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कोर्ट कार्यवाही का हो सीधा प्रसारण फैसले हिंदी में लिखे जाएं : खट्टर
नई दिल्ली/चंडीगढ़। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि
ऊपरी अदालतों में होने वाली न्यायिक कार्यवाहियों का
वेबकास्टिंग के जरिये सीधा प्रसारण किया जाना चाहिए।
ताकि न्यायपालिका के काम में पारदर्शिता को लेकर लोगों में
ज्यादा विश्वास कायम हो। उन्होंने कहा कि अदालतों की
ज्यादातर कार्यवाहियां खुले में होती हैं, इसलिए कार्यवाही का
प्रसारण करने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए।
खट्टर ने सुझाव दिया कि फैसले और सभी अदालती कार्यवाही
जहां तक संभव हो हिंदी में और गैर हिंदीभाषी राज्यों में क्षेत्रीय
भाषा में अंकित होनी चाहिए। वैकल्पिक व्यवस्था होने तक
अंग्रेजी में फैसले लिखे जा सकते हैं।
सीएम खट्टर ने रविवार को नई दिल्ली में हुए हाईकोर्ट के चीफ
जस्टिस और मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में यह मुद्दा उठाया। उन्होंने
कहा कि दक्षिण-पश्चिमी हरियाणा के लिए पंजाब एवं
हरियाणा हाईकोर्ट की एक अलग बैंच बनाए जाने की जरूरत है।
प्रदेश में न्यायिक आधारभूत ढांचे को ठीक करने के लिए 541 करोड़
रुपए की केंद्रीय सहायता भी हरियाणा को मिलनी चाहिए।
मुकदमों की पेंडेंसी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि
कर्मचारियों, स्थानीय निकाय, बोर्ड-निगमों के मामलों के लिए
मौजूदा हरियाणा स्टेट लिटिगेशन पॉलिसी में बदलाव किया
जा रहा है।
60:40 भेदभावपूर्ण
सीएम खट्टर ने कहा कि हरियाणा को बने 48 साल से ज्यादा हो
गए हैं। अब परिस्थितियां बदल गई हैं। 60:40 का अनुपात भेदभावपूर्ण
है। सभी प्रतिनियुक्ति वाले पदों और पंजाब एवं हरियाणा
हाईकोर्ट में बराबर का प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
ऊपरी अदालतों में होने वाली न्यायिक कार्यवाहियों का
वेबकास्टिंग के जरिये सीधा प्रसारण किया जाना चाहिए।
ताकि न्यायपालिका के काम में पारदर्शिता को लेकर लोगों में
ज्यादा विश्वास कायम हो। उन्होंने कहा कि अदालतों की
ज्यादातर कार्यवाहियां खुले में होती हैं, इसलिए कार्यवाही का
प्रसारण करने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए।
खट्टर ने सुझाव दिया कि फैसले और सभी अदालती कार्यवाही
जहां तक संभव हो हिंदी में और गैर हिंदीभाषी राज्यों में क्षेत्रीय
भाषा में अंकित होनी चाहिए। वैकल्पिक व्यवस्था होने तक
अंग्रेजी में फैसले लिखे जा सकते हैं।
सीएम खट्टर ने रविवार को नई दिल्ली में हुए हाईकोर्ट के चीफ
जस्टिस और मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में यह मुद्दा उठाया। उन्होंने
कहा कि दक्षिण-पश्चिमी हरियाणा के लिए पंजाब एवं
हरियाणा हाईकोर्ट की एक अलग बैंच बनाए जाने की जरूरत है।
प्रदेश में न्यायिक आधारभूत ढांचे को ठीक करने के लिए 541 करोड़
रुपए की केंद्रीय सहायता भी हरियाणा को मिलनी चाहिए।
मुकदमों की पेंडेंसी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि
कर्मचारियों, स्थानीय निकाय, बोर्ड-निगमों के मामलों के लिए
मौजूदा हरियाणा स्टेट लिटिगेशन पॉलिसी में बदलाव किया
जा रहा है।
60:40 भेदभावपूर्ण
सीएम खट्टर ने कहा कि हरियाणा को बने 48 साल से ज्यादा हो
गए हैं। अब परिस्थितियां बदल गई हैं। 60:40 का अनुपात भेदभावपूर्ण
है। सभी प्रतिनियुक्ति वाले पदों और पंजाब एवं हरियाणा
हाईकोर्ट में बराबर का प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
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