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पक्के होंगे कर्मचारी
चंडीगढ़. हरियाणा सरकार अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में पूरी तरह से जुट गई है। इस क्रम में सबसे पहले थर्ड और फोर्थ ग्रेड के कर्मचारियों को पक्का कर जनता को लुभाने की कोशिश की गई है। बुधवार को मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कैबिनेट की बैठक में कई और भी अहम फैसले लिए। खून के रिश्तों में होने वाली जमीन की रजिस्ट्री पर स्टांप ड्यूटी माफ करने के साथ ही 15 जून के बाद प्रदेश में टोल वसूली की दरें कम करने का रास्ता भी साफ होगा।
नियमित करने के लिए शर्त
मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने बताया कि अनुबंध आधार पर नियुक्त किए तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को नियमित करने के लिए पंजाब सरकार की नीति हू-ब-हू लागू की जा रही है। हुड्डा ने कहा कि यह नीति उनकी घोषणा के साथ ही यानी 28 मई, 2014 से ही लागू होगी।
मुख्यमंत्री के अनुसार राज्य सरकार ने कर्मचारी तालमेल कमेटी के साथ हुई बातचीत में हुए निर्णय को पूरी तरह मान लिया है। उल्लेखनीय है कि पंजाब सरकार ने 28 मार्च, 2011 को लागू रेगुलराइजेशन नीति के अंतर्गत ग्रुप 'सी' व 'डी' के स्टाफ की सेवा नियमित की थी। उसी तर्ज पर हरियाणा में भी सरकार या सरकार की स्वीकृत एजेंसियों के माध्यम से अनुबंध पर रखे गए वैसे कर्मचारी नियमित होंगे, जिनके 28 मई, 2014 को तीन साल पूरे हुए हों। साथ ही इनकी नियुक्ति स्वीकृत रिक्त पदों के विरुद्ध होने की शर्त भी रखी गई है।

मुख्यमंत्री के अनुसार राज्य सरकार ने कर्मचारी तालमेल कमेटी के साथ हुई बातचीत में हुए निर्णय को पूरी तरह मान लिया है। उल्लेखनीय है कि पंजाब सरकार ने 28 मार्च, 2011 को लागू रेगुलराइजेशन नीति के अंतर्गत ग्रुप 'सी' व 'डी' के स्टाफ की सेवा नियमित की थी। उसी तर्ज पर हरियाणा में भी सरकार या सरकार की स्वीकृत एजेंसियों के माध्यम से अनुबंध पर रखे गए वैसे कर्मचारी नियमित होंगे, जिनके 28 मई, 2014 को तीन साल पूरे हुए हों। साथ ही इनकी नियुक्ति स्वीकृत रिक्त पदों के विरुद्ध होने की शर्त भी रखी गई है।

पुराने वंचित कर्मियों को भी मिलेगा लाभ
नई नीति के तहत 17 जून 1997, 5 नवंबर 1999 और 1 अक्टूबर, 2003 की नीति में प्रशासनिक कारणों से जो कर्मचारी नियमित नहीं हो पाए थे, उन्हें भी नई नीति का लाभ मिलेगा। साथ ही ठेके पर काम कर रहे ग्रुप-बी के ऐसे कर्मचारी जो वर्ष 1996 की नीति के अंतर्गत पात्र थे, लेकिन सरकार द्वारा 8 दिसंबर, 1997 को नीति वापस लेने के कारण नियमित नहीं हो पाए थे। इन्हें भी नई नीति के तहत नियमित किया जाएगा।
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