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कर्मियों को नियमित करने के मामले में जवाब-तलब
हाईकोर्ट ने पूछा, क्यों न नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी जाए
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार की ओर से सभी विभागों के अनुबंध, दिहाड़ीदार और एडहॉक कर्मचारियों को नियमित करने के लिए जारी नोटिफिकेशन को सोनीपत निवासी योगेश त्यागी ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि सरकार एक बार ही ऐसी नीति बना सकती थी, जो बन चुकी है। इसके बाद नीति बनाकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के फैसले का उल्लंघन किया है। इस मामले में हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी जाए। मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी।
मामले की सुनवाई जस्टिस एसके मित्तल के नेतृत्व वाली डिवीजन बेंच के समक्ष हुई। वरिष्ठ एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने पैरवी करते कहा कि एक अप्रैल 2006 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि राज्य सरकार कर्मचारियों को पक्का करने के लिए एक बार ही नीति जारी कर सकती है। इसके अलावा यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि नियमित करना भर्ती का कोई माध्यम नहीं हो सकता।
हवाला दिया गया कि लेक्चररों के लिए आवेदन मांगे गए हैं, लेकिन सरकार की नोटिफिकेशन के हिसाब से पहले से अस्थायी तौर पर काम कर रहे दूसरे कर्मचारियों के पक्के होने पर नई भर्ती क ी प्रक्रिया का औचित्य ही नहीं रह जाएगा।
हाईकोर्ट को बताया गया कि हरियाणा सरकार 2011 में एक नोटिफिकेशन जारी करके कच्चे कर्मचारियों को नियमित कर चुकी है, लेकिन इसके बाद अब दो और नोटिफिकेशन जारी करके कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जा रहा है। वह भी ऐसे समय में, जब विधानसभा चुनाव के लिए कुछ ही दिन शेष बचे हैं। सरकार ने जो नीति बनाई हैं, उनमें तीन साल के कच्चे कर्मचारी रेगुलर होंगे।
इसके साथ ही अन्य नोटिफिकेशन में कहा गया है कि 2018 में 10 साल की सेवा मुकम्मल करने वाले कच्चे कर्मचारी भी नियमित कर दिए जाएंगे। याचिका में कहा गया है कि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन होगा
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