गेस्ट टीचर फिर पहुंचे हाईकोर्ट ।
चंडीगढ़ । हरियाणा सरकार की ओर से सरप्लस बताकर नौकरी से बाहर किए गए गेस्ट टीचर एक बार फिर से हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार ने मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चले वाद के दौरान यह तथ्य छिपाया कि प्रदेश के
स्कूलों में शिक्षकों के बेशुमार पद रिक्त पड़े हैं। ऐसी दशा में उन्हें सरप्लस नहीं कहा जा सकता।जस्टिस अमित रावल की बेंच ने सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांग लिया है। सुनवाई एक सितंबर को होगी।
गेस्ट टीचरों ने एडवोकेट नरेंदर हुड्डा के माध्यम से अर्जी दाखिल कर एकल बेंच से आग्रह किया है कि वह फैसले पर पुनर्विचार करे। गेस्ट टीचरों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि उन्हें नौकरी पर नहीं बनाए रखा जा सकता। इसी फैसले के कारण कई गेस्ट टीचरों नौकरी जाने के भय से हाईकोर्ट पहुंच की थी। हाईकोर्ट की एकल बेंच ने कहा था कि नियमित भर्ती तक गेस्ट टीचरों को बनाए रखा जाए।
सरकार ने बताया था कि 4073 गेस्ट टीचर सरप्लस हैं। हाईकोर्ट ने इन्हें हटाने का निर्देश दिया था। नौकरी से हटाने के बाद इन गेस्ट टीचरों ने डिवीजन बेंच में अपील कर कहा था कि एकल बेंच में सुनवाई के दौरान सरकार ने तथ्य छिपाया कि गणित और समाज शास्त्र के अनेक पद रिक्त पड़े हैं जो कि सरप्लस बताए गए गेस्ट टीचरों की तुलना में चार गुना अधिक पद हैं। डिवीजन बेंच ने याचिका का निपटारा कर दिया था और एकल बेंच के फैसले पर पुनर्विचार अर्जी दाखिल करने की छूट दी थी। इसी पर गेस्ट टीचरों की ओर से मंगलवार को अर्जी दाखिल करके एकल बेंच से आग्रह किया गया कि वह सरप्लस नहीं हैं, लिहाजा फैसले पर पुनर्विचार किया जाए।
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सरप्लस गेस्ट टीचरों को दिखी उम्मीद की किरण
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सरप्लस गेस्ट टीचरों को मंगलवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से कुछ उम्मीद की नजर आई। हाईकोर्ट के जस्टिस अमित रावल ने उनके द्वारा जारी 6 जुलाई के आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार को एक सितंबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। सरप्लस गेस्ट टीचरों ने अपनी याचिका में कहा है कि हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में जो हलफनामा देकर आंकड़े पेश किए थे वो गलत थे। सरकार ने साल 2012 के आंकड़े के आधार पर उनको सरप्लस दिखा कर हटा दिया।
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