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हरियाणा के 'अनमोल रत्न': इस सीरीज में हम आपको हरियाणा के उन लोगों की जानकारी देते हैं जिन्होंने अपने कारनामों से प्रदेश का नाम विश्व या देश स्तर पर ऊंचा किया हो। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसा आम आदमी की, जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जान बचाई थी।
देश की सरकार अक्सर कहती है पिछले दो दशक में देश ने बहूत तरक्की की है। शिक्षा, परिवहन और स्वास्थ्य से लेकर हर क्षेत्र में देश ने विकास किया है। लेकिन सच तो यह है कि हमारा देश आज भी गरीबी की जंजीरो में जकड़ा हुआ है। इस बात का अंदाजा फूटपाथ और झुगियो में सो रहे गरीब लोगों से लगया जा सकता है। इतना ही नहीं आज हमारा देश गरीबी की दिशा में इस कगार पर पहुंच गया है कि देश की सेना से रिटायर्ड जांबाज सिपाहियों को भी दो जून की रोटी का जुगाड़ करने के लिए मजदूरी करनी पड़ रही है। जीवन कुर्बान कर देने का जज्बा रखने वाला बहादुर जवान आज 53 साल की उम्र में मजदूरी करने को मजबूर है।
10 जनवरी, 1981 को पेरा रेजिमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए महेंद्रगढ़ की कनीना तहसील के गांव पोटा निवासी भरत सिंह ने श्रीलंका दौरे के समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को श्रीलंकाई सैनिक द्वारा राइफल का बट मारने की रची गई साजिश को नाकाम कर दिया था।
उसके इस कार्य के लिए उन्हें शांति पुरस्कार भी दिया गया। लेकिन वहीं सैनिक आज अपने कंधों पर ईंटों का बोझ लिए हिसार के हांसी में मजदूरी करने को मजबूर है। आजकल वह राजमिस्त्री के साथ मजदूरी कर रहा है।
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