सरकार ने रेगुलराइजेशन पॉलिसी को हरी झंडी दी
अब मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री को मामला भेजते हुए पूछा कि रेगुलराइजेशन पालिसी के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणाहाईकोर्ट में मामला चल रहा है। कुछ और मामले भी लंबित हैं। सरकार हाईकोर्ट में अब तक जवाब देती आई है कि सरकार
रेगुलराइजेशन पालिसी की समीक्षा कर रही है इसलिए समय दिया जाए। अब सरकार को फैसला करना है कि इन पालिसी के
पक्ष में हाईकोर्ट में पैरवी की जाए या इन पालिसी को रद किया जाए। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने फैसला करते हुए कहा कि
हाईकोर्ट में सरकार इन पालिसी के पक्ष में पैरवी करेगी क्योंकि इन पालिसी के तहत 4700 अधिकारी, कर्मचारी रेगुलर हो चुके हैं।उधर, प्रदेश सरकार ने इन रेगुलराइजेशन पालिसी को भविष्य के लिए रोक लगा रखी है। जो कच्चे कर्मचारी रेगुलर हो चुके हैं, हाईकोर्ट में उनके पक्ष में सरकार पैरवी करती रहेगी।
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4700 रेगुलर हो चुके, इसलिए पैरवी पक्के होंगे कच्चे कर्मचारी यह थी एडवोकेट जनरल की राय एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने 34 पेज की कानूनी राय देते हुए लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को देखते हुए इन रेगुलराइजेशन पालिसी को वैध नहीं ठहराया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने उमा देवी बनाम कर्नाटक मामले में साफ-साफ लिखा है कि नौकरियों में समानता का अधिकार होना चाहिए। अलबत्ता, 10 अप्रैल, 2006 तक जिन स्वीकृत पदों पर कच्चे कर्मचारी रखे हैं और 10 अप्रैल को उन्हें 10 साल सेवा में हो गए हैं, उन्हें छह महीने के भीतर रेगुलर किया जा सकता है। मगर 10 अप्रैल, 2006 के बाद किसी भी
विभाग, बोर्ड या निगम में कच्चे कर्मचारी नहीं रखे जाएंगे। सरकार रेगुलर भर्ती ही करेगी। एडवोकेट जनरल ने लिखा कि
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हरियाणा सरकार ने 2011 में रेगुलराइजेशन पालिसी जारी की जिसके तहत कच्चे कर्मचारी
रेगुलर किए गए। अब 2014 में जारी की गई रेगुलराइजेशन पालिसी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है।
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