www.teacherharyana.blogspot.com (Recruitment , vacancy , job , news) www.facebook.com/teacherharyana
15 हजार एडहाक शिक्षक किए थे नियमित
अश्विनी शर्मा, करनाल
एक तरफ अतिथि शिक्षक नियमित होने
की मांग पर लठ खाकर कर्ण नगरी से गए हैं तो दूसरी तरफ 2003 में
इसी धरा से पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने करीब 15 हजार
एडहाक शिक्षक नियमित करने की घोषणा कर उन्हें रेगुलर भी कर
दिया था, जबकि शिक्षकों पर लठ चलने का इतिहास कपुराना है।
अधिकतर शिक्षक आंदोलनों को दबाने के लिए लाठीचार्ज का
रास्ता अख्तियार किया जाता रहा है। इस सरकार में अब तीन
बार शिक्षा जगत से जुड़े आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज हो चुका
है। 1 वर्ष 1998 में सरकारी विद्यालय में 89 दिन के लिए एडहाक
शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। इन शिक्षकों ने भी नियमित
करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया और एक बार लाठीचार्ज
का सामना भी करना पड़ा। इनेलो सरकार बनने के बाद वर्ष 2003 में
25 सितंबर को ताऊ देवीलाल जयंती पर सेक्टर 12 के मैदान में इन
शिक्षकों को नियमित करने की घोषणा पूर्व सीएम ओमप्रकाश
चौटाला ने की थी। इसी मैदान में गेस्ट टीचर ने महापड़ाव डाला
हुआ था। हक की खातिर लठ खाकर गेस्ट यहां से चले गए। जबकि इस
सरकार में तीन बार शिक्षा जगत से जुड़े आंदोलनों पर लाठीचार्ज
हो चुका है। करनाल से पहले पंचकूला में कंप्यूटर टीचर व चंडीगढ़ में स्कूल
लैब सहायकों पर लठ चल चुके हैं। जबकि करनाल में लैब सहायकों पर तेज
पानी की बौछार की गई थी। संघर्ष की राह पर चल रहे गेस्ट टीचर
2008 में रोहतक में हुए लाठीचार्ज में बहन राजरानी को खो चुके हैं।
शिक्षा जगत सालों से आंदोलनों के दौरान लाठीचार्ज का
सामना कर चुका है। बंसीलाल सरकार व भजनलाल सरकार अपने
कार्यकाल में शिक्षक आंदोलनों को तोड़ने के लिए लाठीचार्ज
का सहारा लेती रही। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के पूर्व
प्रदेश सचिव कृष्ण कुमार निर्माण ने कहा कि शिक्षक आंदोलनों
को तोड़ने के लिए सरकार लाठीचार्ज का सहारा सालों से लेती
रही है। गेस्ट टीचर पर लाठीचार्ज करके फिर साबित कर दिया कि
वे गेस्ट टीचर को नियमित करने को तैयार नहीं है ।
एक तरफ अतिथि शिक्षक नियमित होने
की मांग पर लठ खाकर कर्ण नगरी से गए हैं तो दूसरी तरफ 2003 में
इसी धरा से पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने करीब 15 हजार
एडहाक शिक्षक नियमित करने की घोषणा कर उन्हें रेगुलर भी कर
दिया था, जबकि शिक्षकों पर लठ चलने का इतिहास कपुराना है।
अधिकतर शिक्षक आंदोलनों को दबाने के लिए लाठीचार्ज का
रास्ता अख्तियार किया जाता रहा है। इस सरकार में अब तीन
बार शिक्षा जगत से जुड़े आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज हो चुका
है। 1 वर्ष 1998 में सरकारी विद्यालय में 89 दिन के लिए एडहाक
शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। इन शिक्षकों ने भी नियमित
करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया और एक बार लाठीचार्ज
का सामना भी करना पड़ा। इनेलो सरकार बनने के बाद वर्ष 2003 में
25 सितंबर को ताऊ देवीलाल जयंती पर सेक्टर 12 के मैदान में इन
शिक्षकों को नियमित करने की घोषणा पूर्व सीएम ओमप्रकाश
चौटाला ने की थी। इसी मैदान में गेस्ट टीचर ने महापड़ाव डाला
हुआ था। हक की खातिर लठ खाकर गेस्ट यहां से चले गए। जबकि इस
सरकार में तीन बार शिक्षा जगत से जुड़े आंदोलनों पर लाठीचार्ज
हो चुका है। करनाल से पहले पंचकूला में कंप्यूटर टीचर व चंडीगढ़ में स्कूल
लैब सहायकों पर लठ चल चुके हैं। जबकि करनाल में लैब सहायकों पर तेज
पानी की बौछार की गई थी। संघर्ष की राह पर चल रहे गेस्ट टीचर
2008 में रोहतक में हुए लाठीचार्ज में बहन राजरानी को खो चुके हैं।
शिक्षा जगत सालों से आंदोलनों के दौरान लाठीचार्ज का
सामना कर चुका है। बंसीलाल सरकार व भजनलाल सरकार अपने
कार्यकाल में शिक्षक आंदोलनों को तोड़ने के लिए लाठीचार्ज
का सहारा लेती रही। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के पूर्व
प्रदेश सचिव कृष्ण कुमार निर्माण ने कहा कि शिक्षक आंदोलनों
को तोड़ने के लिए सरकार लाठीचार्ज का सहारा सालों से लेती
रही है। गेस्ट टीचर पर लाठीचार्ज करके फिर साबित कर दिया कि
वे गेस्ट टीचर को नियमित करने को तैयार नहीं है ।
No comments:
Post a Comment
thanks for your valuable comment