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हुड्डा सरकार ने चुनावी फायदे के लिए बढ़ाई थी रिटायरमेंट की उम्र
अमर उजाला ब्यूरो चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने राज्य में तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 60 से घटाकर 58 साल किए जाने के फैसले को सही ठहरातेहुए इस मामले में पिछली हुड्डा सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। उम्र घटाए जाने को चुनौती देती याचिका पर सरकार की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डी. सुरेश ने सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा है कि प्रदेश की पिछली सरकार ने सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने का फैसला आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले चुनाव में फायदा लेने के लिए लिया था।सचिव ने जवाब में कहा कि अचानक 17 अगस्त, 2014 को हुड्डा सरकार की केबिनेट ने फैसला लिया कि तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों को 60 साल तक और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को 62 साल तक नौकरी करने का मौका दिया जाए। यह भी फैसला लिया गया कि सेवानिवृत्ति की उम्र में कोई बदलाव नहीं होगा। इसके बाद अचानक 25 अगस्त को कैबिनेट ने सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने का फैसला ले लिया और 26 अगस्त को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए।जवाब में आरोप लगाया है कि आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले यह फैसला लिया गया। फैसले में ईमानदारी नहीं झलकती और केवल राजनीतिक लाभ के लिए ही पिछली सरकार ने फैसला लिया था।हाईकोर्ट ने खट्टर सरकार का यह जवाब रिकार्ड पर लेते हुए इस मामले में बहस के लिए 18 दिसंबर को सुनवाई तय कर दी है।हरियाणा के अनेक सरकारी और बोर्ड व निगमों के कर्मचारियों ने याचिकाएंदायर कर आरोप लगाया था कि हरियाणा कीमौजूदा सरकार ने केवल मुख्यमंत्री बदलने की वजह से ही पिछली सरकार का फैसला पलटा है। याचिकाओं में मौजूदा सरकार की ओर से सेवानिवृत्ति की उम्र घटाने के फैसले को रद्द करने की मांग की गई है। पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि आखिर फैसले पर रोक क्यों न रोक लगा दी जाए। सोमवार को सरकार ने पिछली सरकार के फैसले कोगलत ठहराते हुए जवाब दाखिल किया है।यह लिखा जवाब मेंहरियाणा सरकार की ओर से जवाब में कहागया है कि पिछली हुड्डा सरकार कर्मचारियों की यही मांग दो बार नामंजूर कर चुकी थी, लेकिन चुनाव से ठीक पहले 25 अगस्त को कैबिनेट ने अचानक सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ानेका फैसला ले लिया। खट्टर सरकार की ओरसे आरोप लगाया गया है कि पिछली सरकारका यह फैसला गलत था। जवाब में कहा गया कि कर्मचारियों ने पहले वर्ष 2005 में आयु सीमा बढ़ाने को मांग पत्र दिया था, जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री भुपेंद्र सिंह हुड्डा ने 7 जनवरी, 2007 को खारिज कर दिया। कर्मचारियों ने फिर 15 सितंबर, 2007 कोमांग पत्र दिया, लेकिन 15 अप्रैल, 2008 को सरकार ने इसे भी खारिज कर दिया था। ऐसी ही मांग 2013 में भी उठी, लेकिन वह भी खारिज कर दी गई।खट्टर सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया ब्योराबताया, पिछली सरकार दो बार यह मांग नामंजूर कर चुकी थीआचार संहिता लागू होने से ठीक पहले लिया गया था फैसला।
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