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रोहतक का सीएम’ की छवि बदलने के लिए दो सीटों पर लड़ सकते हैं हुड्डा
सिर्फ ‘रोहतक का सीएम’ होने की छाप छुड़ाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस बार रोहतक से बाहर भी एक सीट पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। अभी हुड्डा रोहतक संसदीय क्षेत्र के हलके गढ़ी-सांपला-किलोई से विधायक हैं। इसके पीछे एक सोच यह भी है कि भाजपा और इनेलो को अपनी ताकत दो सीटों पर डायवर्ट करनी पड़ेगी। अभी तक भाजपा गढ़ी-सांपला-किलोई में ही हुड्डा की किलेबंदी करने के लिए जोर लगा रही है।
सिर्फ ‘रोहतक का सीएम’ होने की छाप छुड़ाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस बार रोहतक से बाहर भी एक सीट पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। अभी हुड्डा रोहतक संसदीय क्षेत्र के हलके गढ़ी-सांपला-किलोई से विधायक हैं। इसके पीछे एक सोच यह भी है कि भाजपा और इनेलो को अपनी ताकत दो सीटों पर डायवर्ट करनी पड़ेगी। अभी तक भाजपा गढ़ी-सांपला-किलोई में ही हुड्डा की किलेबंदी करने के लिए जोर लगा रही है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस रणनीतिक फैसले से हाईकमान भी सहमत है। वैसे कांग्रेस के टिकट के लिए मुख्यमंत्री के मौजूदा हलके से और किसी ने आवेदन नहीं किया जबकि हुड्डा ने किसी और सीट के लिए आवेदन नहीं किया है। बावजूद इसके मुख्यमंत्री के पानीपत ग्रामीण या करनाल जिले के इंद्री हलके से चुनाव लड़ने की चर्चा है।
पिछले दिनों इंद्री में जनसभा में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा था कि यदि इस हलके से कांग्रेस टिकट के सभी 16 दावेदार कहें तो वे यहां से चुनाव लड़ सकते हैं। दूसरी तरफ 25 अगस्त को मुख्यमंत्री ने पानीपत में विजय संकल्प रैली की। उसके बाद चर्चाएं जोर पकड़ गई कि वे पानीपत ग्रामीण से चुनाव लड़ सकते हैं। इससे पहले 10 नवंबर को गोहाना में कांग्रेस की शक्ति रैली में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ‘मैं गोहाना का, गोहाना मेरा’ कहकर वहां से चुनाव लड़ने के संकेत दिए। लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि हुड्डा सोनीपत की बजाय पानीपत या करनाल जिले को तरजीह देंगे।
पानीपत ग्रामीण
अभी यहां से ओमप्रकाश जैन विधायक हैं। 2009 में जैन निर्दलीय विधायक बने जबकि कांग्रेस की प्रसन्नी देवी चौथे नंबर पर रही। जैन ने कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया। 25 अगस्त को पानीपत रैली में जैन हुड्डा के मंच पर दिखे। वैसे इस सीट का टिकट पाने के लिए 29 कांग्रेसियों ने आवेदन कर रखा है।
इंद्री
अभी यह सीट इनेलो के अशोक कश्यप के कब्जे में है। 2009 के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी भीमसेन मेहता दूसरे नंबर पर रहे थे। इस बार 16 कांग्रेसी टिकट की कतार में है। पानीपत या करनाल से हुड्डा के चुनाव लड़ने का मकसद जीटी रोड बेल्ट पर कांग्रेस को मजबूती देना है। अभी तक आरोप लगते रहे हैं कि विकास के मामले में इस बेल्ट की अनदेखी हुई।
किलोई हल्के से चौधरी बीरेंद्र सिंह की भी चर्चा
हुड्डा के नेतृत्व का विरोध करके कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने वाले बीरेंद्र सिंह भी गढ़ी-सांपला-किलोई हलके से चुनाव लड़ने की चर्चा छेड़ते रहे हैं। पिछले दिनों गांव रुखी गांव में जनसभा के दौरान समर्थकों ने उन्हें बरोदा हलके से चुनाव लड़ने का न्योता दिया। जिसके जवाब में बीरेंद्र बोले, ‘मैं केवल दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकता हूं, उनमें से एक किलोई है। चौधरी छोटूराम का वंशज होने के नाते मेरा किलोई से लड़ने का अधिकार बनता है।’
देवीलाल ने लड़ा था तीन सीटों पर चुनाव
1989 में हुए लोकसभा चुनाव में चौधरी देवीलाल एक साथ तीन राज्यों में तीन सीटों पर चुनाव लड़े थे। हरियाणा की रोहतक और राजस्थान की सीकर सीट पर उन्हें जीती मिली लेकिन पंजाब की फिरोजपुर सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा। तब देवीलाल ने सीकर सीट अपने पास रखी थी।
चौटाला ने जीतीं दोनों सीटें
2009 के विधानसभा चुनाव में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने भी दो सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रयोग किया था। तब वो जींद में उचाना और सिरसा में ऐलनाबाद सीट से चुनाव लड़े और दोनों पर जीते। इसका फायदा यह मिला कि जींद की पांचों सीटों पर इनेलो जीती जबकि सिरसा में पांच में से चार पर इनेलो का कब्जा हुआ।
रामबिलास दोनों सीटों पर हारे
वर्ष 2000 में भाजपा नेता रामबिलास शर्मा महेंद्रगढ़ और बल्लभगढ़ सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़े। लेकिन दोनों ही सीटों पर उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था।
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