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कुछ लोगो को गलत फहमी है कि हरियाणा सरकार कोर्ट के फैसले नही मानती I
मेरी समझ में जो आया है, वह यह है कि 24 मार्च 2011 को हरियाणा शिक्षा विभाग की वितायुक्त श्रीमती सूरीना राजन ने हाईकोर्ट में CWP No. 6090/2010 की सुनवाई के समय एक एफिडेविट दिया था कि 31 दिसम्बर 2011 तक 25 हजार शिक्षकों की नियमित भर्ती कर देंगे और इसी एफिडेविट के आधार पर हाईकोर्ट ने 30 मार्च 2011 को फैसला दिया था कि हर हालात में 31 मार्च 2012 को गेस्ट टीचर्स की सेवा समाप्त और 24 मार्च को दिए गए एफिडेविट के अनुसार ही काम करना है लेकिन हरियाणा सरकार ने एफिडेविट के अनुसार काम नही किया जिस कारण से जुलाई 2011 में खबर लगवानी पड़ी और 20 जुलाई 2011 को खबर लगते ही STET के फॉर्म निकल दिए थे लेकिन सरकार ने हाईकोर्ट को technical समस्या दिखा कर गेस्ट टीचर्स की सेवा बनाये रखने की चाल चली जोकि हाईकोर्ट में नही चली क्योंकि हाईकोर्ट को सारे मामले का पता था I
मार्च 2012 में CWP No. 7121/2010 की सुनवाई के समय हरियाणा सरकार ने नियमित भर्ती के लिए 322 दिनों का एक और एफिडेविट दिया जिस पर एक बार तो कोर्ट ने फटकार लगाई लेकिन बाद में मान लिया और गेस्ट टीचर्स के मामले में 30 मार्च 2011 वाला ही फैसला लागु रखा I
30 मार्च 2012 को हरियाणा सरकार हाईकोर्ट के 30 मार्च 2011 वाले फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई और बहुत झूठ बोला क्योंकि सुप्रीम कोर्ट को गेस्ट टीचर्स की सच्चाई के बारे में जानकारी नही थी और हरियाणा सरकार का विरोध करने कोई सुप्रीम कोर्ट गया नही तथा हरियाणा सरकार ने कहा कि हाईकोर्ट ने 322 दिनों में नियमित भर्ती करने का एफिडेविट तो स्वीकार कर लिया लेकिन गेस्ट टीचर्स को हटाने के 30 मार्च 2011 के आदेश वापिस नही लिए जिस कारण से सरकारी स्कूलों में बच्चों की पढाई बाधित होगी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चों की पढाई बाधित नही होनी चाहिए जिस कारण से सुप्रीम कोर्ट ने नियमित भर्ती तक गेस्ट टीचर्स को सेवा में रखने का आदेश दे दिया I लेकिन हरियाणा सरकार कहाँ सुधरने वाली थी क्योंकि हर कोई तो सुप्रीम कोर्ट नही जा सकता I
24 मार्च 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने Contempt No. 420/2012 के फैसले में लिखा है कि हाईकोर्ट के फैसले CWP No. 7121/2010 के अनुसार नियमित भर्ती करो और CWP No. 7121/2010 में 31 मार्च 2012 के बाद 322 दिनों का और समय दिया था I
20 अगस्त 2013 को श्रीमती सोनिया गाँधी के पास पत्र लिख कर यह सब सच बताया था और लिखा था कि आगामी चुनाव में हरियाणा के लोग हरियाणा सरकार के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे, हरियाणा के लोगों का सख्त कदम तो सबने देख लिया लेकिन यह पत्र फेसबुक पर पोस्ट करने के बाद हाईकोर्ट चंडीगढ़ की वेबसाइट से CWP No. 6090/2010 व CWP No. 7121/2010 के दोनों ही फैसले गायब हो गये I मालूम नही क्यों ? इस बारे में कई हाई कोर्ट के वकीलों से भी पूछा लेकिन संतोषजनक जबाब नही मिला I किसी को कुछ समझ में आये तो जरुर बताना I
जय हिन्द
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