मोटापे के तानों ने बना दिया चैंपियन
संजीव गुप्ता, कैथल : मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। नेहा यादव पर यह कहावत सौ फीसद फिट बैठती है। मोटापे के कारण सहपाठियों व रिश्तेदारों के तानों से दुखी होकर
उसने स्कूल छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन बाद में हौसलों की ऐसी उड़ान भरी कि सभी दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर हो गए। आज वह नेशनल बॉक्सिंग चैंपियन है। स्वतंत्रता दिवस समारोह में राज्यमंत्री ने भी उसे विशेष रूप से सम्मानित किया है।1कालू वाली गामड़ी बस्ती की रहने वाली नेहा हिन्दू कन्या स्कूल में 12वीं की छात्र है। पढ़ाई में अव्वल इस छात्र का वजन साल भर पहले तक 100 किलोग्राम से ज्यादा था। सभी सहपाठी और रिश्तेदार उसे मोटी कह कर चिढ़ाते थे। ऐसे में अल्पशिक्षित और खेतीहर माता-पिता की संतान नेहा ने स्कूल छोड़ने का मन बना लिया था। तब पिता राजपाल ने उसे समझाया व वजन घटाने और रुचि के अनुरूप बॉक्सिंग पर ध्यान लगाने को कहा। कोच राजेंद्र सिंह ने भी उसे प्रोत्साहित किया। तब नेहा ने भी ठान लिया कि वह लोगों का मुंह बंद करके ही रहेगी। उसने रोजाना शाम को आरकेएसडी कॉलेज के स्टेडियम में प्रेक्टिस करनी शुरू दी। उसके दृढ़ संकल्प एवं कड़ी मेहनत का ही नतीजा था कि वजन घटकर 86 किलो रह गया। दिसंबर 2014 में 80 से अधिक किग्रा भार वर्ग में पहले जिला और फिर प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। तत्पश्चात फरवरी में इंदौर में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में रजत पदक पाया। अब वह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीतने के लिए प्रैक्टिस कर रही है। 1नेहा कहती है कि अगर इंसान मन में ठान ले कि उसे अपनी कमजोरियों पर काबू पाना है तो फिर कोई मंजिल उससे दूर नहीं रह सकती।संजीव गुप्ता, कैथल : मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। नेहा यादव पर यह कहावत सौ फीसद फिट बैठती है। मोटापे के कारण सहपाठियों व रिश्तेदारों के तानों से दुखी होकर उसने स्कूल छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन बाद में हौसलों की ऐसी उड़ान भरी कि सभी दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर हो गए। आज वह नेशनल बॉक्सिंग चैंपियन है। स्वतंत्रता दिवस समारोह में राज्यमंत्री ने भी उसे विशेष रूप से सम्मानित किया है।1कालू वाली गामड़ी बस्ती की रहने वाली नेहा हिन्दू कन्या स्कूल में 12वीं की छात्र है। पढ़ाई में अव्वल इस छात्र का वजन साल भर पहले तक 100 किलोग्राम से ज्यादा था। सभी सहपाठी और रिश्तेदार उसे मोटी कह कर चिढ़ाते थे। ऐसे में अल्पशिक्षित और खेतीहर माता-पिता की संतान नेहा ने स्कूल छोड़ने का मन बना लिया था। तब पिता राजपाल ने उसे समझाया व वजन घटाने और रुचि के अनुरूप बॉक्सिंग पर ध्यान लगाने को कहा। कोच राजेंद्र सिंह ने भी उसे प्रोत्साहित किया। तब नेहा ने भी ठान लिया कि वह लोगों का मुंह बंद करके ही रहेगी। उसने रोजाना शाम को आरकेएसडी कॉलेज के स्टेडियम में प्रेक्टिस करनी शुरू दी। उसके दृढ़ संकल्प एवं कड़ी मेहनत का ही नतीजा था कि वजन घटकर 86 किलो रह गया। दिसंबर 2014 में 80 से अधिक किग्रा भार वर्ग में पहले जिला और फिर प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। तत्पश्चात फरवरी में इंदौर में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में रजत पदक पाया। अब वह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीतने के लिए प्रैक्टिस कर रही है। 1नेहा कहती है कि अगर इंसान मन में ठान ले कि उसे अपनी कमजोरियों पर काबू पाना है तो फिर कोई मंजिल उससे दूर नहीं रह सकती।नेहा यादव।
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