कर्मचारियों को नियमित करने में अभी कई पेंच राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : प्रदेश सरकार ने कच्चे कर्मचारियों को भले ही पंजाब की नीति के मुताबिक पक्का करने का फैसला कर लिया है, लेकिन इन कर्मचारियों के नियमित होने में कई तकनीकी पेंच फंसे हुए हैं। हरियाणा के सिर्फ उन्हीं कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने पर पंजाब की नीति लागू मानी जाएगी, जिनकी नियुक्तियां वैध और पारदर्शी तरीके से हुई हैं। प्रदेश में ज्यादातर कच्चे कर्मचारी इन शर्तो के मुताबिक नहीं लगे हुए हैं। ऐसे में कच्चे कर्मचारियों को पक्का होने में काफी मशक्कत उठानी पड़ सकती है। हरियाणा में अनुबंध आधार पर लगे तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने के लिए पंजाब सरकार की नीति 28 मई 2014 से लागू मानी जाएगी। यह फैसला राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया है।1पंजाब सरकार ने अपने यहां 28 मार्च 2011 को कर्मचारियों को नियमित करने की नीति लागू की थी। इसके अंतर्गत हरियाणा में ग्रुप बी, सी व डी के ऐसे कर्मचारी जो केंद्र या राज्य सरकार की स्वीकृत एजेंसियों के माध्यम से अनुबंध आधार पर 28 मई 2014 को तीन वर्ष की अवधि पूरी करते है तथा स्वीकृत रिक्त पदों के विरुद्ध लगे थे, उन्हें ही पंजाब की नीति का लाभ मिलेगा। प्रदेश सरकार ने 17 जून 1997, 5 नवंबर 1999 तथा 1 अक्टूबर 2003 की नीति में प्रशासनिक कारणों से नियमित होने से वंचित रह गए पात्र कर्मचारियों को भी उसी तिथि से नियमित करने को सहमति प्रदान की है। एडहॉक पर लगे ग्रुप-बी के उन कर्मचारियों को जो वर्ष 1996 की नीति के अंतर्गत पात्र थे लेकिन सरकार के आठ दिसंबर 1997 को नीति वापस लेने के कारण नियमित होने से वंचित रह गए थे, उनको भी नीति जारी होने की तिथि से नियमित किया जाएगा। 1पंजाब की वर्ष 2011 की नियमितीकरण नीति का लाभ हरियाणा सरकार के विभागों, बोर्ड, निगमों में कार्यरत उन कर्मचारियों को मिलेगा, जो ठेके पर, दिहाड़ी या एडहॉक पर हैं। बशर्ते उनकी नियुक्ति पारदर्शी तरीके से हुई है। आउटसोर्सिग पालिसी के तहत कार्यरत कर्मियों को इसका फायदा नहीं मिलेगा। यानि नियमित होने के लिए बताई जा रही शर्ते ही कच्चे कर्मचारियों के पक्का होने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा हैं। हरियाणा कर्मचारी तालमेल कमेटी के सदस्य सुभाष लांबा के अनुसार पंजाब की नीति का लाभ कच्चे कर्मचारियों को नहीं मिलेगा। इसके तहत वही कर्मचारी पक्के होंगे, जो वैध तरीके से लगे हैं। यानि खाली स्वीकृत पदों के विरुद्ध उनकी नियुक्ति होनी चाहिए व नियुक्ति के समय पद का विज्ञापन निकला हुआ हो। हरियाणा में कच्चे कर्मचारी इन शर्तो के तहत लगे ही नहीं हैं। ऐसे में करीब पांच हजार कर्मचारी ही नियम व शर्तो को पूरा करने के दायरे में आते हैं, जबकि राज्य में करीब 55 हजार कच्चे कर्मचारी हैं, जो पक्का होने की आस लगाए बैठे हैं। बिना शर्त तीन वर्ष की सेवा पूरी चुके सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का निर्णय लिया जाना चाहिए। 1सर्व कर्मचारी संघ के प्रधान धर्मबीर सिंह फौगाट के अनुसार 17 व 18 जून को सभी विधायकों एवं सांसदों को प्रदर्शन करते हुए ज्ञापन सौंपंे जाएंगे। 29 जून को राज्य कार्यकारिणी की बैठक आयोजित कर आंदोलन की रणनीति तय होगी। संघ के मुख्य संगठनकर्ता वीरेंद्र डंगवाल, उपमहासचिव जीवन सिंह व प्रेस सचिव वजीर सिंह के अनुसार राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कच्चे कर्मचारियांे को पक्का करने की जिस नीति को मंजूरी दी है, उसमें लगाई गई शर्तो के कारण राज्य के कच्चे कर्मचारी पक्के नहीं हो सकेंगे। इसलिए राज्य सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : प्रदेश सरकार ने कच्चे कर्मचारियों को भले ही पंजाब की नीति के मुताबिक पक्का करने का फैसला कर लिया है, लेकिन इन कर्मचारियों के नियमित होने में कई तकनीकी पेंच फंसे हुए हैं। हरियाणा के सिर्फ उन्हीं कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने पर पंजाब की नीति लागू मानी जाएगी, जिनकी नियुक्तियां वैध और पारदर्शी तरीके से हुई हैं। प्रदेश में ज्यादातर कच्चे कर्मचारी इन शर्तो के मुताबिक नहीं लगे हुए हैं। ऐसे में कच्चे कर्मचारियों को पक्का होने में काफी मशक्कत उठानी पड़ सकती है। हरियाणा में अनुबंध आधार पर लगे तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने के लिए पंजाब सरकार की नीति 28 मई 2014 से लागू मानी जाएगी। यह फैसला राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया है।1पंजाब सरकार ने अपने यहां 28 मार्च 2011 को कर्मचारियों को नियमित करने की नीति लागू की थी। इसके अंतर्गत हरियाणा में ग्रुप बी, सी व डी के ऐसे कर्मचारी जो केंद्र या राज्य सरकार की स्वीकृत एजेंसियों के माध्यम से अनुबंध आधार पर 28 मई 2014 को तीन वर्ष की अवधि पूरी करते है तथा स्वीकृत रिक्त पदों के विरुद्ध लगे थे, उन्हें ही पंजाब की नीति का लाभ मिलेगा। प्रदेश सरकार ने 17 जून 1997, 5 नवंबर 1999 तथा 1 अक्टूबर 2003 की नीति में प्रशासनिक कारणों से नियमित होने से वंचित रह गए पात्र कर्मचारियों को भी उसी तिथि से नियमित करने को सहमति प्रदान की है। एडहॉक पर लगे ग्रुप-बी के उन कर्मचारियों को जो वर्ष 1996 की नीति के अंतर्गत पात्र थे लेकिन सरकार के आठ दिसंबर 1997 को नीति वापस लेने के कारण नियमित होने से वंचित रह गए थे, उनको भी नीति जारी होने की तिथि से नियमित किया जाएगा। 1पंजाब की वर्ष 2011 की नियमितीकरण नीति का लाभ हरियाणा सरकार के विभागों, बोर्ड, निगमों में कार्यरत उन कर्मचारियों को मिलेगा, जो ठेके पर, दिहाड़ी या एडहॉक पर हैं। बशर्ते उनकी नियुक्ति पारदर्शी तरीके से हुई है। आउटसोर्सिग पालिसी के तहत कार्यरत कर्मियों को इसका फायदा नहीं मिलेगा। यानि नियमित होने के लिए बताई जा रही शर्ते ही कच्चे कर्मचारियों के पक्का होने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा हैं। हरियाणा कर्मचारी तालमेल कमेटी के सदस्य सुभाष लांबा के अनुसार पंजाब की नीति का लाभ कच्चे कर्मचारियों को नहीं मिलेगा। इसके तहत वही कर्मचारी पक्के होंगे, जो वैध तरीके से लगे हैं। यानि खाली स्वीकृत पदों के विरुद्ध उनकी नियुक्ति होनी चाहिए व नियुक्ति के समय पद का विज्ञापन निकला हुआ हो। हरियाणा में कच्चे कर्मचारी इन शर्तो के तहत लगे ही नहीं हैं। ऐसे में करीब पांच हजार कर्मचारी ही नियम व शर्तो को पूरा करने के दायरे में आते हैं, जबकि राज्य में करीब 55 हजार कच्चे कर्मचारी हैं, जो पक्का होने की आस लगाए बैठे हैं। बिना शर्त तीन वर्ष की सेवा पूरी चुके सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का निर्णय लिया जाना चाहिए। 1सर्व कर्मचारी संघ के प्रधान धर्मबीर सिंह फौगाट के अनुसार 17 व 18 जून को सभी विधायकों एवं सांसदों को प्रदर्शन करते हुए ज्ञापन सौंपंे जाएंगे। 29 जून को राज्य कार्यकारिणी की बैठक आयोजित कर आंदोलन की रणनीति तय होगी। संघ के मुख्य संगठनकर्ता वीरेंद्र डंगवाल, उपमहासचिव जीवन सिंह व प्रेस सचिव वजीर सिंह के अनुसार राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कच्चे कर्मचारियांे को पक्का करने की जिस नीति को मंजूरी दी है, उसमें लगाई गई शर्तो के कारण राज्य के कच्चे कर्मचारी पक्के नहीं हो सकेंगे। इसलिए राज्य सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।
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Ravi
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