www.teacherharyana.blogspot.com (Recruitment , vacancy , job , news) www.facebook.com/teacherharyana
एचसीएस भर्ती : हाईकोर्ट ने तलब की एग्जामिनर्स की सूची
एचपीएससी से उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की प्रक्रिया पूछी
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा में चौटाला शासन के दौरान हुई एचसीएस भर्ती में गड़बड़ी पर एचपीएससी से अब उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की प्रक्रिया की जानकारी तलब की है। मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी। हाईकोर्ट ने एग्जामिनर्स की सूची भी तलब की है।
जस्टिस राजीव भल्ला की डिवीजन बेंच ने पिछली सुनवाई पर हरियाणा सरकार ने चौटाला साशनकाल में हुई 65 एचसीएस अधिकारियों की भर्ती में गड़बड़ी होने की बात स्वीकार की थी। हालांकि सरकार किसी नतीजे पर नहीं पहुंची थी कि इस मामले में क्या किया जाना है। हाईकोर्ट ने सरकार के इस रवैये को गंभीरता से लेते हुए सभी वादी व प्रतिवादियों का पक्ष सुनना शुरू किया था।
याचिकाकर्ताओं के वकील कमलजीत सिंह ने उस वक्त 195 उम्मीदवारों के अंकों की सूची पेश की थी। बेंच ने एचपीएससी से पूछा था कि क्या आयोग के सभी सदस्यों की ओर से इंटरव्यू में उम्मीदवारों को अलग-अलग अंक देने का प्रावधान था या साझा अंक दिए जाने थे। बेंच ने आयोग से यह सवाल इसलिए किया था, क्योंकि अंकों की लिखावट एक है, लेकिन इन अंकों के आगे हस्ताक्षर भिन्न-भिन्न हैं। यह भी पूछा गया था कि सरकार किस नतीजे पर पहुंची है। तब सरकारी वकील ने कहा था कि भर्ती में गड़बड़ी हुई है, लेकिन इस मामले में क्या किया जाना है, इसके बारे में बेंच के सवाल का जवाब सरकारी वकील नहीं दे पाए थे। उल्लेखनीय है कि बेंच कह चुकी है कि नौ साल तक जांच लंबित रखना अपने आप में घोटाला है।
लॉ अफसरों की नियुक्ति की सुनवाई से इनकार
हाईकोर्ट ने एचपीएससी से यह पूछा
- उत्तर पुस्तिकाएं मूल्यांकन के लिए भेजने की क्या प्रक्रिया है?
- यह फैसला कौन लेता है?
- मूल्यांकन कैसे किया जाता है?
- किन-किन एग्जामिनर्स ने मूल्यांकन किया?
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार के एडवोकेट जनरल कार्यालय में 92 लॉ अफसरों की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका को पंजाब एवं हाईकोर्ट के जस्टिस आरएस मलिक ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। वीरवार को उन्होंने निजी कारणों से याचिका पर सुनवाई नहीं करते हुए मामला दूसरी बेंच को भेजने की सिफारिश कर दी।
याचिका में 92 लॉ अफसरों को हटाने और लॉ अफसरों की नियुक्ति के नियम बनाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि बगैर आवेदन लिए लॉ अफसर नियुक्त कर दिए गए, जबकि सरकार ने इन नियुक्तियों के लिए कोई आवेदन नहीं मिलने की बात भी स्वीकार की है। एडवोकेट प्रदीप रापड़िया ने एजी कार्यालय में लगाए गए सभी 92 लॉ अफसरों को प्रतिवादी बनाया है। याचिका में कहा है कि सरकार ने एजी कार्यालय में लॉ अफसर लगाने के लिए कोई नियम नहीं बनाए हैं। यह भी हवाला दिया है कि लॉ कमिशन ने वर्ष 2006 में अपनी 197वीं रिपोर्ट में महसूस किया था कि एजी कार्यालय में लॉ अफसरों को लगाने के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की सलाह नहीं लेना नियमों का उल्लंघन है।
No comments:
Post a Comment
thanks for your valuable comment