प्रतिनियुक्ति कर नियमों की उल्लंघना कर रहा विभाग


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‘प्रतिनियुक्ति कर नियमों की उल्लंघना कर रहा विभाग’ 35


संवाद सहयोगी, गुहला-चीका : शिक्षा विभाग में अधिकारियों की मिलीभगत से कुछ अध्यापक शिक्षा अधिकार कानून का उल्लंघन कर महानिदेशक प्राथमिक शिक्षा कार्यालय पंचकूला में डटे बैठे हैं। 1यह खुलासा करते हुए महासंघ से संबद्ध अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप सरीन व महासचिव संजीव मंदौला ने बताया कि शिक्षा अधिकार कानून के आर्टिकल नंबी 27 के तहत किसी शिक्षा देने के सिवाय कोई अन्य गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जा सकता है। कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे जनगणना, प्राकृतिक आपदा या चुनाव में इसी प्रकार का गैर शैक्षणिक कार्य लिया जा सकता है। परंतु कुछ अधिकारियों के चहेते जेबीटी अध्यापक प्राथमिक शिक्षा महानिदेशक की नाक के नीचे उनके कार्यालय में अपना स्कूल छोड़कर वषों से प्रतिनियुक्त करवा कर कार्यो में व्यस्त है। इस कार्य में उनकी क्या दिलचस्पी है यह तो वह अध्यापक या उनकी प्रतिनियुक्त करने वाले अधिकारी ही बता सकते है परंतु शिक्षा विभाग में कानूनों की किस प्रकार धज्जियां उड़ाई जा सकती है यह इसका जीता जागता उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह अध्यापक इस कार्यालय में क्यों प्रतिनियुक्त किए गए, किस के द्वारा किए गए यह तो विभाग ही बता सकता है। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में कहीं न कहीं मिलीभगत से भ्रष्टाचार की बू भी आती है। 1संघ के चेयरमैन कुलभूषण शर्मा ने कहा कि यह केवल अध्यापकों का मामला ही नहीं है यह तो सभी प्रतिनियुक्त उन लिपिकों की भी शिक्षा कार्यालयों में अधिकारियों ने कर रखी है जिनके तबादले महानिदेशक समीरपाल सरो के समय में जिला व खंड शिक्षा कार्यालयों से डटे लिपिकों को स्कूलों में किए गए थे। उन्होंने कहा कि कुछ ही समय के बाद ही लिपिक अधिकारियों की कृपा से फिर प्रतिनियुक्ति करवा कर अपने मनवांछित कार्यालयों में आ गए। इससे यह तो साफ साबित होता है कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार का ढिंढोरा पीटने वाले अधिकारी स्वयं कितना पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही इस बारे मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री से मिलकर इस सारे प्रकरण का खुलासा कर उचित कार्रवाई का अनुरोध किया जाएगा।संवाद सहयोगी, गुहला-चीका : शिक्षा विभाग में अधिकारियों की मिलीभगत से कुछ अध्यापक शिक्षा अधिकार कानून का उल्लंघन कर महानिदेशक प्राथमिक शिक्षा कार्यालय पंचकूला में डटे बैठे हैं। 1यह खुलासा करते हुए महासंघ से संबद्ध अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप सरीन व महासचिव संजीव मंदौला ने बताया कि शिक्षा अधिकार कानून के आर्टिकल नंबी 27 के तहत किसी शिक्षा देने के सिवाय कोई अन्य गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जा सकता है। कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे जनगणना, प्राकृतिक आपदा या चुनाव में इसी प्रकार का गैर शैक्षणिक कार्य लिया जा सकता है। परंतु कुछ अधिकारियों के चहेते जेबीटी अध्यापक प्राथमिक शिक्षा महानिदेशक की नाक के नीचे उनके कार्यालय में अपना स्कूल छोड़कर वषों से प्रतिनियुक्त करवा कर कार्यो में व्यस्त है। इस कार्य में उनकी क्या दिलचस्पी है यह तो वह अध्यापक या उनकी प्रतिनियुक्त करने वाले अधिकारी ही बता सकते है परंतु शिक्षा विभाग में कानूनों की किस प्रकार धज्जियां उड़ाई जा सकती है यह इसका जीता जागता उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह अध्यापक इस कार्यालय में क्यों प्रतिनियुक्त किए गए, किस के द्वारा किए गए यह तो विभाग ही बता सकता है। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में कहीं न कहीं मिलीभगत से भ्रष्टाचार की बू भी आती है। 1संघ के चेयरमैन कुलभूषण शर्मा ने कहा कि यह केवल अध्यापकों का मामला ही नहीं है यह तो सभी प्रतिनियुक्त उन लिपिकों की भी शिक्षा कार्यालयों में अधिकारियों ने कर रखी है जिनके तबादले महानिदेशक समीरपाल सरो के समय में जिला व खंड शिक्षा कार्यालयों से डटे लिपिकों को स्कूलों में किए गए थे। उन्होंने कहा कि कुछ ही समय के बाद ही लिपिक अधिकारियों की कृपा से फिर प्रतिनियुक्ति करवा कर अपने मनवांछित कार्यालयों में आ गए। इससे यह तो साफ साबित होता है कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार का ढिंढोरा पीटने वाले अधिकारी स्वयं कितना पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही इस बारे मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री से मिलकर इस सारे प्रकरण का खुलासा कर उचित कार्रवाई का अनुरोध किया जाएगा

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