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जाट आरक्षण को चुनौती देती एक और याचिका दायर
चंडीगढ़ (ब्यूरो)। हरियाणा सरकार द्वारा पांच जातियों जाट,
जट्ट सिख, बिश्नोई, रोड़ एवं त्यागी को विशेष पिछड़ा वर्ग में
शामिल करने के हरियाणा सरकार के फैसले को चुनौती देती एक
और याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है। पहले भी इसी तरह
की एक याचिका आ चुकी है। वीरवार को आई
याचिका को भी पहले वाली याचिका के साथ जोड़
दिया गया है। सुनवाई 21 जुलाई को होगी। शोषित समाज
भिवानी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने याचिका में आरक्षण
की नोटिफिकेशन रद्द करने की मांग की है। आरोप लगाया है
कि आरक्षण को सर्वेक्षण किए बगैर और राजनीतिक लाभ
की मंशा से दिया गया। पिछले साल 24
जनवरी को जारी आरक्षण की नोटिफिकेशन के मुताबिक इन
जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल
किया गया था और इनके लिए नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण
दिया गया। बाद में सितंबर में एक और नोटिफिकेशन
जारी की गई।
जिसके तहत सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी 10
फीसदी आरक्षण सरकारी नौकरियों में और चार प्रतिशत आरक्षण
स्थानीय संस्थानों में आरक्षण दिया गया। याचिका में
कहा गया है कि इस हिसाब से अब हरियाणा में आरक्षम 70
प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो असंवैधानिक है।
जट्ट सिख, बिश्नोई, रोड़ एवं त्यागी को विशेष पिछड़ा वर्ग में
शामिल करने के हरियाणा सरकार के फैसले को चुनौती देती एक
और याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है। पहले भी इसी तरह
की एक याचिका आ चुकी है। वीरवार को आई
याचिका को भी पहले वाली याचिका के साथ जोड़
दिया गया है। सुनवाई 21 जुलाई को होगी। शोषित समाज
भिवानी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने याचिका में आरक्षण
की नोटिफिकेशन रद्द करने की मांग की है। आरोप लगाया है
कि आरक्षण को सर्वेक्षण किए बगैर और राजनीतिक लाभ
की मंशा से दिया गया। पिछले साल 24
जनवरी को जारी आरक्षण की नोटिफिकेशन के मुताबिक इन
जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल
किया गया था और इनके लिए नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण
दिया गया। बाद में सितंबर में एक और नोटिफिकेशन
जारी की गई।
जिसके तहत सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी 10
फीसदी आरक्षण सरकारी नौकरियों में और चार प्रतिशत आरक्षण
स्थानीय संस्थानों में आरक्षण दिया गया। याचिका में
कहा गया है कि इस हिसाब से अब हरियाणा में आरक्षम 70
प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो असंवैधानिक है।
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