मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार में बुधवार को ही शामिल किए गए चार मुख्य संसदीय सचिवों के पदभार संभालने से पहले ही उनकी नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी गई है। याचिका में आरोप लगाया है कि एक ओर भाजपा ने पंजाब में कैप्टन सरकार के वक्त सीपीएस नियुक्ति को चुनौती दी थी और अब हरियाणा में अपने शासनकाल के दौरान सीपीएस नियुक्त करते खुद ही संविधान का उल्लंघन किया है।
एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने शुक्रवार को याचिका दायर करके बड़खल की विधायक सीमा त्रिखा, रादौर के विधायक श्याम सिंह राणा, हिसार के विधायक डाक्टर कमल गुप्ता और असंध के विधायक बख्शीश सिंह विरक को सीपीएस नियुक्त करने को चुनौती दी है।
याचिका में केंद्रीय गृह सचिव, चुनाव आयोग, हरियाणा सरकार, सीएम खट्टर व चारों नवनियुक्त सीपीएस को प्रतिवादी बनाया है। याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई होने की संभावना है। पंजाब के सीपीएस को चुनौती देती याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होनी है, संभावना है कि हरियाणा के मामले में दायर यह ताजा याचिका मंगलवार को सुनवाई के लिए आएगी।
याचिका में कहा है कि संसद ने संविधान में संशोधन करके केंद्र और राज्य सरकारों में मंत्रियों की संख्या का प्रतिशत तय किया था। इस लिहाज से 90 विधायकों वाली हरियाणा विधानसभा में 13 मंत्री बनाए जा सकते हैं। संशोधन में मंत्रियों की संज्ञा तय हुई थी।
इस संज्ञा में मंत्री, उप मंत्री व मुख्य संसदीय सचिव और संसदीय सचिव शामिल हैं। तय संख्या के मुताबिक हरियाणा में सीपीएस नहीं बन सकते। इसके बावजूद मुख्य संसदीय सचिव बनाकर हरियाणा ने संविधान का उल्लंघन किया है।
यह भी कहा है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द की थी और इस फैसले को चुनौती देती एसएलपी सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली गई थी। ऐसे में तय संख्या से अधिक मंत्री अथवा सीपीएस नहीं बनाए जा सकते।
आरोप लगाया है कि सीपीएस को मंत्री के बराबर सुविधाएं दी जाती हैं और उप मंत्री के समान वेतन। जब सीपीएस बनाए ही नहीं जा सकते तो ऐसी सुविधाएं मुहैया करवाकर सरकार पर वित्तीय बोझ डालना गलत है। मांग की गई है कि सीपीएस की नियुक्ति खारिज की जानी चाहिए, हाईकोर्ट में सुनवाई तक इन्हें शक्तियां देने और सुविधाएं प्रदान करने पर रोक लगाई जाए।
उल्लेखनीय है कि हुड्डा सरकार के वक्त नियुक्त सीपीएस को भी एडवोकेट भट्टी ने चुनौती दी थी, लेकिन सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका निरस्त कर दी थी। कहा था कि अब कार्यकाल समाप्त हो चुका है, लिहाजा याचिका जारी रखने का औचित्य नहीं रह जाता।
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पदभार संभालने से पहले ही हाईकोर्ट पहुंचा मामला,
केस में अब अगले हफ्ते हो सकती है सुनवाई
नवनियुक्त सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती
नए मंत्रियों, सीपीएस को सचिवालय में मिले आफिस
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा की खट्टर की सरकार की ओर से बुधवार को नियुक्त किए गए चार मुख्य संसदीय सचिवों ने अभी पदभार संभाला ही नहीं कि उनकी नियुक्ति का मामला कोर्ट पहुंच गया। इस नियुक्ति को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि एक ओर जहां भाजपा ने पंजाब में कैप्टन सरकार के कार्यकाल के दौरान सीपीएस नियुक्ति को चुनौती दी थी और अब हरियाणा में अपने शासन में सीपीएस नियुक्त कर खुद ही संविधान का उल्लंघन किया है।
एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने शुक्रवार को याचिका दायर कर बड़खल की विधायक सीमा त्रिखा, रादौर के विधायक श्याम सिंह राणा, हिसार के विधायक डाक्टर कमल गुप्ता एवं असंध के विधायक बख्शीश सिंह विरक को सीपीएस नियुक्त करने को गलत ठहराया। याचिका में केंद्रीय गृह सचिव, चुनाव आयोग, हरियाणा सरकार, सीएम खट्टर व चारों नवनियुक्त सीपीएस को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई होने की संभावना है।
याचिका में कहा है कि संविधान में संशोधन के तहत केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या का प्रतिशत तय किया गया था। इस लिहाज से 90 विधायकों वाली हरियाणा विधानसभा में 13 मंत्री बनाए जा सकते हैं। संशोधन में मंत्रियों की संज्ञा तय हुई थी। इसमें मंत्री, उपमंत्री व मुख्य संसदीय सचिव और संसदीय सचिव शामिल हैं। उधर, तय संख्या के मुताबिक हरियाणा में सीपीएस नहीं बन सकते। बावजूद इसके मुख्य संसदीय सचिव बनाकर हरियाणा सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया है। यह भी कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल के मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द की थी। इस फैसले को चुनौती देती एसएलपी सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली गई थी। ऐसे में तय संख्या से अधिक मंत्री अथवा सीपीएस नहीं बनाए जा सकते।
आरोप लगाया गया है कि सीपीएस को मंत्री के बराबर सुविधाएं दी जाती हैं और उप मंत्री के समान वेतन। जब सीपीएस बनाए ही नहीं जा सकते तो ऐसी सुविधाएं मुहैया करवाकर सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ाना गलत है। मांग की गई है कि सीपीएस की नियुक्ति खारिज की जानी चाहिए, हाईकोर्ट में सुनवाई तक इन्हें शक्तियां देने और सुविधाएं प्रदान करने पर रोक लगाई जाए।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा में हुड्डा सरकार के कार्यकाल में नियुक्त सीपीएस को भी एडवोकेट भट्टी ने चुनौती दी थी, लेकिन सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका निरस्त कर दी थी। कहा था कि अब कार्यकाल समाप्त हो चुका है, लिहाजा याचिका जारी रखने का औचित्य ही नही है।
पंजाब के केस में मंगलवार को होगी सुनवाई
नए मंत्रियों को चाहिए पॉवरफुल महकमे
याचिका में सीपीएस की नियुक्ति को असंवैधानिक कदम बताया
पंजाब में कैप्टन शासन के दौरान सीपीएस की नियुक्ति का भाजपा ने किया था विरोध
पंजाब के सीपीएस को चुनौती देते वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होनी है। संभावना है कि हरियाणा के मामले में दायर यह ताजा याचिका मंगलवार को सुनवाई के लिए आएगी।
चंडीगढ़। हरियाणा के मंत्रियों, राज्यमंत्रियों और मुख्य संसदीय सचिवों को तुरंत प्रभाव से मुख्य सचिवालय में कमरे आवंटित कर दिए गए हैं। मंत्री कृष्ण लाल पंवार को आठवीं मंजिल पर कमरा नंबर 24 अलाट किया गया है। राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) घनश्याम सर्राफ को आठवीं मंजिल पर कमरा नंबर 25 और राज्यमंत्री नायब सिंह सैनी को छठी मंजिल पर कमरा नंबर 44 अलाट किया गया है। मुख्य संसदीय सचिव श्याम सिंह राणा नौवीं मंजिल पर कमरा नंबर 30 में बैठेंगे। मुख्य संसदीय सचिव बख्शीश सिंह विर्क को आठवीं मंजिल पर कमरा नंबर 45 और मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा को इसी मंजिल पर कमरा नंबर 50 आवंटित किया गया है। मुख्य संसदीय सचिव डॉ. कमल गुप्ता को भी आठवीं मंजिल पर ही कमरा नंबर 26 अलाट किया गया है।
चंडीगढ़(प्रवीण पाण्डेय)। हरियाणा सरकार के नए बने मंत्रियों के विभागों को लेकर फंसा पेंच शुक्रवार शाम तक नहीं निकल पाया। भारी भरकम महकमे छोड़ने को सरकार के दिग्गज मंत्री तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि मंत्रियों के विभाग बांटने में दिक्कत हो रही है। सूत्रों के मुताबिक कैप्टन अभिमन्यु, राव नरबीर सिंह, ओम प्रकाश धनखड़ और रामबिलास शर्मा सहित कुछ नए बने मंत्रियों और सीपीएस ने भी विभागों को लेकर दिल्ली में डेरा डाल दिया है।
अभी तक के हालात के मुताबिक कृष्ण पंवार को बिजली विभाग देने की तैयारी है, जो इस समय सीएम खट्टर के पास खुद है, जबकि ओम प्रकाश धनखड़ से कृषि और सिंचाई में से एक महकमा लेने की बात चल रही है। रामबिलास शर्मा से परिवहन और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में से एक महकमे को लेकर पेंच फंसा है। सरकार की नजर सबसे अधिक मंत्रालय संभाले कैप्टन अभिमन्यु पर है।
नए बने मंत्री हलके-फुल्के विभाग लेने को तैयार नहीं हैं और पुराने मंत्री भारी भरकम विभाग देने को तैयार नहीं हैं। दिन भर मंथन के बाद नए बने मंत्री शाम तक इसी आस में बैठे रहे कि विभाग का बंटवारा आज हो जाएगा, लेकिन यह काम सिरे नहीं चढ़ा। उधर, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर देर शाम तक दिल्ली में ही रहे। रात तक संघ के वरिष्ठ नेताओं और हाईकमान के साथ सीएम की मुलाकात संभव है। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि देर रात तक विभाग तय हो जाएंगे।
हरियाणा सरकार ने तीन नए मंत्री और चार सीपीएस बनाए हैं। इसमें कृष्ण पंवार को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है। घनश्याम सर्राफ को राज्य मंत्री और नायब सैनी को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया है। आमतौर पर मंत्री पद की शपथ लेने के कुछ समय बाद ही उनके विभाग तय हो जाते हैं, लेकिन वीरवार को हुए शपथ ग्रहण के बाद शुक्रवार का पूरा दिन भी इंतजार में निकल गया और विभागों का बंटवारा नहीं हुआ है। भारी भरकम महकमों को लेकर फंसा पेंच अभी नहीं निकला है।
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