www.teacherharyana.blogspot.com (Recruitment , vacancy , job , news) www.facebook.com/teacherharyanaसीबीएसई ने लेदर शूज़ पर लगाई रोक
कहा लेदर विद्यार्थियों को पहुंचाता है नुकसान
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) से जुड़े स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थी नए सत्र से लेदर
शूज पहनकर स्कूल नहीं जा सकेंगे।
बोर्ड ने स्कूल में लेदर शूज पहने पर
रोक लगाने के अपनी बेवसाइट पर
दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।
सभी स्कूलों को भी पत्र भेज कर इस
संबंध में सूचना दी जा रही है।
बोर्ड द्वारा जारी दिशा निर्देश में
कहा गया है कि लेदर
उत्पादों को बनाने की प्रक्रिया में
कई तरह के केमिकल्स यूज होते हैं,
जो बच्चों के शरीर पर हानिकारक
प्रभाव डालते हैं। इसके साथ
ही लेदर बनाने की प्रक्रिया से
वातावरण में भारी प्रदूषण होता है,
जो हवा और पानी में जहर फैलता है।
बोर्ड ने इको फ्रेंडली एनवायरमेंट
बनाने की दिशा में
गतिविधियां संचालित करने
की भी बात कही है। पत्र में लेदर
शूज के बजाय कैनवस शूज पहनने
की सलाह दी गई है। इसके पीछे तर्क
दिया गया है कि कैनवस शूज हल्के,
सस्ते और पहनने में आरामदायक होते
हैं। साथ ही इससे पर्यावरण
को भी नुकसान नहीं होता। बोर्ड
की प्रवक्ता रीमा शर्मा ने
बताया कि लेदर से पर्यावरण
को भारी नुकसान होता है। इसलिए
बोर्ड ने इसके उपयोग को बंद करने
के लिए स्कूलों को पत्र लिखा है।
शूज पहनकर स्कूल नहीं जा सकेंगे।
बोर्ड ने स्कूल में लेदर शूज पहने पर
रोक लगाने के अपनी बेवसाइट पर
दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।
सभी स्कूलों को भी पत्र भेज कर इस
संबंध में सूचना दी जा रही है।
बोर्ड द्वारा जारी दिशा निर्देश में
कहा गया है कि लेदर
उत्पादों को बनाने की प्रक्रिया में
कई तरह के केमिकल्स यूज होते हैं,
जो बच्चों के शरीर पर हानिकारक
प्रभाव डालते हैं। इसके साथ
ही लेदर बनाने की प्रक्रिया से
वातावरण में भारी प्रदूषण होता है,
जो हवा और पानी में जहर फैलता है।
बोर्ड ने इको फ्रेंडली एनवायरमेंट
बनाने की दिशा में
गतिविधियां संचालित करने
की भी बात कही है। पत्र में लेदर
शूज के बजाय कैनवस शूज पहनने
की सलाह दी गई है। इसके पीछे तर्क
दिया गया है कि कैनवस शूज हल्के,
सस्ते और पहनने में आरामदायक होते
हैं। साथ ही इससे पर्यावरण
को भी नुकसान नहीं होता। बोर्ड
की प्रवक्ता रीमा शर्मा ने
बताया कि लेदर से पर्यावरण
को भारी नुकसान होता है। इसलिए
बोर्ड ने इसके उपयोग को बंद करने
के लिए स्कूलों को पत्र लिखा है।
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