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एचसीएस अफसरों की सूची रद करने का आदेश
सुरजीत सिंह सत्ती
चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा में एचसीएस (एग्जिक्यूटिव शाखा) अधिकारियों की साल 2006 में बनाई गई वरीयता सूची रद्द करने का आदेश दिया है। आदेश में कहा गया है कि सूची को नए सिरे से तैयार किया जाए। जस्टिस आरएन रैना ने अपने फैसले में कहा है कि यह सूची अधिकारियों के चयन की तारीख केे हिसाब से बनाई जानी चाहिए।
कुलवंत कल्सन, मोनिका मलिक और जय कृष्ण अभीर ने हाईकोर्ट में वरीयता सूची को चुनौती दी थी। उन्होंने कहा था कि एचसीएस विरेंद्र सिंह हुड्डा को वरीयता सूची में उनके ऊपर रखा गया है। जबकि हुड्डा का चयन बाद में हुआ। उधर, हुड्डा ने पैरवी की कि वह साल 1989 में एचसीएस भर्ती के उम्मीदवार थे, लेकिन पद कम होने के कारण उनका चयन नहीं हुआ। उस वक्त नियम था कि वेटिंग लिस्ट वालों को अगले छह महीने में होने वाली भर्ती के दौरान चुन लिया जाएगा। हुड्डा का चयन न होने पर उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली थी। आखिरकार यहां से याचिका खारिज होने पर वे सुप्रीम कोर्ट चले गए। तब सुप्रीम कोर्ट ने हुड्डा का चयन करने का निर्देश दे दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुड्डा का चयन हो गया था। हुड्डा का चयन उपरोक्त तीन अधिकारियों के बाद हुआ था, लेकिन 1989 की भर्ती के हिसाब से हुड्डा को वरीयता में इन तीनों अधिकारियों से ऊपर रखा गया था। तीनों अधिकारियों ने अपनी याचिका में कहा था कि नियमानुसार वरीयता चयन की तिथि केहिसाब से बनती है, लेकिन साल 2006 में मुख्य सचिव ने इसे दरकिनार कर हुड्डा को वरीयता में ऊपर रखा। अब हाईकोर्ट ने कहा है कि चयन के हिसाब से ही वरीयता सूची बनाई जाए।
हाईकोर्ट ने वरीयता सूची नए सिरे से तैयार करने को कहा
फैसले में अधिकारियों के चयन की तारीख केे हिसाब से सूची बनाने का फरमान।
चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा में एचसीएस (एग्जिक्यूटिव शाखा) अधिकारियों की साल 2006 में बनाई गई वरीयता सूची रद्द करने का आदेश दिया है। आदेश में कहा गया है कि सूची को नए सिरे से तैयार किया जाए। जस्टिस आरएन रैना ने अपने फैसले में कहा है कि यह सूची अधिकारियों के चयन की तारीख केे हिसाब से बनाई जानी चाहिए।
कुलवंत कल्सन, मोनिका मलिक और जय कृष्ण अभीर ने हाईकोर्ट में वरीयता सूची को चुनौती दी थी। उन्होंने कहा था कि एचसीएस विरेंद्र सिंह हुड्डा को वरीयता सूची में उनके ऊपर रखा गया है। जबकि हुड्डा का चयन बाद में हुआ। उधर, हुड्डा ने पैरवी की कि वह साल 1989 में एचसीएस भर्ती के उम्मीदवार थे, लेकिन पद कम होने के कारण उनका चयन नहीं हुआ। उस वक्त नियम था कि वेटिंग लिस्ट वालों को अगले छह महीने में होने वाली भर्ती के दौरान चुन लिया जाएगा। हुड्डा का चयन न होने पर उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली थी। आखिरकार यहां से याचिका खारिज होने पर वे सुप्रीम कोर्ट चले गए। तब सुप्रीम कोर्ट ने हुड्डा का चयन करने का निर्देश दे दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुड्डा का चयन हो गया था। हुड्डा का चयन उपरोक्त तीन अधिकारियों के बाद हुआ था, लेकिन 1989 की भर्ती के हिसाब से हुड्डा को वरीयता में इन तीनों अधिकारियों से ऊपर रखा गया था। तीनों अधिकारियों ने अपनी याचिका में कहा था कि नियमानुसार वरीयता चयन की तिथि केहिसाब से बनती है, लेकिन साल 2006 में मुख्य सचिव ने इसे दरकिनार कर हुड्डा को वरीयता में ऊपर रखा। अब हाईकोर्ट ने कहा है कि चयन के हिसाब से ही वरीयता सूची बनाई जाए।
हाईकोर्ट ने वरीयता सूची नए सिरे से तैयार करने को कहा
फैसले में अधिकारियों के चयन की तारीख केे हिसाब से सूची बनाने का फरमान।
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