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शिक्षा मंत्री से वो काम करवा दिया जो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं था !
अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल !
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ 1पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा के अफसरशाही व अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए लोगो का नाजायज तंग करने व कोर्ट में नाजायज मामले बढ़ाने का दोषी माना हैं। हाईकोर्ट ने माना कि अफसरशाही मंत्री तक से कुछ भी करवा सकती है चाहे वह काम कानून के खिलाफ ही क्यों न हो। 1हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश बिंदल ने यह प्रतिक्रिया राजकीय कालेज महिला फरीदाबाद की प्रिंसिपल शोभा चुघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। 1शोभा चुघ ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में हरियाणा सरकार द्वारा 30 दिसम्बर 2014 को जारी उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके तहत सरकार ने शोभा चुघ का तबादला राजकीय कालेज होड़ल में कर दिया। शोभा चुघ ने अपनी याचिका में बताया कि उसकी सेवानिवृत की तिथि 31 जनवरी 2015 है यानी की उसकी सेवानिवृति में एक महीने का समय था। नियमों के अनुसार एक महीने के समय और वो भी एक महिला कर्मचारी का तबादला करने का आदेश नियमों को ताक पर रख कर किया गया हैं। हाईकोर्ट के जस्टिस बिंदल ने इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए हरियाणा के कानून अधिकारी को आदेश दिया कि इस तबादले से जुड़ी फाइल कोर्ट में पेश करे। बेंच के आदेश पर सरकारी वकील ने दोपहर बाद कोर्ट में तबादले की फाइल पेश की तो उसमें चौकाने वाली जानकारी बेंच के सामने आई। जस्टिस बिंदल ने जब फाइल पर नोटिग देगी तो उन्होने हैरानी जताते हुए हरियाणा के अफसरशाही पर सवाल उठाते हुए कहा कि अफसर व कर्मचारी कुछ भी कर सकते है और मंत्री से भी कुछ भी करवा सकते हैं। 1फाइल में शिक्षा मंत्री की नोटिग दी गई जिसमें अतिरिक्त मुख्य सचिव उच्च शिक्षा को आदेश दिया गया कि वो शोभा चुघ का तबादला तुरंत करे। इसी फाइल में एक विधायक की सिफारिश भी थी जिसमें उसने एक होड़ल कालेज के प्रिंसिपल रमेश चंद को शोभा चुघ के स्थान पर नियुक्त करने की सिफारिश की। इसी के आधार पर शिक्षा मंत्री ने अजेर्ंट व तुरंत तबादले के अतिरिक्त शिक्षा सचिव को आदेश दे दिए। इसके बाद कई स्तर पर यह फाइल चलती रही और सभी ने इसे पास कर दिया। लेकिन विजय वर्धन ने छोड़ कर किसी ने भी अपनी पोस्ट व नाम का फाइल में विस्तृत जानकारी नही दी। बैंच ने सवाल उठाया कि हैरानी की बात यह है कि शिक्षा मंत्री के पास इस तबादले का अधिकार ही नही है क्यों की प्रथम क्लास अधिकारी का तबादला केवल मुख्य मंत्री ही कर सकता है। और वो भी इस आधार पर की सेवानिवृत्त का समय एक महीना है इस लिये यह आदेश 31 जनवरी से लागु होगा। 1लेकिन इस मामले में निम्न से लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव तक किसी ने भी मंत्री को यह नही बताया कि उनके पास तबादले का अधिकार नही है और यह तबादला नियम के खिलाफ भी है। इसका मतलब अधिकारी मंत्री से कुछ भी करवा सकते हैं। जब यह मामला कोर्ट में आया तो मुख्य मंत्री कार्यलय ने इस तबादले पर रोक लगाते हुए कहा कि यह मुख्य मंत्री के अधिकार क्षेत्र में आता है और मुख्य मंत्री ने 31 जनवरी के बाद तबादला आदेश लागु करने को मंजूरी दी। हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि यह तबादला तो रद्द हो गया लेकिन इस बात की जांच जरूरी है कि हरियाणा की अफसरशाही ने इस मामले में इतनी लापरवाही क्यों की। बेंच ने इस बात की जांच के आदेश देते हुए हरियाणा सरकार से रिपोर्ट तलब की हैं।
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