फर्जी मार्कशीट से बने 20,000 शिक्षक कैसे बन गए शिक्षक? बिहार में बच्चों को पढ़ाने वाले 20,000 से ज्यादा शिक्षक खुद ही फर्जी मार्कशीट लगाकर नौकरी पाए हैं। इस बात का खुलासा शिक्षकों के प्रमाण पत्र जांचने के बाद हुआ है। बिहार में नवंबर 2005 में नीतिश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद बड़े स्तर पर संविदा पर शिक्षकों की भर्ती हुई थी। इस दौरान कक्षा 1-12 तक के लिए करीब 1.42 लाख शिक्षकों को नियुक्त किया गया था। फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी पाने के मामले में बड़े स्तर पर शिकायतें दर्ज करवाई जा रही थी। बड़े स्तर पर शिकायत मिलने के बाद सरकार ने 1.42 लाख शिक्षकों के प्रमाण पत्र जांचने की प्रकिया शुरू कर दी है। राज्य के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक अभी 7,000 लोगों के प्रमाण पत्रों की जांच की गई है जिसमें से 779 शिक्षकों को को गलत प्रमाण पत्र लगाने के कारण नौकरी से निकाल दिया गया है। टेस्ट न पास करने पर निकाला 2,734 शिक्षकों को इसके अलावा 2,734 शिक्षकों को दो बार योग्यता परीक्षा पास न करने के करण निकाल दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक पता चला है कि बड़े स्तर पर लोगों ने फर्जीवाड़ा किया है। बड़े स्तर पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को दो चरणों में किया गया था। शिक्षक नियोजन 2006 और 2008 में बड़े पैमाने पर संविदा आधार पर शिक्षकों को नियुक्त किया गया था। इस शिक्षक भर्ती में इंटर, स्नातक, परास्नातक और बी.एड के अंकों को मानक बनाया गया था। इस प्रक्रिया को वर्ष 2012 में बंद कर दिया गया और शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी प्रवेश परीक्षा को शुरू किया गया। लेकिन वर्ष 2012 में नियुक्तियों की भी अभी जांच की जा रही है। 40,000 लोगों ने दर्ज कराई शिकायत प्राथमिक शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक आर एस सिंह ने बताया कि करीब 12,000 लोगों ने शिक्षक नियोजन भर्ती प्रक्रिया 2006 के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराई है। इस भर्ती प्रक्रिया में 1.10 लाख शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। वहीं 2008 शिक्षक नियोजन भर्ती प्रक्रिया में 32,000 लोगों को नियुक्ति दी गई थी। इस पर बिहार के 38 जिलों में करीब 40,000 लोगों ने शिकायत दर्ज कराई है।
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