तो इसलिए कलाम के निधन पर छुट्टी होते-होते रह गई
नई दिल्ली
भूतपूर्त राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के निधन पर सरकार ने सात दिन का शोक घोषित कर दिया था। सोमवार देर शाम मंगलवार को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने का भी फैसला लेने पर विचार हो रहा था।सूत्रों के मुताबिक, फैसला लेने के बाद इसकी औपचारिक घोषणा होनी थी लेकिन
तभी सोशल मीडिया पर कलाम का वह कोट वायरल हो गया जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी मौत पर छुट्टी न हो बल्कि लोग काम करें। चंद मिनटों में ही पूरे देश में इस बात पर बहस होने लगी।
कलाम के उस पोस्ट को इस कदर रिस्पॉन्स मिला कि सरकार को छुट्टी देने की घोषणा को स्थगित करना पड़ा और छुट्टी नहीं हुई। हालांकि सूत्रों के अनुसार छुट्टी लेने का कोई फैसला हुआ ही नहीं था और 1997 में ही यह नियम बन चुका था कि पूर्व पीएम और प्रेसीडेंट के निधन पर राष्ट्रीय शोक होगा, राष्ट्रीय झंडा आधा झुकेगा लेकिन छुट्टी नहीं होगी।
उधर आम लोगों ने सोशल मीडिया पर छुट्टी नहीं देने की अपील करते कुए कहा था कि अगर कलाम जिंदगी के अंतिम दिन तक काम कर सकते हैं तो फिर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उनके सम्मान में हम काम करें और उनके विजन को पूरा करने में जुटे। हालांकि संसद में दो दिन की छुट्टी दे दी गई।
इस बारे में जब बीजेपी सांसद अर्जुन मेघवाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह बेहतर जरूर होता कि कलाम के सम्मान में हम सब भी संसद में छुट्टी की जगह काम करते लेकिन उन्हें सम्मान देने के लिए यह भी जरूरी था और अगर अवकाश नहीं करते तो इसके कुछ और मतलब भी निकाले जा सकते थे। दो दिनों की छुट्टी के बारे में कहा कि चूंकि दूसरे दिन कई मंत्री-सांसद अंतिम यात्रा में शामिल होंगे, ऐसे में छुट्टी जरूरी है।
बहरहाल, 27 जुलाई 2015 से 2 अगस्त 2015 तक पूरे भारत में सात दिनों तक राजकीय शोक मनाया जाएगा। हालांकि सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालय खुले रहेंगे और छुट्टी की कोई घोषणा नहीं की गई है।
उधर आम लोगों ने सोशल मीडिया पर छुट्टी नहीं देने की अपील करते कुए कहा था कि अगर कलाम जिंदगी के अंतिम दिन तक काम कर सकते हैं तो फिर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उनके सम्मान में हम काम करें और उनके विजन को पूरा करने में जुटे। हालांकि संसद में दो दिन की छुट्टी दे दी गई।
इस बारे में जब बीजेपी सांसद अर्जुन मेघवाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह बेहतर जरूर होता कि कलाम के सम्मान में हम सब भी संसद में छुट्टी की जगह काम करते लेकिन उन्हें सम्मान देने के लिए यह भी जरूरी था और अगर अवकाश नहीं करते तो इसके कुछ और मतलब भी निकाले जा सकते थे। दो दिनों की छुट्टी के बारे में कहा कि चूंकि दूसरे दिन कई मंत्री-सांसद अंतिम यात्रा में शामिल होंगे, ऐसे में छुट्टी जरूरी है।
बहरहाल, 27 जुलाई 2015 से 2 अगस्त 2015 तक पूरे भारत में सात दिनों तक राजकीय शोक मनाया जाएगा। हालांकि सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालय खुले रहेंगे और छुट्टी की कोई घोषणा नहीं की गई है।
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