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संस्कृत भाषा को लेकर सुप्रीमकोर्ट ने सरकार से मांगा स्पष्टीकरण
अमर उजाला ब्यूरो नई दिल्ली। केंद्रीय विद्यालयों केछात्रों पर जर्मन के बजाए संस्कृत भाषा थोपने से भविष्य में उत्पन्न होने वाली परेशानियों पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। अभिभावकों काकहना है कि बीच सत्र में संस्कृत भाषा लागू होने पर आठवीं में पढ़ रहेछात्र तीन वर्षीय इस कोर्स को कैसे पूरा कर पाएंगे।अभिभावकों की ओर से पेश वकील रीना सिंह ने जस्टिस एआर दवे और जस्टिस कुरियन जोसेफ की पीठ के समक्ष कहा किछात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठने की इजाजत तभी मिलती है जब वे तीन वर्षीय भाषायी कोर्स पूरा कर लेते हैं। सरकार ने बीच सत्र में जर्मन को हटा संस्कृत को तीसरी भाषा बनाने का निर्णय लिया है, ऐसे में आठवीं के छात्र संस्कृत भाषा का तीन वर्षीय कोर्स पूरा नहीं कर सकेंगे। लिहाजा नियम के मुताबिक ये छात्र 10वीं बोर्ड की परीक्षा नहीं दे पाएंगे। अभिभावकों की इस दलील पर अदालत ने केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।अदालत कक्ष में मौजूद सीबीएसई के वरिष्ठ अधिकारी से भी इसका जवाब मांगा गया। जवाब देने की स्थिति में नहीं होने के कारण पीठ ने अटॉर्नी जनरल को स्पष्टीकरण देने के लिए कहा। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, सीबीएसई और केंद्रीय विद्यालय समिति के साथ बैठक कर समाधान निकालेंगे। पीठ ने केंद्र सरकार को 15 दिसंबर तक स्पष्टीकरण देने का निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी छात्र को परेशानी में नहीं पड़ने दिया जाएगा।अभिभावकों ने पूछा, आठवीं में पढ़ रहे छात्र तीन वर्षों तक संस्कृत नहीं पढ़ पाएंगे, ऐसे में कैसे वे बोर्ड परीक्षा देंगेअदालत ने कहा, किसी भी छात्र को मुश्किल में नहीं पड़ने दिया जाएगा।
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