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नौकरी से जुड़े विवाद अब सीधे हाईकोर्ट में निपटेंगे
चंडीगढ़|नौकरी केविवाद (सर्विस मैटर) के लिए अब जिला स्तर पर निचली अदालतों में याचिका दायर करने की जरूरत नहीं होगी। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि इन मामलों के लिए सीधे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं।
जिला अदालतों में लंबे समय तक केस की लड़ाई लड़ने के बाद हाईकोर्ट में आने की जगह सीधे हाईकोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है। जस्टिस आरएन रैना ने फैसले में कहा कि जिला अदालतों में सर्विस मैटर पर सुनवाई में बहुत समय नष्ट हो जाता है। ऐसे में सीधे हाईकोर्ट में ही याचिका दायर की जा सकती है। फैसले में कहा गया कि यह सही है कि हाईकोर्ट में केसों की लंबित संख्या बहुत ज्यादा है। ऐसे में इस फैसले को हाईकोर्ट का काम बढ़ाने की नजर से देखकर सिविल कोर्ट का काम करने की दिशा में देखा जाए।
12 साल पुराने मामले में सुनाया हाईकोर्ट ने फैसला
हाईकोर्टका यह फैसला 12 साल पुराने एक मामले में आया जिसमें हरियाणा के जेल एंड ज्यूडीशियल डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी कमिश्नर के खिलाफ सुनीता चोपड़ा ने याचिका दायर कर रखी थी। सुनीता को ट्रांसफर के बाद नए पोस्टिंग आर्डर की अनदेखी करने के मामले में रेगूलर जांच के बाद दोषी ठहराया गया था। सुनीता ने तबादले के बाद नए स्टेशन पर तय समय में रिपोर्टिंग नहीं की थी। इस मामले में मेजर पैनल्टी लगाने की सिफारिश की गई जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई। जस्टिस रैना ने फैसले में कहा कि हाईकोर्ट इस मामले का निपटारा कुछ सुनवाई में ही कर सकता है।
ऐसे में जिला अदालतों में इस तरह के मामलों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट आना समय की बर्बादी है। जिला अदालतों में सिविल कोर्टस को सर्विस लॉ डिस्प्यूट की सुनवाई से रोका नहीं जा सकता लेकिन समय की बचत के लिए हाईकोर्ट इस मामले में बेहतर विकल्प है।
जिला अदालतों में लंबे समय तक केस की लड़ाई लड़ने के बाद हाईकोर्ट में आने की जगह सीधे हाईकोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है। जस्टिस आरएन रैना ने फैसले में कहा कि जिला अदालतों में सर्विस मैटर पर सुनवाई में बहुत समय नष्ट हो जाता है। ऐसे में सीधे हाईकोर्ट में ही याचिका दायर की जा सकती है। फैसले में कहा गया कि यह सही है कि हाईकोर्ट में केसों की लंबित संख्या बहुत ज्यादा है। ऐसे में इस फैसले को हाईकोर्ट का काम बढ़ाने की नजर से देखकर सिविल कोर्ट का काम करने की दिशा में देखा जाए।
12 साल पुराने मामले में सुनाया हाईकोर्ट ने फैसला
हाईकोर्टका यह फैसला 12 साल पुराने एक मामले में आया जिसमें हरियाणा के जेल एंड ज्यूडीशियल डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी कमिश्नर के खिलाफ सुनीता चोपड़ा ने याचिका दायर कर रखी थी। सुनीता को ट्रांसफर के बाद नए पोस्टिंग आर्डर की अनदेखी करने के मामले में रेगूलर जांच के बाद दोषी ठहराया गया था। सुनीता ने तबादले के बाद नए स्टेशन पर तय समय में रिपोर्टिंग नहीं की थी। इस मामले में मेजर पैनल्टी लगाने की सिफारिश की गई जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई। जस्टिस रैना ने फैसले में कहा कि हाईकोर्ट इस मामले का निपटारा कुछ सुनवाई में ही कर सकता है।
ऐसे में जिला अदालतों में इस तरह के मामलों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट आना समय की बर्बादी है। जिला अदालतों में सिविल कोर्टस को सर्विस लॉ डिस्प्यूट की सुनवाई से रोका नहीं जा सकता लेकिन समय की बचत के लिए हाईकोर्ट इस मामले में बेहतर विकल्प है।
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