134-ए मामला : अवमानना से सहमी सरकार, आज निकालेगी पहला ड्रॉ


134-ए मामला : अवमानना से सहमी सरकार, आज निकालेगी पहला ड्रॉ

पानीपत। हाईकोर्ट की अवमानना से बचने के लिए के लिए सरकार  हरियाणा स्कूल शिक्षा रुल्स, 2003 के नियम 134-ए के तहत ड्रॉ की तारीखें घोषित कर दी हैं। शुक्रवार को पहला ड्रॉ निकलेगा। गुरुवार को एडीशनल एडवोकेट जनरल ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में यह जानकारी दी। इससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के उन 65 हजार बच्चों के दाखिले की संभावना बन गई है, जिन्होंने इस नियम के तहत दूसरी से आठवीं कक्षा तक प्राइवेटस्कूलों में मुफ्त दाखिले के लिए आवेदन कर रखा है। डायरेक्टर एलिमेंट्री एजुकेशन की तरफ से जवाब दायर कर कहा गया कि फिलहाल रूल नोटिफाई कर दिए गए हैं। याची पक्ष की तरफ से समय दिए जाने की मांग पर जस्टिस महेश ग्रोवर ने 16 नवंबर के लिए सुनवाई स्थगित कर दी। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या आदेशों की पालना की गई है। इस पर एडीशनल एडवोकेट जनरल अमर विवेक ने कहा कि फिलहाल रूल नोटिफाई कर दिए गए हैं। सरकार कोर्ट में रिव्यू दाखिल करने की  तैयारी कर रही है। इस दौरान किसी भी बच्चे को कोई प्राइवेट स्कूल प्रवेश देने से इनकार नहीं कर सकेगा। इस नियम को लागू कराने के
लिए लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे दो जमा पांच मुद्दा जन आंदोलन के संयोजक एडवोकेट सतबीर हुड्डा ने कहा कि बच्चों का एडमिशन लंबित है जो सही नहीं है। राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों का दाखिला 134 ए के तहत सुनिश्चित किया जाए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी स्टे नहीं दिया है।दाखिले से इनकार तो मान्यता रद्द सरकार की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि यदि कोई प्राइवेट स्कूल इन नियम के तहत दाखिला देने से इनकार करता है तो मान्यता रद्द होने की कार्रवाई होगी। इसके लिए जिला स्तरीय कमेटी सिफारिश कर सकेगी। दाखिले से वंचित कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत ब्लॉक या जिला स्तरीय समिति के पास कर सकता है। एक तीर से सरकार के दो निशाने यह निर्देश जारी कर सरकार फिलहाल कोर्ट की अवमानना से बच गई। दूसरी तरफ विशेष सचिव की ओर से जारी निर्देशों में साफ किया गया है कि 134-ए के तहत दूसरी से 8वीं कक्षा तक निशुल्क दाखिलों की एवज में सरकार अभी प्राइवेट स्कूलों को कोई भरपाई नहीं करेगी। तर्क यह दिया गया है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। जिसे वापस लेते हुए सरकार ने रिव्यू पिटिशन दायर करने की अनुमति मांगी थी। जल्द ही सरकार रिव्यू पिटिशन दायर करेगी और उसका फैसला होने तक प्राइवेट स्कूलों को कोई भुगतान नहीं होगा। पांच हजार करोड़ रुपए का पड़ेगा भार सरकार का तर्क है कि यदि निशुल्क दाखिलों की एवज में भरपाई की जाती है, तो सरकार पर सालाना पांच हजार करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। यही तर्क सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में
दिया गया था। शिक्षा के अधिकार (आईटीई) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पहली कक्षा में निशुल्क दाखिले का
प्रावधान है। नियम 134-ए के तहत दूसरी से आठवीं तक 10 फीसदी सीटें आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए आरक्षित रखना जरूरी है।

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