70 हजार बच्चों के भविष्य के फैसले में बचे चार दिन


70 हजार बच्चों के भविष्य के फैसले में बचे चार दिन

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : शिक्षा सत्र आरंभ हुए चार माह बीत गए,लेकिन 70 हजार गरीब बच्चों के दाखिलों पर हरियाणा सरकार
अभी तक कोई फैसला नहीं ले पाई है। अगले चार दिन में शिक्षाविभाग द्वारा कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों की दाखिला
सूची जारी नहीं करने पर सरकार के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। हरियाणा स्कूल शिक्षा अधिनियम 2000 की धारा 134-ए के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त पढ़ने का अधिकार है। शिक्षा विभाग ने कक्षा नौ से बारह तक के बच्चों के ड्रा तो निकाल दिए, लेकिन कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों के ड्रा यहकहते हुए रोक लिए कि फीस पर बहुत अधिक खर्च सरकार को वहन करना पड़ सकता है। दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन के संयोजक सत्यवीर सिंह हुड्डा के अनुसार जस्टिस एजी मसीह की कोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और मौलिक शिक्षा महानिदेशक को अदालत के आदेश के उल्लंघन का दोषी मानते हुए सात दिन के भीतर पहली से आठवीं तक के बच्चों का ड्रा घोषित करने का निर्देश
दिया है। अदालत द्वारा दिए गए समय में से तीन दिन बीत चुके और चार दिन बाकी हैं। हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग को आखिरी  मौका देते हुए बच्चों की संबंधित स्कूलों में सूची भेजने का आदेश जारी किया है जिससे अब उनका भविष्य बर्बाद होने से बच सकेगा। सत्यवीर हुड्डा के अनुसार शिक्षा विभाग ने हाई कोर्ट को गुमराह किया है। हाई कोर्ट में बताया गया कि 70 हजार गरीब बच्चों के ड्रा इसलिए घोषित नहीं किए जा रहे क्योंकि उनकी फीस पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च होंगे। वास्तविकता यह है कि चंडीगढ़ में एक बच्चों पर 750 रुपये मासिक खर्च आ रहा है। इसी अनुपात में
हरियाणा में यह खर्च करीब 50 करोड़ रुपये बनता है। इसमें 35 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार वहन करेगी। हुडा की जमीनों पर बने स्कूलों में कोई राशि देने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में हरियाणा सरकार के हिस्से में आने वाला खर्च बेहद मामूली है। हुड्डा ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि कोर्ट के आदेश का जिम्मेदारी से अनुपालन किया जाए अन्यथा अगली तारीख 13 अगस्त को सरकार के विरुद्ध कार्रवाई का अनुरोध अदालत से किया जाएगा।निजी स्कूलों को दी जाए पुराने नियमों के तहत छूट हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने सितंबर 2014 में स्कूलों की मान्यता के लिए फाइल नंबर दो लगाकर जमा करने वाले हजारों स्कूलों को पुराने नियमों के तहत मान्यता देने की माग की है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू, प्रदेश सचिव श्यामलाल शर्मा व प्रातीय कोषाध्यक्ष भूपेंद्र ने कहा कि शिक्षा विभाग पंचकूला ने सितंबर 2014 में ऐसे स्कूलों को फाइल नंबर दो लगाने का एक और मौका दिया था जो स्कूल किसी कारण पुराने सबूत के आधार पर 10 अपै्रल 2007 तक दूसरी फाइल नहीं लगा सके थे। ऐसे हजारों स्कूल सितंबर 2014 में फाइल नंबर दो लगा चुके है, लेकिन अभी तक इन
स्कूलों की फाइलें शिक्षा सदन पंचकूला में धूल चाट रही हैं। इसलिए ऐसे स्कूलों को जल्द से जल्द पुराने नियमों के तहत मान्यता दी जाए। साथ ही अगर कोई पुराने नार्म्स वाला स्कूल अभी भी अपग्रेडेशन के लिए फाइल लगाता है तो उसको पुराने नियमों के तहत ही अपग्रेड के लिए छूट मिलनी चाहिए और उन स्कूलों पर नए नियम लागू नहीं होने चाहिए। उन्होंने माग की कि अपग्रेडेशन की फाइललगाने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं होनी चाहिए।

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