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छुट्टी में भी गुरुजी कर रहे बच्चों के ऑनलाइन दाखिले
संवाद सूत्र, बापौली : सरकारी स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश
भले ही शुरू हो गया हो, लेकिन अध्यापकों पर काम का बोझ
भारी पड़ता नजर आ रहा है। गुरुजी रविवार को भी स्कूल में जाने
को मजबूर है।
स्कूलों में पिछले एक डेढ़ माह से बच्चों के दाखिले ऑनलाइन करने का
कार्य चल रहा है। संसाधनों की कमी के कारण ऑनलाइन का कार्य
लगातार पिछड़ता जा रहा है। विभाग दो बार इसके लिए समय
सीमा तय कर चुका है। रजिस्ट्रेशन का लगभग 50 फीसद ही काम हुआ
है और विभाग ने 30 जून तक हर हाल में कार्य पूरा करने के निर्देश दिए
हैं। इसलिए छुटियों में गुरुजी घर पर कैसे रह पाएंगे। शिक्षा विभाग ने
स्कूलों में कोई संसाधन उपलब्ध नहीं करवाया है। न तो स्कूलों में
कंप्यूटर की व्यवस्था है और न ही कोई बजट मुहैया करवाया है। एक
बच्चे के रजिस्ट्रेशन पर लगभग 30 रुपये खर्च हो रहे हैं। नाम न छापने की
शर्त पर एक स्कूल इचार्ज ने बताया कि विभाग फंड के नाम पर कुछ
रुपये सालाना भेजता तो है, लेकिन उसे वापस माग लेता है। कई बार
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए अधिकारियों को लिखित में बजट
की व्यवस्था करने की कह चुके हैं, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं
मिला। एक अन्य अध्यापक का कहना है कि विभाग द्वारा बैंक से
मिले ब्याज तक को वापस ले लिया जाता है। बिजली कंप्यूटर की
कोई व्यवस्था नहीं है तो फिर इन कामों के लिए स्कूलों पर दबाव
बनाना गलत है।
बीईईओ सुरेद्र मलिक ने बताया कि दाखिला ऑनलाइन का कार्य
30 जून तक करवाना जरूरी है। इस काम के लिए बजट की कोई
व्यवस्था न होने के कारण स्कूलों को अपने स्तर पर ही इसे पूरा
करवाना होगा।
भले ही शुरू हो गया हो, लेकिन अध्यापकों पर काम का बोझ
भारी पड़ता नजर आ रहा है। गुरुजी रविवार को भी स्कूल में जाने
को मजबूर है।
स्कूलों में पिछले एक डेढ़ माह से बच्चों के दाखिले ऑनलाइन करने का
कार्य चल रहा है। संसाधनों की कमी के कारण ऑनलाइन का कार्य
लगातार पिछड़ता जा रहा है। विभाग दो बार इसके लिए समय
सीमा तय कर चुका है। रजिस्ट्रेशन का लगभग 50 फीसद ही काम हुआ
है और विभाग ने 30 जून तक हर हाल में कार्य पूरा करने के निर्देश दिए
हैं। इसलिए छुटियों में गुरुजी घर पर कैसे रह पाएंगे। शिक्षा विभाग ने
स्कूलों में कोई संसाधन उपलब्ध नहीं करवाया है। न तो स्कूलों में
कंप्यूटर की व्यवस्था है और न ही कोई बजट मुहैया करवाया है। एक
बच्चे के रजिस्ट्रेशन पर लगभग 30 रुपये खर्च हो रहे हैं। नाम न छापने की
शर्त पर एक स्कूल इचार्ज ने बताया कि विभाग फंड के नाम पर कुछ
रुपये सालाना भेजता तो है, लेकिन उसे वापस माग लेता है। कई बार
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए अधिकारियों को लिखित में बजट
की व्यवस्था करने की कह चुके हैं, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं
मिला। एक अन्य अध्यापक का कहना है कि विभाग द्वारा बैंक से
मिले ब्याज तक को वापस ले लिया जाता है। बिजली कंप्यूटर की
कोई व्यवस्था नहीं है तो फिर इन कामों के लिए स्कूलों पर दबाव
बनाना गलत है।
बीईईओ सुरेद्र मलिक ने बताया कि दाखिला ऑनलाइन का कार्य
30 जून तक करवाना जरूरी है। इस काम के लिए बजट की कोई
व्यवस्था न होने के कारण स्कूलों को अपने स्तर पर ही इसे पूरा
करवाना होगा।
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