल हाई कोर्ट से स्टे आर्डर पा चुके हैं। अभिभावक से लेकर स्कूल प्रबंधक अब इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या नए सत्र में दाखिला प्रक्रिया का संचालन करें या न करें।
20 स्कूलों पर गिरनी है गाज : गैर मान्यता वाले स्कूलों को लेकर शिक्षा विभाग की ओर से पिछले साल एक रिपोर्ट तैयार की गई थी। इस रिपोर्ट में जिले के 20 से अधिक ऐसे स्कूल शामिल थे जिनके पास हरियाणा स्कूल एक्ट 1995 व एक्ट 2009 के सेक्शन 18 के तहत मान्यता नहीं है। इनमें से अधिकांश स्कूल ऐसे हैं जो पिछले कई सालों से चल रहे हैं और हजारों बच्चे इनमें पढ़ाई कर रहे हैं। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग के निर्देश के बाद विभाग के बीईओ स्तर पर जांच हवा हवाई में की गई थी, जिससे खफा होकर डीईओ सुमन अरोड़ा ने फिर अपने स्तर पर स्कूलों की मान्यता की जांच की थी। विद्यार्थियों एवं स्टॉफ के भविष्य का हवाला देते हुए शिक्षा विभाग ने एक साल का और एक्टेंशन दे दिया। निदेशक सैकेंडरी एजुकेशन की ओर से दी गई एक्सटेंशन के बाद ये स्कूल एक अप्रैल तक और काम कर सकते थे। वह समय भी अब बीत चुका है।
॥सभी स्कूल संचालक मान्यता लेना चाहते हैं, लेकिन विभाग की शर्तें इस कदर कड़ी है कि उन्हें तत्काल पूरा कर पाना आसान नहीं है। इसलिए समय बढ़ाने की अपील कर रहे हैं। कई स्कूल ऐसे हैं जो दो दशक से भी अधिक समय से चल रहे हैं, ऐसे में एकाएक उन्हें बंद कर देने से काफी समस्या खड़ी हो जाएगी। इन स्कूलों को बंद करने की बजाय नियमों में छूट देकर मान्यता दी जानी चाहिए।'' आनंद कुमार, प्रधान, गैर मान्यता प्राप्त स्कूल एसोसिएशन
अधिकांश स्कूल काफी छोटे स्तर पर बनाए गए हैं और वहां फीस भी काफी कम है। ये स्कूल घर के भी काफी नजदीक होते हैं। जिस कारण अभिभावक कम खर्च में बच्चों की पढ़ाई पूरी करवाना चाहते हैं। वहीं काफी स्कूलों में शिक्षक एवं अन्य स्टाफ की नियुक्ति को लेकर भी कोई विशेष शैक्षणिक पैमाना नहीं होता है तो कुछ लोग थोड़ी शैक्षणिक योग्यता से भी रोजगार हांसिल कर लेते हैं।
अभिभावक इंतजार में
क्योंकि गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का मसला एक बार फिर खड़ा हो गया
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