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वोटरों को लुभाने के लिए लिया गया था रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने का फैसला
रिटायर कर्मचारियों को हाईकोर्ट का राहत देने से इनकार
ललित कुमार /चंडीगढ़ | 58वर्ष की आयु पूरी होने पर रिटायर हो चुके सरकारी कर्मचारियों को हरियाणा एंड पंजाब हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया। कर्मचारियों की तरफ से मांग की गई थी कि हुडा सरकार के फैसले को बनाए रखा जाए, जिसमें रिटायरमेंट की आयु 60 वर्ष की गई थी।
जस्टिस टीएस ढींढसा ने कर्मचारियों की याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि पिछली सरकार का यह फैसला विधानसभा चुनावों से ठीक पहले महज मतदाताओं को लुभाने के लिए लिया गया था। खट्टर सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में जवाब दायर कर कहा कि हुडा सरकार ने रिटायरमेंट की आयु 60 वर्ष घोषित की थी जो उनकी सरकार के मुताबिक सही फैसला नहीं है। बेरोजगारी को कम करने की दिशा में 58 वर्ष की आयु में रिटायरमेंट के फैसले को बनाए रखा गया है। हाईकोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए कर्मचारियों की याचिकाएं खारिज कर दीं।
ये याचिकाएं कर दीं खारिज
अलग-अलगयाचिकाओं में कहा गया कि सरकार ने कर्मचारियों की रिटायरमेंट एेज कम करने का फैसला 25 नवंबर को लिया। इससे पहले हरियाणा सरकार ने रिटायरमेंट की आयु 60 वर्ष की थी। 58 वर्ष पूरे होने के बाद भी पहली सरकार के फैसले से वे नौकरी में तो हैं, लेकिन 25 नवंबर को खट्टर सरकार के फैसले के बाद उन्हें 30 नवंबर को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। सरकार ने नौकरी के लिए आवेदन की अधिकतम आयु 42 वर्ष ही रखी, लेकिन रिटायरमेंट की आयु के नियम में बदलाव कर दिया। याचिका में कहा गया कि यह राजनीति से प्रेरित फैसला है। सरकार बदलने का मतलब पाॅलिसी में भी बदलाव करना नहीं है। ऐसे में हाईकोर्ट सरकार के 25 नवंबर के फैसले पर रोक लगाए।
ललित कुमार /चंडीगढ़ | 58वर्ष की आयु पूरी होने पर रिटायर हो चुके सरकारी कर्मचारियों को हरियाणा एंड पंजाब हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया। कर्मचारियों की तरफ से मांग की गई थी कि हुडा सरकार के फैसले को बनाए रखा जाए, जिसमें रिटायरमेंट की आयु 60 वर्ष की गई थी।
जस्टिस टीएस ढींढसा ने कर्मचारियों की याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि पिछली सरकार का यह फैसला विधानसभा चुनावों से ठीक पहले महज मतदाताओं को लुभाने के लिए लिया गया था। खट्टर सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में जवाब दायर कर कहा कि हुडा सरकार ने रिटायरमेंट की आयु 60 वर्ष घोषित की थी जो उनकी सरकार के मुताबिक सही फैसला नहीं है। बेरोजगारी को कम करने की दिशा में 58 वर्ष की आयु में रिटायरमेंट के फैसले को बनाए रखा गया है। हाईकोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए कर्मचारियों की याचिकाएं खारिज कर दीं।
ये याचिकाएं कर दीं खारिज
अलग-अलगयाचिकाओं में कहा गया कि सरकार ने कर्मचारियों की रिटायरमेंट एेज कम करने का फैसला 25 नवंबर को लिया। इससे पहले हरियाणा सरकार ने रिटायरमेंट की आयु 60 वर्ष की थी। 58 वर्ष पूरे होने के बाद भी पहली सरकार के फैसले से वे नौकरी में तो हैं, लेकिन 25 नवंबर को खट्टर सरकार के फैसले के बाद उन्हें 30 नवंबर को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। सरकार ने नौकरी के लिए आवेदन की अधिकतम आयु 42 वर्ष ही रखी, लेकिन रिटायरमेंट की आयु के नियम में बदलाव कर दिया। याचिका में कहा गया कि यह राजनीति से प्रेरित फैसला है। सरकार बदलने का मतलब पाॅलिसी में भी बदलाव करना नहीं है। ऐसे में हाईकोर्ट सरकार के 25 नवंबर के फैसले पर रोक लगाए।
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