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2015 में 10वीं के बोर्ड एग्जाम लेने के पक्ष में है सीबीएसई
2011 में कांग्रेस के मानव और संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने सीबीएसई से दसवीं करने वाले स्टूडेंट्स को बोर्ड या स्कूल दोनों में से किसी एक के जरिए एग्जाम देने का विकल्प दिया था। इसके लिए उनका तर्क था कि बोर्ड का स्टूडेंट्स के ऊपर बड़ा प्रेशर है। इसलिए स्टूडेंट्स तय करें कि उन्हें बोर्ड या स्कूल किस माध्यम से एग्जाम देना है।
अब साल 2015 में स्टूडेंट्स के पास दसवीं का एग्जाम देने का एक ही ऑप्शन हो सकता है और वह है बोर्ड एग्जाम। हाल ही में दिल्ली में हुई एग्जामिनेशन बोर्ड की बैठक में मेंबरों के सामने दसवीं को फिर से बोर्ड की करने का प्रस्ताव रखा गया। बोर्ड अधिकारियों ने एग्जामिनेशन बोर्ड के मेंबरों से पूछा कि क्या वह 10वीं को बोर्ड का किए जाने से सहमत हैं। उन्होंने बोर्ड मेंबरों से इस मुद्दे पर राय मांगी है। यह भी संभावना है कि फैसला लेने से पहले सीबीएसई वेबसाइट के जरिए पेरेंट्स, स्कूल टीचर्स से सर्वे के जरिए राय मांगे।
इधर, एमजीएन स्कूल में एग्जामिनेशन हेड केएस रंधावा का कहना है कि अगर दसवीं एग्जाम बोर्ड के होते हैं तो बच्चों पर प्रेशर बढ़ेगा। स्कूलों में दो सेमेस्टर में एग्जाम होते हैं। जबकि बोर्ड एग्जाम सिंगल टाइम में होते हैं।
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