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सियासी फायदे से जुड़े निर्णयों पर संकट
हुड्डा के लिए फैसले समीक्षा के बाद हो सकते हैं रद
विभागीय निर्णयों की समीक्षा के आदेश से मचा हड़कंप1चहेतों को लाभ पहुंचाने का खुलासा होने पर गाज गिरना तय
इस वर्ष जुलाई व अगस्त महीने में इन्हें मिला री-इंप्लायमेंट1ल्ल एमएलए हॉस्टल की डिस्पेंसरी के सेवानिवृत्त लाइजन आफिसर को 31 जनवरी 2016 तक। सेवानिवृत्त एचसीएस अधिकारी को 30 अप्रैल 2015 तक।सचिवालय के सेवानिवृत्त अवर सचिव को 30 नवंबर 2014।सचिवालय के उप सचिव को 31 दिसंबर 2014 तक। 1ल्ल ग्रुप फोर के सेवानिवृत्त कर्मचारी को अप्रैल 2015 तक। 1ल्ल सेवानिवृत्त तहसीलदार को 31 अगस्त 2015 तक। 1ल्ल मंत्री कार सेक्शन के ड्राइवर को 31 जनवरी 2016 तक। 1ल्ल सेवानिवृत्त परियोजना अधिकारी भाषा को एक वर्ष के लिए।1ल्ल प्रोजेक्ट आफिसर फिल्म को एक वर्ष के लिए। 1ल्ल सामान्य अस्पताल रोहतक की बहुउद्देशीय स्वास्थ्य महिला कर्मी को 31 जुलाई 2015 तक। 1ल्ल मंत्री के विशेष वरिष्ठ सचिव को 31 दिसंबर 2014 तक। 1ल्ल हरियाणा रोडवेज के नूंह डिपो के अधीक्षक को 30 अप्रैल 2015 तक। 13
हुड्डा के लिए फैसले समीक्षा के बाद हो सकते हैं रद
विभागीय निर्णयों की समीक्षा के आदेश से मचा हड़कंप1चहेतों को लाभ पहुंचाने का खुलासा होने पर गाज गिरना तय
इस वर्ष जुलाई व अगस्त महीने में इन्हें मिला री-इंप्लायमेंट1ल्ल एमएलए हॉस्टल की डिस्पेंसरी के सेवानिवृत्त लाइजन आफिसर को 31 जनवरी 2016 तक। सेवानिवृत्त एचसीएस अधिकारी को 30 अप्रैल 2015 तक।सचिवालय के सेवानिवृत्त अवर सचिव को 30 नवंबर 2014।सचिवालय के उप सचिव को 31 दिसंबर 2014 तक। 1ल्ल ग्रुप फोर के सेवानिवृत्त कर्मचारी को अप्रैल 2015 तक। 1ल्ल सेवानिवृत्त तहसीलदार को 31 अगस्त 2015 तक। 1ल्ल मंत्री कार सेक्शन के ड्राइवर को 31 जनवरी 2016 तक। 1ल्ल सेवानिवृत्त परियोजना अधिकारी भाषा को एक वर्ष के लिए।1ल्ल प्रोजेक्ट आफिसर फिल्म को एक वर्ष के लिए। 1ल्ल सामान्य अस्पताल रोहतक की बहुउद्देशीय स्वास्थ्य महिला कर्मी को 31 जुलाई 2015 तक। 1ल्ल मंत्री के विशेष वरिष्ठ सचिव को 31 दिसंबर 2014 तक। 1ल्ल हरियाणा रोडवेज के नूंह डिपो के अधीक्षक को 30 अप्रैल 2015 तक। 13
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : लोकसभा चुनाव के नतीजे उम्मीद अनुरूप न आने पर विधानसभा चुनाव में माहौल बनाने के मद्देनजर लिए गए पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के फैसलों को भाजपा सरकार रद कर सकती है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल इसके संकेत भी दे चुके हैं कि जनहित का फैसला रोका नहीं जाएगा और राजनीतिक हित में लिये गए निर्णय लागू नहीं होंगे। पूर्व सरकार के निर्णयों की समीक्षा करने के मनोहर सरकार के फैसले से सबसे अधिक बैचेनी उन अधिकारियों और कर्मचारियों में देखने को मिल रही है, जिन्हें री-इंप्लायमेंट का लाभ मिला है।1मुख्यमंत्री मनोहर लाल री-इंप्लायमेंट के मामलों की समीक्षा करने के आदेश पहले भी दे चुके हैं और पूर्व सरकार के निर्णयों पर नजर डालें तो चुनावी बेला में एक दर्जन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद दोबारा रोजगार दिया गया है। इसके साथ ही कई चहेते अधिकारियों को आयोगों में नियुक्तियां दी गई हैं। इन पर भी सरकार की निगाह टेढ़ी है, चूंकि आयोगों में उन अधिकारियों और राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोगों को नियुक्ति मिली है जो हुड्डा के काफी करीबी रहे हैं। सरकार इनकी नियुक्तियों की भी समीक्षा करा रही है। प्रशासनिक सुधार विभाग के पूर्व सचिव प्रदीप कासनी के आरोपों के कारण इन पर पहले ही विवादों का साया रहा है। हुड्डा सरकार के निर्णय रद होने से उनके चहेतों को भी करारा झटका लग सकता है। 1राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : प्रदेश की मनोहर सरकार के भ्रष्टाचार को लेकर कड़े रुख ने पूर्व सरकार के खासम-खास अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद विभागीय स्तर पर हुए निर्णयों की समीक्षा कराने के मुख्यमंत्री के आदेश से अफसरशाही में हड़कंप मचा है, क्योंकि समीक्षा के बाद अधिकारियों के कारनामों की पोल खुलनी तय है। 1बताते हैं कि कई अधिकारियों ने अंतिम समय में जमकर नियमों की धज्जियां उड़ाई हैं तो कुछ ने नियमों को दरकिनार कर चहेतों को भी लाभ पहुंचाया है। पूर्व सरकार में पावरफुल रहे उच्च अधिकारियों ने दर्जनों ऐसे निर्णय अपने स्तर पर लिए हैं जिससे सरकार को राजस्व में सीधा-सीधा चपत लगी है। उन निर्णयों के जनहित में न होकर निजी हित में होने के कारण अब कार्रवाई होना तय माना जा रहा है। सभी मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों में 16 मई के बाद अधिकारियों द्वारा अपने स्तर पर लिए गए निर्णयों की सूची तलब की है। निर्णयों का असर व ताजा ब्योरा भी देना होगा। मंत्री उच्च अधिकारियों के फैसलों की सूची मिलने पर अपने स्तर पर कार्रवाई का निर्णय लेंगे। मंत्रियों ने गलत कार्यो का डाटा एकत्रित करने का काम उन अधिकारियों को सौंपा है, जो बीती सरकार में हाशिये पर रहे हैं। उनसे गलत कामों का बिल्कुल सही-सही ब्योरा देने के लिए कहा गया है ताकि दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जा सके। इससे साफ है कि कई विभागों में अधिकारियों द्वारा की गई अनियमितताएं बड़े स्तर पर सामने आ सकती हैं। उधर, सरकार के कड़े तेवरों को देखते हुए खुफिया विभाग भी सक्रिय हो गया है। विभाग के अधिकारी भ्रष्टाचार की संभावना वाले विभागों पर अपनी पैनी निगाह रखे हुए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से विशेष निर्देश अधिकारियों को मिले हैं।
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