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अनुपम सेठी (facebook)पात्र अध्यापक संघ ने बिना योग्यता व अवैद्य ढंग से लगाए गए तथा विभागीय जाँच में दोषी पाए गए 719 अतिथि अध्यापको के विरुद्ध कारवाई करवाने के लिए बहुत लम्बी क़ानूनी लड़ाई लड़ी है और अब ये लड़ाई अपने अंतिम अंजाम की और बढ़ रही। इन अतिथि अध्यापको को हटाने के आदेश कल जारी हो गए है और संघ व न्याय की जीत हुई है। दरअसल संघ द्वारा अतिथि अध्यापक भर्ती में हुए व्यापक घोटाले की बार-बार सबूत सहित मांग करने पर शिक्षा विभाग ने 7 डिप्टी डायरेक्टर की डयूटी जाँच में लगाई थी। जाँच में दोषी पाए अधिकारिओं व अतिथि अध्यापको पर 8 महीने तक बार-बार मांग के बाद भी कारवाई न होने पर संघ की और से बिजेंद्र लहरियाँ (फतेहाबाद) ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की जिस पर हाईकोर्ट ने 6 हफ्ते में जाँच रिपोर्ट पर कारवाई करने इनको हटाने के आदेश 10-09-2012 को दिए थे लेकिन ये सुप्रीम कोर्ट से स्टे आर्डर लेने में कामयाब हो गए। संघ ने सुप्रीम कोर्ट में इनके इस केस में एक पक्ष के रूप में शामिल हो कर अपने वकील के मार्फ़त सभी तथ्य सुप्रीमकोर्ट में रखे और इसकी याचिका ख़ारिज करवाने में कामयाबी हासिल की। उसके बाद तत्काल सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर शिक्षा विभाग को दिया लेकिन कोई अधिकारी फैसला लागु करने का आदेश देने की हिम्मत नही जुटा पा रहा था और इनकी फाइल तत्कालीन शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री को कारवाई के लिए भेज दी गई लेकिन फाइल को दबा कर रखा गया और बाद में ये लिख कर फाइल लौटा दी कि मामला नई सरकार के समक्ष रखा जाएं क्योंकि विधान सभा चुनाव आ रहे थे। तब मामले में कोई कारवाई न होते देख हाईकोर्ट में श्री विवेक अत्रे, निदेशक, सेकेंडरी शिक्षा विभाग के खिलाफ हाईकोर्ट की अवमानना का मामला दायर किया गया (क्योकि मूल आदेश हाईकोर्ट ने ही पारित किया था) जिस पर हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर कड़ा रुख अपनाते हुए निदेशक, सेकेंडरी शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया और अब मामले में दूसरी सुनवाई की तारीख नजदीक देख कल इनको हटाने के आदेश जारी करने पड़े। संघ का लम्बा संघर्ष कामयाब हुआ। अभी बड़ी लड़ाई बाकि है और जारी है। जय संघर्ष। जय पात्र अध्यापक संघ।
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