प्रमोशन में आरक्षण रद्द करने के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे एससी कर्मी
एकल बेंच के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल
मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को चंडीगढ़ : पदोन्नत एससी कर्मचारियों की तरक्की वापस लेने के एकल बेंच के फैसले को अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपील के माध्यम से चुनौती दी गई है। एकल बेंच ने तरक्की में आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया था। अपील में एकल बेंच के फैसले पर रोक लगाने की मांग भी की गई है। हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी। एससी कर्मचारियों ने अपील में कहा है कि यदि एकल बेंच के फैसले का अनुपालन हो गया तो सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को तरक्की दे दी जाएगी। ऐसे में असमंजस बन जाएगा और सामान्य वर्ग के मुलाजिमों को मिलने वाली तरक्की अपील के फैसले पर ही आधारित होकर रह जाएगी। यह भी कहा गया है कि अपील मंजूर होने की सूरत में सामान्य वर्ग के कर्मचारियों की तरक्की रद्द करने की स्थिति पैदा होगी। लिहाजा, एससी कर्मचारियों की तरक्की वापस लेने के एकल बेंच के फैसले पर तुरंत रोक लगा दी जाए। अपील में कहा गया है कि एकल बेंच ने कई तथ्यों पर गौर नहीं किया, लिहाजा फैसला रद्द किया जाना चाहिए। यह है एकल बेंच का फैसला एससी कर्मचारियों को तरक्की में 20 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए वर्ष 2013 में नीति बनाई थी। इस नीति को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि इससे पहले वर्ष 2006 में भी ऐसी ही नीति बनी थी, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। तब हाईकोर्ट ने नीति रद्द कर दी थी और मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि भले ही संविधान में संशोधन के मुताबिक राज्य सरकार एससी कर्मचारियों को तरक्की में आरक्षण दे सकती है। लेकिन, इससे पहले यह डाटा एकत्र करना जरूरी है कि कितने कर्मचारियों को लाभ देना है या कर्मचारियों के वर्ग के अनुसार कितने एससी कर्मचारियों की तरक्की की जानी है। हाईकोर्ट में चले मामले में सरकार ने कहा था कि वर्ष 2006 की नीति रद्द कर 2013 में नीति बनाई गई है। यह नीति नौकरियों और सरकारी सहायता प्राप्त संस्थाओं में दाखिले में आरक्षण के संबंध में है। इसका तरक्की में आरक्षण से कोई वास्ता नहीं है। एससी कर्मचारियों को जो तरक्की दी गई है, वह एक्सलरेटिड तरक्की है। सरकार ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक डाटा एकत्र करने के लिए कमेटी गठित की जा चुकी है और अंतिम रिपोर्ट आना बाकी है। ऐसी परिस्थितियों में हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश बिंदल ने 2013 की नीति रद्द करते हुए एससी कर्मचारियों को दी तरक्की वापस लेने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने 2013 की नीति बनने के वक्त के मुख्य सचिव को अदालत के आदेश की अवमानना का जिम्मेवार ठहराते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी होने के बावजूद डाटा एकत्र किए बगैर तरक्की में आरक्षण रख दिया गया। एकल बेंच ने मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना कार्रवाई चलाने का निर्देश भी दिया था।
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