बिना शिक्षक नहीं रुकेगी पढ़ाई
सिरसा : 1हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में अब शिक्षकों की कमी के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो सकेगी, क्योंकि उच्चतर शिक्षा निदेशक ने सूबे के कॉलेजों में विभिन्न विषयों के
अनुसार व्याख्यान आधार पर शिक्षक रखने की अनुमति दे दी है। साथ ही इसको लेकर तमाम सरकारी कॉलेजों में एक पत्र भी भेजा है। 1 पत्र के अनुसार व्याख्यान के आधार पर रखे जाने वाले शिक्षकों का कार्यकाल एक वर्ष का होगा। उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा अंग्रेजी, हंिदूी, संस्कृत, अर्थशास्त्र, भूगोल, भौतिकी, रसायन, गणित, वाणिज्य, मनोविज्ञान, बोटनी, गृह विज्ञान, सांख्यिकी, जूलोजी, राजनीतिक शास्त्र, मास कम्यूनिकेशन, कम्प्यूटर साइंस, पर्यावरण विज्ञान, बायोटेक, इतिहास, मनोविज्ञान एवं पंजाबी के शिक्षक शैक्षणिक सत्र 2015-16 के रखा जाएगा। लेक्चर के आधार पर ही इन्हें विभाग द्वारा मेहनताना दिया जाएगा। विभाग की इस व्यवस्था से कहीं न कहीं शिक्षकों की कमी के कारण न लगने वाली कक्षाओं का भी खेल रुकेगा। साथ ही विद्यार्थियों द्वारा विरोध के स्वर भी नहीं उठाए जाएंगे। दरअसल, हर वर्ष सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वाले स्थायी शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे है। साथ ही उनकी जगह पक्के शिक्षक नहीं रखे जा रहे हैं। दिन-प्रतिदिन शिक्षा के प्रति बढ़ रही जागरूकता के कारण कॉलेजों में विद्यार्थियों का इजाफा हो रहा है और उनकी संख्या के मुताबिक शिक्षक नहीं है। राजकीय कॉलेज मनोविज्ञान प्राध्यापक रवींद्र पुरी का कहना है कि कॉलेज में निदेशक द्वारा भेजा गया पत्र आ चुका है। उनके कॉलेज में भी व्याख्यान के आधार पर शिक्षक नियुक्त करने की अनुमति दी गई है।रोहित गेरा, सिरसा : 1हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में अब शिक्षकों की कमी के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो सकेगी, क्योंकि उच्चतर शिक्षा निदेशक ने सूबे के कॉलेजों में विभिन्न विषयों के अनुसार व्याख्यान आधार पर शिक्षक रखने की अनुमति दे दी है। साथ ही इसको लेकर तमाम सरकारी कॉलेजों में एक पत्र भी भेजा है। 1 पत्र के अनुसार व्याख्यान के आधार पर रखे जाने वाले शिक्षकों का कार्यकाल एक वर्ष का होगा। उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा अंग्रेजी, हंिदूी, संस्कृत, अर्थशास्त्र, भूगोल, भौतिकी, रसायन, गणित, वाणिज्य, मनोविज्ञान, बोटनी, गृह विज्ञान, सांख्यिकी, जूलोजी, राजनीतिक शास्त्र, मास कम्यूनिकेशन, कम्प्यूटर साइंस, पर्यावरण विज्ञान, बायोटेक, इतिहास, मनोविज्ञान एवं पंजाबी के शिक्षक शैक्षणिक सत्र 2015-16 के रखा जाएगा। लेक्चर के आधार पर ही इन्हें विभाग द्वारा मेहनताना दिया जाएगा। विभाग की इस व्यवस्था से कहीं न कहीं शिक्षकों की कमी के कारण न लगने वाली कक्षाओं का भी खेल रुकेगा। साथ ही विद्यार्थियों द्वारा विरोध के स्वर भी नहीं उठाए जाएंगे। दरअसल, हर वर्ष सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वाले स्थायी शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे है। साथ ही उनकी जगह पक्के शिक्षक नहीं रखे जा रहे हैं। दिन-प्रतिदिन शिक्षा के प्रति बढ़ रही जागरूकता के कारण कॉलेजों में विद्यार्थियों का इजाफा हो रहा है और उनकी संख्या के मुताबिक शिक्षक नहीं है। राजकीय कॉलेज मनोविज्ञान प्राध्यापक रवींद्र पुरी का कहना है कि कॉलेज में निदेशक द्वारा भेजा गया पत्र आ चुका है। उनके कॉलेज में भी व्याख्यान के आधार पर शिक्षक नियुक्त करने की अनुमति दी गई है।
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