मोदी और खट्टर में हैं कई समानताएं


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मोदी और खट्टर में हैं कई समानताएं
राजेश शांडिल्य
कुरुक्षेत्र। हरियाणा की पहली भाजपा सरकार के मुखिया मनोहरलाल खट्टर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कई समानताएं हैं। नमो और मनो के सितारों का यह खेल रोचक है। दोनों का जन्म पचास के दशक में हुआ। दोनों की परवरिश आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में हुई। उनका बचपन जहां अभावों में बीता वहीं, उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने और गुजर-बसर के लिए फुटपाथ से कामकाज की शुरुआत करने पड़ी। मोदी ने जहां चाय बेची, वहीं खट्टर सब्जी और कपड़े की फेरी लगा चुके हैं। दोनों नेताओं की शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी से जुड़ी रही। नमो और मनो दोनों संघ के प्रचारक के तौर पर सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं तथा हरियाणा व कुरुक्षेत्र में सक्रिय रह चुके हैं। नरेंद्र मोदी ने 26 मई को पीएम पद की शपथ ली, वहीं खट्टर ने 26 अक्तूबर को सीएम पद की शपथ ली। साल के पांचवें महीने में मोदी और इसके पांच माह बाद मनोहर ने सत्ता संभाली। संघ के भीतर अब हरियाणा के सीएम की नई परिभाषा छोटा मोदी (सीएम) के रूप में गढ़ी जा चुकी है।
धर्मनगरी के दो पुराने मास्टरजी बने वजीर ः भाजपा सरकार में कुरुक्षेत्र की लाटरी लगी है। नए मंत्रिमंडल में धर्मनगरी के दो स्कूलों में बतौर शिक्षक सेवाएं दे चुके रामबिलास शर्मा और कृष्ण कुमार बेदी शामिल किए गए हैं। महेंद्रगढ़ से विधायक रामबिलास शर्मा कुरुक्षेत्र के गीता स्कूल में और शाहाबाद से विधायक कृष्ण बेदी ज्योति नगर स्थित प्रेम भिक्षु विद्या भवन में पढ़ा चुके हैं। संयोग से दोनों लंबे समय से भाजपा के साथ जुड़े हैं।
तब बेदी पार्षद थे और सुधा चेयरमैन ःदिसंबर 1994 में कृष्ण बेदी व सुभाष सुधा दोनों थानेसर नगर परिषद के पार्षद चुने गए थे। उस समय दोनों की निकटता भाजपा से थी। बाद में सुधा अलग दल में चले गए और बेदी भाजपा में बने रहे, लेकिन जनवरी 1995 में सुधा थानेसर नप के चेयरमैन बने थे, जबकि बेदी तब सदन के सदस्य थे।
अब मंत्री भी नहीं है कोई सिख
जब हरियाणा अलग प्रांत बनाया जा रहा था, तब संयुक्त पंजाब के मुख्यमंत्री सिख समुदाय से प्रताप सिंह कैरों थे। उसके बाद अलग राज्य बनने के बाद भले ही हरियाणा में कभी कोई मुख्यमंत्री सिख समुदाय से न रहा हो, लेकिन लगभग सभी सरकारों में सिखों को प्रतिनिधित्व मिलता रहा है। नई सरकार के मंत्रिमंडल में एक भी सिख नहीं है। एचएसजीपीसी के अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा और एसजीपीसी मेंबर रविंद्र कौर व युवा सिख नेता कंवलजीत सिंह अजराना इसे अल्पसंख्यक समुदाय के साथ भेदभाव बता रहे हैं।
संघ प्रचारक के तौर पर हरियाणा और कुरुक्षेत्र में रह चुके हैं सक्रिय
नमो की तरह नमो ने भी 26 तारीख को शपथ ली
अब नए सीएम को छोटा मोदी बताया जा रहा है

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