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अब छह जिलों में होंगे शिक्षा बोर्ड के समन्वय केंद्र !
भिवानी। आर्थिक नुकसान का हवाला देकर पांच महीने पहले बंद किए गए प्रदेश के हर जिला मुख्यालय स्थित हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के समन्वय केंद्र के मसले पर एक बार फिर बोर्ड प्रशासन ने फिर ‘यू टर्न’ लिया है। अब बोर्ड ने प्रदेश में 21 के बजाय छह जिलों में समन्वय केंद्र चलाने का निर्णय लिया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा बोर्ड के समन्वय केंद्र अब अंबाला, करनाल, रोहतक, गुडगांव और फतेहाबाद जिलों में चलेंगे। हिसार रेंज मुख्यालय के बजाय फतेहाबाद में केंद्र बनाने का निर्णय चौंकाता है। इस निर्णय को लेकर हैरानी भरा पहलू यह है कि गत 23 मई को बोर्ड चेयरमैन के आदेश पर सभी 21 समन्वय केंद्रों को बंद करने के आदेश दिए थे, उन्हीं चेयरमैन कार्यालय की ओर से पांच महीने बाद छह केंद्रों की बहाली के आदेश जारी हुए हैं। नए आदेश में हर समन्वय केंद्र पर एक अधीक्षक स्तर के अधिकारी के अलावा एक सहायक व एक पैकर की तैनाती की गई है।
शिक्षा बोर्ड के सचिव अशोक शर्मा का कहना है कि गत मई महीने में समन्वय केंद्रों को बंद करने का निर्णय लिया गया था, तभी यह तय हो गया था कि कमीशभनरी लेवल पर ये केंद्र चलते रहेंगे।
पिछले की तामिली नहीं, अब नए आदेश ः
बीते मई महीने में आर्थिक बचत के नाम पर बंद किए गए 21 समन्वय केंद्रों से अभी शिक्षा बोर्ड का काफी सामान पड़ा है। इस सामान की निगरानी के लिए हर केंद्र पर एक-एक आदमी अभी भी तैनात है। बताया जाता है कि सभी केंद्रों से अभी मामूमी सामान ही उठ पाया है। विद्यार्थियों तक आसानी से पुस्तकें और फार्म पहुंचाने के लिए लगभग 10 साल पहले शिक्षा बोर्ड ने सूबे के हर जिला मुख्यालय पर समन्वय केंद्र खोलने का निर्णय लिया था। सभी तरह के फार्म अब ऑनलाइन उपलब्ध हैं ।
रही बात पाठ्य पुस्तकों की बिक्री की तो यह काम एक-डेढ़ महीने का ही है। और, कर्मचारियों की सैलरी व किराया आदि पर बोर्ड को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। लिहाजा, फिलवक्त इन समन्वय केंद्रों की प्रासंगिकता पर सवाल उठने लगे थे। इस आधार पर बीते मई महीने में बंद किए गए। लेकिन, अब दोबारा खोलने के पीछे बोर्ड प्रशासन की मंशा क्या है, इसको लेकर शिगूफे उठ रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा बोर्ड के समन्वय केंद्र अब अंबाला, करनाल, रोहतक, गुडगांव और फतेहाबाद जिलों में चलेंगे। हिसार रेंज मुख्यालय के बजाय फतेहाबाद में केंद्र बनाने का निर्णय चौंकाता है। इस निर्णय को लेकर हैरानी भरा पहलू यह है कि गत 23 मई को बोर्ड चेयरमैन के आदेश पर सभी 21 समन्वय केंद्रों को बंद करने के आदेश दिए थे, उन्हीं चेयरमैन कार्यालय की ओर से पांच महीने बाद छह केंद्रों की बहाली के आदेश जारी हुए हैं। नए आदेश में हर समन्वय केंद्र पर एक अधीक्षक स्तर के अधिकारी के अलावा एक सहायक व एक पैकर की तैनाती की गई है।
शिक्षा बोर्ड के सचिव अशोक शर्मा का कहना है कि गत मई महीने में समन्वय केंद्रों को बंद करने का निर्णय लिया गया था, तभी यह तय हो गया था कि कमीशभनरी लेवल पर ये केंद्र चलते रहेंगे।
पिछले की तामिली नहीं, अब नए आदेश ः
बीते मई महीने में आर्थिक बचत के नाम पर बंद किए गए 21 समन्वय केंद्रों से अभी शिक्षा बोर्ड का काफी सामान पड़ा है। इस सामान की निगरानी के लिए हर केंद्र पर एक-एक आदमी अभी भी तैनात है। बताया जाता है कि सभी केंद्रों से अभी मामूमी सामान ही उठ पाया है। विद्यार्थियों तक आसानी से पुस्तकें और फार्म पहुंचाने के लिए लगभग 10 साल पहले शिक्षा बोर्ड ने सूबे के हर जिला मुख्यालय पर समन्वय केंद्र खोलने का निर्णय लिया था। सभी तरह के फार्म अब ऑनलाइन उपलब्ध हैं ।
रही बात पाठ्य पुस्तकों की बिक्री की तो यह काम एक-डेढ़ महीने का ही है। और, कर्मचारियों की सैलरी व किराया आदि पर बोर्ड को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। लिहाजा, फिलवक्त इन समन्वय केंद्रों की प्रासंगिकता पर सवाल उठने लगे थे। इस आधार पर बीते मई महीने में बंद किए गए। लेकिन, अब दोबारा खोलने के पीछे बोर्ड प्रशासन की मंशा क्या है, इसको लेकर शिगूफे उठ रहे हैं।
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